Lucknow: महंगाई पहले से ही लोगों का दिवाला निकाल चुकी थी। बची कसर स्कूल खुलने के बाद पूरी हो गई। किताबों, कापियों और स्कूली बैग की कीमतें तो पहले से ही आसमान पर पहुंच चुकी थीं। मगर स्कूल खुलने के बाद पैरेंट्स के हाथ में बच्चों का जो फीस स्ट्रक्चर आया है उसे देखने के बाद उनके माथे पर पसीना आ गया है.
अचानक स्कूलों ने अपनी फीस इतनी बढ़ा दी है कि पैरेंट्स का के होश उड़ गए हैं। सिटी के कई टाप कालेजेज ने अपनी फीस 50 से 80 परसेंट तक बढ़ा दी है। खास बात यह कि इस बेतहाशा बढ़ती हुई फीस पर लगाम कसने वाले अधिकारी चुपचाप बैठे हैं.
हाय हाय फीस
आदिल सिटी के लामार्टिनियर ब्वायज कॉलेज में फस्र्ट का स्टूडेंट है। जब उसने एडमिशन लिया था तो पापा ने साल भर की फीस 17 हजार रुपए जमा की थी। साल भर बाद कॉलेज ने फीस में दो हजार रुपए की वृद्धि कर दी। मगर इस बार कॉलेज ने पैरेंट्स की जेब का जरा भी ख्याल नहीं रखा और साल भर की फीस में 80 परसेंट तक इजाफा कर दिया। जी हां पिछले साल तक जो फीस 19 हजार रुपए ली जाती थी अब वह 29 हजार 800 रुपए हो गई है। पैरेंट्स परेशान हैं कि आखिर इतनी फीस बढ़ाने की वजह क्या है?
पहले 3800 और अब 7000
सिटी के लामार्टिर्नियर ब्वायज कॉलेज ने ही पैरेंट्स की जेब पर डाका नहीं डाला बल्कि सिटी के एक और पॉश कॉलेज लोरेटो कान्वेंट ने भी अपने यहां पर फीस इतनी बढ़ा दी है कि पैरेंट्स का हाल बुरा हो गया है। सबसे ज्यादा फीस सिटी के लोरेटो कान्वेंट में ही बढ़ाई गई है.
यहां पर फीस में 92 परसेंट तक इजाफा किया गया है। पिछले साल तक यहां पर बच्चों से 3800 रुपए क्वार्टरली फीस ली जाती थी लेकिन इस फीस में ऐसी आग लगी कि उसने पैरेंट्स का पूरा बजट ही जला डाला। यह फीस 3800 से 7000 तक पहुंच चुकी है।
यहां पर भी बढ़ी है फीस
पिछले कई दिनों से पैरेंट्स का गुस्सा झेल रहा सेंट फ्रांसिस कॉलेज ने भी अपने यहां पर फीस बढ़ा दी है। यहां पर फीस लामार्ट और लोरैटो की तरह तो नहीं बढ़ी है मगर बढ़ी फीस ने पैरेंट्स की जेब पर बोझ बढ़ा दिया है। यहां पर फीस में 35 परसेंट तक की वृद्धि की गई है.
कॉलेज पिछले साल तक जिन बच्चों से ग्यारह सौ रुपए लेता था अब उनकी मंथली फीस में तीन सौ रुपए का इजाफा कर दिया है। कुछ ऐसा ही हाल लखनऊ पब्लिक कालिजिएट का है। यहां पर भी फीस में 30 परसेंट तक का इजाफा किया गया है। पिछले साल तक डे बोर्डिंग की फीस यहां पर 33 हजार रुपए थी जो कि अब बढ़ कर 41 हजार रुपए हो गई है.
आखिर किससे करें शिकायत?
सिटी के टाप कॉलेज में फीस आसमान को छूती जा रही है लेकिन इस पर लगाम कसने वाला कोई नहीं है। चौक में रहने वाले जाफर का कहना है कि यह सभी कॉलेज अपनी मनमानी पर उतर आए हैं। यहां पर फीस बढ़ाने का कोई नियम ही नहीं है। जिसकी जितनी मर्जी होती है वह उतनी फीस बढ़ा देता है.
अगर सालाना दस से पंद्रह परसेंट तक इजाफा हो तो पैरेंट्स को इतनी परेशानी नहीं होगी लेकिन यहां पर तो बेताहशा फीस बढ़ाई जा रही है। स्कूल पूरा बोझ पैरेंट्स पर ही लादने पर तुला हुआ है। जानकीपुरम में रहने वाले वीरेन्द्र दीक्षित बताते हैं कि इन स्कूलों में जो फीस बढ़ी है उसकी शिकायत किससे की जाए.
कोई ऐसा अधिकारी ही नहीं है जो इन पर कार्रवाई करे या फिर इनके मानक तय करें। अगर कोई एजुकेशन डिपार्टमेंट में इसकी शिकायत करता भी है तो स्कूल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इस बारे में कई स्कूलों के प्रिसिंपल से बात करने की कोशिश की गई लेकिन कोई मिलने के लिए तैयार नहीं हुआ.
ट्यूशन और कोचिंग की फीस तो बचाएं
प्रो। मनोज दीक्षित बताते हैं कि मुसीबत यह भी है कि हर पैरेंट्स अपने बच्चों को काबिल बनने पर आमादा हो चुका है। पहले महंगी स्टेशनरी घर का बजट खराब करती है फिर बेहिसाब बढ़ी स्कूली फीस बची हुई कसर पूरी कर देती है। उसके बाद बच्चों को आगे बढ़ाने की होड़ में वह उसे कोचिंग भी कराता है और वहां पर भी मोटी फीस जमा करता है। अगर वह बच्चों पर खुद ध्यान दे तो कम से कम यह फीस तो बचाई जा सकती है.

जिन स्कूलों ने फीस बढ़ाई है वह सभी या तो सीबीएसई बोर्ड या आईसीएसई बोर्ड से जुड़े हैं। इसमें स्टेट गवर्नमेंट कुछ नहीं कर सकती। आईसीएसई बोर्ड का निर्देश है कि फीस सुविधा के अुनसार ही बढ़ाई जाए। अगर किसी को शिकायत करनी है तो वह इसकी शिकायत सीधे काउंसिल से लेटर भेज कर सकता है.
राजेन्द्र सिंह, एडीआईओएस एंग्लो इंडियन स्कूल

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