AGRA। ताजमहल की नगरी में रीयल एस्टेट के कारोबार में मंदी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। मंदी के चलते कारोबार से जुडे़ घरानों ने अपना बिजनेस बदलने का मन बना लिया है। बल्कि कई बिल्डर घराने तो दिल्ली-मुंबई में अपना बिजनेस जमाने के लिए अच्छा खासा रुपया इंवेस्ट कर चुके हैं। आगरा में छाई बेरोजगारी इस कारोबार की अहम वजह मानी जा रही है।

प्रोजेक्ट कर रहे बंद

पिछले कई दिनों से यह कारोबार मंदी की मार झेल रहा है। मार्केट में स्लंप आने के

कारण बिल्डर्स के फ्लैट और घर न तो बुक हो रहे हैं और न ही बिक रहे हैं। इस वजह से कई बडे़ बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स जहां के तहां रुक गए हैं। अधूरे प्रोजेक्ट में अब वह रुपया लगाने का मन नहीं बना रहे। इधर, नए प्रोजेक्ट भी लांच नहीं कर रहे। कारोबार से जुड़े लोग बताते हैं कि ओपी चेन वालों ने ताज पैराडाइज के नाम से ्रप्रोजेक्ट लांच किया था। बाजार की स्थिति को देखकर प्रोजेक्ट बंद कर दिया।

दूसरे कारोबार में लगाया पैसा

रीयल एस्टेट में आई मंदी के बाद कई बिल्डरों ने कारोबार ही बदल दिया है, लेकिन इस कारोबार से मोहभंग नहीं हुआ है, लेकिन फिर बहार आने का इंतजार किया जा रहा है। नालंदा बिल्डर्स के डायरेक्टर संतोष कटारा ने अब होटल एंड फिल्म इंडस्ट्री में पैसा लगाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा प्रफुल्ल बिल्डर्स ने साड़ी के कारोबार में वापसी कर ली।

पैसा नहीं निकल पा रहा है

नाम न छापे जाने की शर्त बताया गया है कि कई प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनका पैसा नहीं निकल पा रहा। प्रोजेक्ट पूरा किए जाने के लिए मार्केट से पैसा तो उठा लिया, लेकिन उनके पैसे की वापसी नहीं हो पा रही है, जिसके कारण उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा रही है। कई ?िाल्डर्स को नोटिस भेजा जा चुका है। एक्सप‌र्ट्स के अनुसार रीयल एस्टेट कारोबार में सुधार होने में करीब दो साल और लग जाएंगे।

शहर में 650 करोड़ के करीब का है कारोबार

शहर में रीयल एस्टेट का करीब 650 करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार है। इसमें पुष्पांजलि, नालंदा, शिखर रेजीडेंसी, ताज पैराडाइज, मंगलशिला, आधार और निकेत, गायत्री, आस्था सिटी, कावेरी, निल, दीक्षा, रामरघु आनंद आदि शहर में कई बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। शहर में करीब दो दर्जन ?िाल्डर हैं। इसके अलावा शहर से सटे देहाती क्षेत्रों में कई छोटे बिल्डर्स भी खेतों में कॉलोनियां डेवलप कर रहे हैं।

------