दो छोटे बच्चों की मां बिंदू को यह पता नहीं था कि उसके पैरेंट्स द्वारा डाउरी की मांग पूरी करने की असमर्थता उसकी जिंदगी पर ही एक सवाल खड़ा कर देगा। महज एक बाइक की डिमांड पूरी नहीं हो पाने के कारण पति और ससुर ने 23 साल की बिंदू को केरोसिन छिडक़कर जलाने की कोशिश की। हद तो यह है कि लगभग 60 परसेंट जलने के बाद जब बिंदू को एमजीएम हॉस्पिटल लाया गया तो यहां के बर्न वार्ड में उसके लिए कोई जगह नहीं थी। दर्द से कराह रही बिंदू की पीड़ा को लचर सरकारी सिस्टम ने और बढ़ा दिया। हॉस्पिटल के इमेरजेंसी फिमेल वार्ड में पड़ी बिंदू की सूनी आंखे इस सिस्टम पर एक सवाल खड़ा कर रही है जिसका जवाब शायद किसी के पास नहीं।

क्या हुआ था बिंदू के साथ
बिंदू की शादी पांच साल पहले गदरा बस्ती में रहने वाले टेल्को इंप्लॉई(कांट्रैक्ट बेसिस पर) दिलीप ठाकुर के साथ हुई। शादी के कुछ महीने बाद से ही दिलीप और उसके घर वाले बिंदू से दहेज के रूप में बाइक की डिमांड करने लगे। बिंदू के लाचार पिता भुवनेश्वर ठाकुर उनकी डिमांड पूरी करने में असमर्थ थे। इसके बाद बिंदू को उसके पति और ससुराल वालों द्वारा तमाम तरह की यातनाएं दी जाने लगीं। इस बीच बिंदू दो बच्चों की मां भी बनी लेकिन उसपर पति के जुल्म कम होने की बदले और बढऩे लगे। पिछले डेढ़ साल से बिंदू का अपने मायके से भी आना-जाना बंद करवा दिया गया था।


भाई का मिलने जाना बना काल
बिंदू की मां रेखा देवी ने बताया कि काफी दिनों से बहन की खोज खबर नहीं मिलने के कारण उसका छोटा भाई फ्राइडे को बिंदू से मिलने उसके ससुराल गया। बहन और भांजे-भांजी से मिलकर निकलते हुए उसके जीजा दिलीप ने देख लिया। फिर क्या था, दिलीप को एक बहाना मिल गया। उसने पहले तो बिंदू की जमकर पिटाई की और फिर अपने पिता रामचंद्र ठाकुर के साथ मिलकर पास रखे गैलन से बिंदू के बॉडी केरोसिन छिडक़कर आग लगा दी।

2 साल की लक्ष्मी को भी उसके पिता ने पीटा
आग की लपटों में झुलसती बिंदू को देखकर उसकी दो साल की बेटी लक्ष्मी ने मग में पानी लेकर उसके शरीर पर डाल दिया। यह देखकर बिंदू के हसबैंड दिलीप ने अपनी मासूम बेटी को भी पीटा। उसके बाद घर के मेंबर्स बिंदू की चीख से बेपरवाह होकर बाहर जाकर बैठ गए। जब इस बात की खबर बिंदू के मायके तक पहुंची तो उसके भाई और मां ऑटो लेकर वहां गए और बिंदू को एमजीएम में एडमिट कराया।

बर्न वार्ड में बिंदू को नहीं मिली जगह
फ्राइडे को दिन के लगभग साढ़े ग्यारह बजे एमजीएम मे लाया गया। हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में बिंदू को जगह नहीं। इमेरजेंसी फिमेल वार्ड में बिंदू को रखा गया। इस बारे में एमजीएम के डॉक्टर का कहना था कि बर्न वार्ड में प्रॉपर ट्रीटमेंट की फैसिलिटी नहीं होने की वजह से बिंदू को यहां रखा गया, जबकि बिंदू की बर्न इंज्युरी लगभग 60 परसेंट है जो मेडिकली क्रिटिकल माना जाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि ओपेन वार्ड में ऐसे पेशेंट्स को ज्यादा समय तक रखने पर उन्हें इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

मां ने कहा करेंगे केस
बिंदू की मां रेखा देवी ने कहा कि वह अपनी बेटी के साथ हुई इस ज्यादती पर चुप नहीं बैठेंगी। उन्होंने कहा कि वह दामाद और उसके फैमिली मेंबर्स के ऊपर इस मामले को लेकर केस करेंगी। हालांकि परसुडीह थाना इंचार्ज रूप कुमार ने देर रात आई नेक्स्ट को बताया कि इस मामले में पुलिस के पास किसी तरह का कंप्लेन नहीं आया है।

हाल-ए-बर्न वार्ड
बिंदू की हालत देखने के बाद जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर एमजीएम के बर्न वार्ड का हाल जानने वहां पहुंचे तो स्थिति बहुत ही भयावह दिखी। 10 बेड की कैपेसिटी वाले बर्न वार्ड में प्रजेंट में 20 पेशेंट्स एडमिट थे। पेशेंट्स के केयर करने के लिए केवल एक नर्स अवेलेवल थी। जब आई नेक्स्ट टीम ने पूछताछ की तो पता चला कि बर्न वार्ड में एक मात्र पोस्टेड डॉक्टर और वार्ड के हेड ललित मिंज पिछले चार दिनों से छुट्टी पर हैं। वार्ड में एडमिट पेशेंट्स की केयर करने के लिए प्रजेंट में केवल चार नर्सेज और एक अटेंडेंट अवेलेवल हैं। वार्ड में इतनी पेशेंट्स के लिए हैंगिंग बेड भी अवेलेवल नहीं थे। हैंगिंग बेड का यूज बर्न पेशेंट्स को इंफेक्शन से बचाने के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं फैसिलिटीज के नाम पर गंदगी से भरे दो टूटे बाथरूम और टॉयलेट, गंदे बेड शीट्स, सूखा हुआ नलका और आस-पास बायोमेडिकल वेस्ट्स पड़े हुए थे। जब इस मसले पर आई नेक्स्ट ने एमजीएम के सुप्रिंटेंडेंट शिवशंकर प्रसाद से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।