अब जेल प्रशासन इसकी जांच कर रहा है कि डॉ। शुक्ला के मोजे में बरामद हुई सलफास को उन्होंने सुसाइड करने के लिये रखा था या फिर इसे जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने के लिये रखा गया था। दूसरी तरफ प्रदेश में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटाले की वजह से हुए एक के बाद एक छह मौतों की गुत्थी सुलझाने के क्रम में सीबीआई ने रविवार देर रात पूर्व सीएमओ डॉ। एके शुक्ला को अरेस्ट कर लिया था।

शुक्ला को मंडे की दोपहर बाद सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। सीबीआई ने दस दिन की रिमाण्ड मांगी थी लेकिन कोर्ट ने सीबीआई की रिमाण्ड अर्जी पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया है। शुक्ला को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अगली सुनवाई नौ मई को होगी।

आज पेश करनी थी स्टेटस रिपोर्ट

सीबीआई को एनआरएचएम घोटाले में सोमवार को स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी थी। साथ ही फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट के दो-दो सीएमओ डॉ। विनोद आर्या और डॉ। बीपी सिंह के मर्डर और डिप्टी सीएमओ डॉ। योगेंद्र सिंह सचान की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की जांच में भी डेट बढ़वानी थी। इसी क्रम में सीबीआई के दिल्ली से आये अधिकारियों ने देर रात पूर्व सीएमओ डॉ। एके शुक्ला को अरेस्ट किया था।

नहीं मिली रिमाण्ड

सीबीआई ने एके शुक्ला को कोर्ट में पेश करने के बाद सात दिन की रिमाण्ड मांगी थी। लेकिन कोर्ट ने रिमाण्ड पर कोई फैसला नहीं लिया और फिलहाल डॉ। एके शुक्ला को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

28 मई तक मांगी रिपोर्ट

उधर, हाईकोर्ट ने दो सीएमओ और एक डिप्टी सीएमओ की जांच की डेट बढ़ाने के लिए पड़ी सीबीआई की अप्लीकेशन पर 28 मई तक प्रगति रिपोर्ट और चार्जशीट पेश करने को कहा है जिसके बाद कोर्ट डिसीजन लेगा कि डेट बढ़ाई जाय या नहीं।

क्या था पूरा मामला

सीबीआई के सूत्रों की मानें तो डॉ। एके  शुक्ला ने परिवार कल्याण डिपार्टमेंट के अलग होने के बाद से ही साजिश शुरु कर दी थी। इसके बाद डॉ। विनोद आर्या की पोस्टिंग फैमिली वेलफेयर में सीएमओ की पोस्ट पर हुई तो डॉ। एके शुक्ला ने वहां भी हस्तक्षेप करना शुरु कर दिया। लेकिन उनका प्रेशर डॉ। विनोद आर्या पर काम नहीं कर रहा था।

जिसके बाद आर्या की हत्या का खाका तैयार हुआ और 27 अक्टूबर को मार्निंग वाल्क के दौरान डॉ। विनोद आर्या को गोलियों से छलनी कर दिया गया। इसके बाद तीन महीने तक सीएम फैमिली वेलफेयर की पोस्ट पर किसी की पोस्टिंग नहीं हुई। तीन महीने बाद डॉ। बीपी सिंह को सीएमओ फैमिली वेलफेयर बनाया गया और एक ही महीने के बाद दो अप्रेल 2011 को उनकी भी बिल्कुल उसी तरह हत्या कर दी गयी.मामले की सीबीआई जांच की आवाज उठने लगी तो तत्कालीन मायावती सरकार ने हेल्थ मिनिस्टर अनंत मिश्रा और फैमिली वेलफेयर मिनिस्टर बाबू सिंह कुशवाहा से इस्तीफा ले लिया। और डॉ। एके शुक्ला और डिप्टी सीएमओ डॉ। योगेंद्र सिंह सचान के खिलाफ एफआईआर कराने का आदेश दे दिया।

17 जून को एसटीएफ ने एक शूटर और एक ठेकेदार समेत तीन लोगों को अरेस्ट किया और खुलासा किया कि डॉ। योगेंद्र सिंह सचान ने ही दोनों डाक्टरों की हत्या करायी थी। 22 जून को डॉ। सचान की भी जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी।

पहले भी अरेस्ट हो चुके हैं डॉ। एके शुक्ला

डॉ। एके शुक्ला का नाम एनआरएचएम स्कीम के तहत आये पैसों में अनियमितता का मामला सबसे पहले पिछले साल सात अप्रेल को वजीरगंज कोतवाली में दर्ज किया गया था। डॉ। एके शुक्ला के अलावा डिप्टी सीएमओ डॉ। योगेंद्र सिंह सचान और कई ठेकेदारों समेत सात अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था.  डॉ। एके शुक्ला को छोड़ कर बाकी सभी आरोपियों को अरेस्ट कर लिया था।

दो महीने बाद 12 जुलाई को डॉ। एके शुक्ला को वजीरगंज पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। डॉ। शुक्ला पर वजीरगंज थाने में मुकदमा अपराध संख्या 115/2011 के अंडर सेक्शन 409, 419, 420,467, 468,471 और 120 बी के तहत गिरफ्तारी की गयी है। उनके खिलाफ स्वास्थ निदेशालय परिवार कल्याण डॉ। राजेंद्र सिंह ने सात अप्रेल को केस रजिस्टर कराया था। हालांकि इसके अगले ही दिन हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉ। सचान की जेल में हुई संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला सीबीआई को सौंप दिया था।

अब प्रदीप शुक्ला पर नजर

डॉ। एके शुक्ला की गिरफ्तारी के बाद यह कयास लगाया जाने लगा है कि प्रमुख सचिव स्वास्थ रहे प्रदीप शुक्ला पर भी किसी भी समय कार्रवाई हो सकती है। इससे पहले प्रदीप शुक्ला के ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी कर चुकी है।