RANCHI: झारखंड रत्‍‌न डॉ बीपी केशरी के निधन की खबर सुनकर पूरे साहित्य, कला और शिक्षा जगत के लोगों में इस बात का मलाल है कि राज्य के थिंक टैंक अब नहीं रहे। अब कौन करेगा राज्य की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उदारता की बात, कौन कहेगा हमीन कर झारखंड राज्य कर अखरा, क्षेत्रीय भाषा आउर संस्कृति के बचाएक हे, इकर खातिर सबके चिंता करेक चाही। उनके ये बोल उनके करीबी रहे परम मित्रों, साथ में जनजातीय भाषाओं में शोध किए सहकर्मियों और उनके व्यक्ति्व से प्रभावित लोगों के जुबां पर है। हर कोई का कहना है कि डॉ केशरी का निधन राज्य के लिए बड़ी क्षति है, जिसकी पूर्ति किसी भी सदी में संभव नहीं। उनकी मौत से झारखंड राज्य को बड़ा झटका हुआ है। उनके निधन पर पूरे राज्य के साहित्यकारों, शिक्षाविदों सहित राजनीतिक महकमे में शोक की लहर है।

वर्जन :

मैंने केशरी जी से अंतिम बार उनकी मौत से लगभग दस घंटे पहले बातचीत की थी। उनसे झारखंड आंदोलन से संबंधित एक लेख पर बातचीत की और उनका स्वास्थ्य पूछा था। ठिक दूसरे दिन उनकी मौत की खबर सुनना दुखदाई था। उनके निधन से राज्य के साहित्यिक महकमे को बड़ा झटका लगा है।

-बलवीर दत्त, वरीष्ठ पत्रकार

केशरी जी का निधन राज्य में सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवेश के लिए बड़ी क्षति है। जिसकी पूर्ति किसी भी सदी में संभव नहीं है। जिस राज्य का उन्होंने सपना देखा था, वो अब भी अधूरा है। राज्य ने अभिभावक खो दिया।

-मुकुंद नायक, नागपुरी गायक सह झारखंड आंदोलनकारी

राज्य सरकार ने बीपी केशरी जैसी विभूति को खो दिया, लेकिन उनके शोध, चिंता, विकास का खाका राज्य के विकास में इस्तेमाल नहीं किया। सरकार बची हुई विभूतियों और चिंतकों की परवाह करे, ताकि राज्य को ऐसे लोगों से भला हो सके।

-नौशाद खान, अध्यक्ष, लोक सेवा समिति

डॉ बीपी केशरी सत्य के उपासक थे। उन्होंने बताया था कि उनका सामना कई बार चमत्कारिक शक्तियों से भी हुआ। इसलिए दावा है कि उन्होंने साक्षात भगवान का भी दर्शन किया है। वे ज्ञान, भक्ति और सत्य के उपासक थे।

-ईश्वर साहू, परम मित्र