वहां पर पोस्‍ट महज 8 थीं

विशिष्ट वैज्ञानिक, प्रशासक, शिक्षाविद तथा लेखक के रूप जाने गए डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी नई किताब 'माई जर्नी : ट्रांसफार्मिग ड्रीम्स इन टू एक्शंस' में अपने बारे में पूरा जिक्र किया था। उन्‍होंने लिखा था कि वह वैज्ञानिक बनने से पहले वो एयरफोर्स में जाना चाहते थे, यह उनका बचपन से सपना था, लेकिन वायुसेना में उन्‍हें नौवां स्‍थान मिला था और वहां पर पोस्‍ट महज 8 थीं। जिससे उनका सपना अधूरा रह गया। इस किताब में उन्‍होंने यह भी लिखा कि वह एयरफोर्स में इसलिए पायलट बनना चाहते थे क्‍योंकि 'वह हवा में ऊंची से ऊंची उड़ान के दौरान मशीन को नियंत्रित करना चाहते थे। वह देश सेवा करना चाहते थे। इसके लिए उन्‍हें दो बार साक्षात्‍कार के लिए भी आमंत्रित किया गया। जिसमें एक देहरादून में भारतीय वायुसेना और दूसरा दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (डीटीडीपी) का था।

25 उम्मीदवारों में नौवां स्थान

मद्रास प्रौद्योगिकी संस्थान से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले कलाम ने किताब में अपने साक्षात्‍कारों का भी काफी गंभीरता से व्‍याख्‍यान किया था। उन्‍होंने लिखा था कि उस दौरान डीटीडीपी का इंटरव्यू आसान था, लेकिन इंटरव्यू के दौरान के उन्‍हें इस बात का अहसान हुआ था कि कि योग्यता और इंजीनियरिंग के ज्ञान के अलावा इंटरव्यू बोर्ड उम्मीदवारों में खास तरह की होशियारी देखना चाहता था। वह उनमें कुछ और नया देखना चाहते थे। जिससे वहां आए 25 उम्मीदवारों में उन्‍हें नौवां स्थान मिला, लेकिन पोस्‍ट कम होने की वजह से वह बाजी हार गए। जिससे उन्‍हें अपने सपने को बदलना पड़ा और वैज्ञानिक बन गए। इतना ही नहीं इस किताब में उन्‍होंने अपने जीवन से जुडे और भी बहुत सारे रोचक तथ्यों का वर्णन किया था। जिसमें विज्ञान की दुनिया के उतार चढ़ाव से लेकर वैज्ञानिक दृष्िटकोण से जुड़ी बातों का जिक्र किया था। सबसे खास बात तो यह है कि डॉ अब्‍दुल कलाम इस समय &विजन 2020&यको ध्‍यान में रखते हुए एक किताब लिख रहे थे। इस किताब के करीब 7 अध्‍याय लिखे जा चुके हैं।

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