- जलनिकासी की समस्या को दूर करने के ठोस उपाय नहीं

- बारिश में पब्लिक हर साल झेलती है परेशानी

VARANASI

शहर की जलनिकासी व्यवस्था का ठोस उपाय न होने से हर साल पब्लिक दिक्कत झेलती है। गली-मोहल्ले झील हो जाते हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण छोटे-बड़े नालों की समय से सफाई न होना है। इसके अलावा सालिड वेस्ट को नाली सीवर में बहाने पर रोकथाम के उपाय न होना, शहर के बड़े ड्रेनेज सिस्टम शाही नाला की सफाई का काम अब तक पूरा न होना, गलियों में नालियों की नियमित सफाई न होना ऐसे कारण हैं। जिसके चलते शहरवासी हर साल नारकीय हालत से गुजरते हैं।

नालों की सफाई अब तक श्ाुरू नहीं

शहर के नालों के सफाई की योजना कच्छप गति से चल रही है। जबकि 15 जून से पहले नालों को साफ करना है। करीब डेढ़ साल से हो रही शाही नाले की सफाई भी अब 50 फीसदी हो पाई है। ऐसे में इस बार बारिश में फिर शहर जलमग्न होगा। शहर के छोटे-बड़े 70 नालों की सफाई के लिए अब तक महज 35 का ही टेंडर हो पाया है। बचे नालों के लिए ठेकेदारों का इंतजार हो रहा है। जिन नालों का टेंडर हो गया। उनकी सफाई भी अब तक नहीं शुरू हो सकी है। अगर मानसून से पहले नालों को साफ नहीं किया गया तो स्थिति खराब होने वाली है। जिससे पब्लिक दिक्कत झेलेगी।

वाटर ड्रेनेज िसस्टम फेल

जलनिकासी व्यवस्था को सुधारने के लिए जेएनएनयूआएम के तहत पिछले सालों में शहर में कई काम हुए हैं। इसमें नए नालों का निर्माण, ध्वस्त व उखड़े नालों की मरम्मत, रोड साइड नाली, पुराने नालों की सफाई, तालाबों, कुंडों की सफाई के मद में करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। बावजूद इसके मानसून आते ही वाटर ड्रेनेज सिस्टम फेल दिख्ाता है।

स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम में सीवेज

बनारस में बारिश की जलनिकासी व्यवस्था के लिए करीब साढ़े तीन सौ करोड़ की लागत से स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया गया है। इसकी निकासी गंगा में होती है। नियम के मुताबिक इस सिस्टम में सीवेज नहीं जाना चाहिए। लेकिन जलनिगम की अनदेखी का परिणाम रहा कि करीब दस हजार लोगों ने घरों के शौचालय का कनेक्शन सिस्टम से जोड़ लिया। इससे सीवेज गंगा में जाकर गिरने लगा।

इन जगहों पर सबसे ज्यादा समस्या

शहर के बड़ी गैबी, नगवा, शिवपुरवा, निराला नगर, सरैया पोखरी, जलालीपुरा, मखदूम बाबा, अहमदनगर, कोनिया, रमरेपुर, मवइया यादव बस्ती, देव पोखरी, शायरा माता मंदिर, सरैया निगोरिया, सरैया मुस्लिम बस्ती, जेपी नगर मलिन बस्ती, शेखनगर, पांडेयपुर, अमरोहिया, जैतपुरा, देव पोखरी, जक्खा कब्रिस्तान, आकाशवाड़ी मोड़, कैंट स्टेशन के आसपास कुछ स्थान, अम्बा पोखरी आदि जगहों पर बारिश के समय जलनिकासी की समस्या बनी रहती है।

समस्या के ये हैं कारण

- नालों की समय से सफाई न होना

- पुरानी व जर्जर सीवरलाइनें

- शाही नाले का काम पूरा न होना

- नालों-सीवरों में सालिड वेस्ट फेंकना

- सड़कों की खोदाई

- घनी व मलिन बस्तियां

एक नजर

- 70 छोटे-बड़े नाले हैं शहर में

- 42130 मीटर है नालों की लम्बाई

- 800 किमी सीवरलाइन है शहर में

- 142 किमी सीवर है ट्रांसवरुणा में

- 6 करोड़ रुपये खर्च दो सालों में

- 35 नालों की सफाई का टेंडर

बारिश में समस्या को दूर करने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। नालों की सफाई के लिए टेंडर निकाले गए थे। जिसमें 35 नालों के टेंडर हुए। इनकी सफाई का काम जल्द शुरू होगा। बाकी बचे नालों के लिए दोबारा टेंडर निकाला जाएगा। सीवर की सफाई जलकल करवाता है।

लोकेश जैन, चीफ इंजीनियर, नगर निगम