- बंद करने पड़े एसपीएस, एसटीपी तक नहीं पहुंचा डिस्चार्ज

- नालियों भी हुई ओवरफ्लो, सड़कों पर फैला पानी

वृंदावन: शहर के नालों के साथ ही जर्जर सीवर लाइन भी यमुना के लिए नासूर बन चुकी है। आए दिन फटने वाली सीवर लाइन गुरुवार को फिर फटने से यमुना में गदंगी का गरल घुल गया। सीवेज पं¨पग स्टेशन बंद होने से सारी गंदगी नालियों और उनके जरिए यमुना में पहुंचती रही। इन हालात को काबू करने में जल निगम भी मजबूर है। बुधवार देर शाम मुखर्जी पार्क सीवेज पं¨पग स्टेशन से मथुरा रोड पर बने 4 एमएलडी क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट तक जाने वाली पाइप लाइन फट गई। इस कारण सीवेज सड़क पर फैलने लगा। पाइप फटने की जानकारी पाकर मुखर्जी पार्क सीवेज पं¨पग स्टेशन की मशीनों को बंद कर दिया गया। इसके बाद किशोरपुरा, विहारघाट, लक्ष्मण शहीद और ज्ञान गुदड़ी क्षेत्र में बने कुंओं का गंदा पानी मुखर्जी पार्क एसपीएस पर आना बंद हो गया। इससे इन क्षेत्रों की नालियां ओवरफ्लो होने लगीं और सड़क पर पानी फैलने लगा। इन चारों क्षेत्रों का गंदा पानी पहले इन कुंओं पर एकत्रित होता है और यहां से मुखर्जी पार्क में बने सीवेज पं¨पग स्टेशन पर जाता है। इस एसपीएस से पानी मथुरा रोड पर स्थित पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर भेजा जाता है। यहां से इस पानी का उपयोग खेती कार्य भी किया जाता है।

सीवेज पं¨पग स्टेशन की मशीनें गुरूवार पूरे दिन बंद रहीं। इस कारण शहर का गंदा पानी नालों के जरिए श्याम कुटी की तरफ से होकर यमुना में प्रवाहित होता रहा। खबर लिखे जाने तक नगर पालिका के सेनेटरी इंस्पेक्टर अवधेश यादव और योगेंद्र शर्मा पाइप लाइन को ठीक कराने के कार्य में लगे रहे।

मियाद पूरी हो चुकी है पाइप लाइनों की

मुखर्जी पार्क एसपीएस से पुराने एसटीपी तक सीवरेज पाइप लाइन तकरीबन 19 साल पहले बिछाई गई थी। कर्मियों की मानें तो इन पाइप लाइनों की मियाद काफी समय पहले पूरी हो चुकी है। इस कारण पाइप लाइन आए दिन कहीं न कहीं फटती रहती है।

उमा की झोली से 29 करोड़ का इंतजार

जर्जर पाइप लाइन को बदलने के लिए विभाग केंद्र सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहा है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि दो साल पहले केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती वृंदावन आई थीं। उन्होंने घाटो और नालों का निरीक्षण किया था। सख्ती से कहा था कि यमुना में किसी भी तरह की गंदगी न जाए। उनके सामने बात रखी गई थी कि सीवर लाइन काफी जर्जर हो चुकी है। पाइप लाइन बदलने की जरूरत है। तब उन्होंने जल निगम के अफसरों से कहा था कि प्रस्ताव बनाकर भेजो, केंद्र सरकार इसके लिए पैसा देगी। तब विभाग ने लगभग 29 करोड़ रुपये लागत का प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया। विभाग के अधिशासी अभियंता निजामुद्दीन ने बताया कि प्रस्ताव भेजे दो साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक एक पैसा भी नहीं मिला है। इसकी वजह से पाइप लाइन नहीं बदल पा रहे हैं।