- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हुआ 'नागमंडल' नाटक का मंचन

- गिरीश कर्नाड की कहानी के जरिए महिलाओं की व्यथा का जीवंत चित्रण

ALLAHABAD: पौराणिक कथा के मुताबिक जिस तरह इच्छाधारी नाग वेश बदल लेते थे। उसी तरह आज इंसान भी इंसान नहीं बल्कि इच्छाधारी नाग हो गया है, जो नाग बन कर नारी की पवित्रता को डंस रहा है और उसे अपनी फुंफकार से विवश कर छल रहा है। प्रसिद्ध नाटककार गिरीश कर्नाड द्वारा लिखी गई कहानी नाग मंडल के जरिये इंसान से इच्छाधारी नाग बन चुके मनुष्यों के स्वरूप को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉल में नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।

नाग को पति समझती रही वो नारी

सुरेश केसरवानी द्वारा निर्देशित नाटक नागमंडल के मंचन के जरिये बताया गया कि किस तरह से नारी का शोषण हो रहा है.नाटक में यह बताया गया कि एक इच्छाधारी नाग एक महिला के साथ उसका पति बन कर साथ में रहता है.उसे छलता रहता है, लेकिन महिला को पता नहीं चलता है और वह गर्भवती भी हो जाती है। वहीं उसका पति दैवीय घटनाओं के कारण इस बात से निरूत्तर हो जाता है। वह यह जानता है कि वह अपनी पत्नी के समीप कभी नहीं गया, फिर भी पत्नी के जन्मे हुए बच्चे को अपनाने के लिए विवश हो जाता है। इंसान रूपी नाग द्वारा किस तरह से महिलाओं को छला जा रहा है.नाटक के जरिये बताया गया।