अक्सर आगंतुकों को देखकर नाक भवें सिकोड़ने वाले बाबू लोगों की तरफ मुस्कराकर देख रहे हैं. चेहरों पर मुस्कराहट और दिलों में जनता का ख़ौफ़.

गुरुवार को भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शुरू की गई हेल्पलाइन का पहला दिन था और सब चौकन्ने दिख रहे थे. यही हाल दिल्ली सरकार के दूसरे दफ़्तरों का भी है.

सब कुछ बदला-बदला सा दिख रहा है. मेरा पहला पड़ाव था, विकास भवन के पांचवें तल पर मौजूद एंटी करप्शन ब्यूरो का दफ़्तर. यहाँ भी सब कुछ बदला-बदला सा लगा.

विकास भवन के रिसेप्शन पर मौजूद कर्मचारी हो या चपरासी, सब लोगों के स्वागत में लगे हैं.

अलबत्ता एंटी करप्शन ब्यूरो में कुछ ज़्यादा गहमागहमी है. एक दल आ रहा है, तो एक दल जा रहा है.

हेल्पलाइन से मिली शिकायतों के बाद बारी-बारी से विभाग के अधिकारी और कर्मचारी छापेमारी के लिए रवाना हो रहे हैं.

कार्यालय के फ़ोन की घंटियाँ भी बजती चली जा रहीं हैं. एंटी करप्शन विभाग के स्वागत कक्ष में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि कार्यालय में एक ही दिन में इतने सारे फ़ोन पहले कभी नहीं आए हैं.

उन्होंने कहा, "यह तो हेल्पलाइन का कमाल है."

परिवर्तन

दिल्ली: बदले-बदले से 'सरकार' नज़र आते हैं

ख़ुद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बताया कि पहले दिन चार हज़ार के क़रीब शिकायतें आईं, जिनमें से 800 दर्ज की गईं.

उन्होंने कहा, "इनमें से 38 मामलों में लोग भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारियों का स्टिंग ऑपरेशन करने को तैयार हो गए थे."

अधिकारियों ने बताया कि कई मॉलों में छापेमारी भी की गई है. दिल्ली सचिवालय में तो परिवर्तन की बयार साफ़ दिख रही है. आम लोगों का आना-जाना लगा है.

बाहर मेरी मुलाक़ात कुछ ऐसे ही लोगों से हुई, जो अपने-अपने कामों से सचिवालय के विभिन्न विभागों में आए हुए थे. उनमें से एक ने कहा, "आज लग रहा है कि प्रजातंत्र है.''

जबकि वहाँ मौजूद एक अन्य शख्स का कहना था कि कोई भी परिवर्तन रातों-रात नहीं हो सकता. इसमें समय लगता है.

एक अन्य का कहना था, "जो आदतें कई सालों से ख़राब होती चली आईं हैं उन्हें बदलने में कुछ तो वक़्त लगेगा. लेकिन गुरुवार को परिवर्तन साफ़ दिख रहा था. दो दिन पहले जिस दफ़्तर में मैं काम से आया था, आज वहाँ का माहौल ही अलग था. दो दिन पहले जो अधिकारी या कर्मचारी सही तरह बात नहीं कर रहे थे, आज मेरी बातों में दिलचस्पी ले रहे थे."

स्टिंग का ख़ौफ़

दिल्ली: बदले-बदले से 'सरकार' नज़र आते हैं

लोगों ने बताया कि हेल्पलाइन की शुरुआत के पहले दिन भ्रष्ट कर्मचारियों के मन में ख़ौफ़ साफ़ दिख रहा था कि कहीं कोई उनका स्टिंग न कर रहा हो.

हालांकि केजरीवाल ने साफ़ किया कि सारे सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भ्रष्ट नहीं हैं.

मगर इसके बावजूद एक बात की चर्चा और हो रही थी. वो यह कि केजरीवाल के कुछ क़रीबी लोगों ने अब फ़ोन उठाने भी बंद कर दिए हैं.

कुछ मंत्रियों के बारे में भी लोग चर्चा कर रहे थे कि अब उनसे भी मिलना मुश्किल हो गया है.

उनका कहना है कि चुनाव से पहले तक ये मंत्री खूब आसानी से अपने फ़ोन पर उपलब्ध हुआ करते थे, पर आजकल वे मित्रों तक के फ़ोन नहीं उठाते.

मगर इन सबके बीच जो एक सकारात्मक बात सामने आई है, वो है मुख्यमंत्री का यह फ़ैसला कि उनकी सरकार अब ख़ुद सड़कों पर ही रहेगी.

हर रोज़ एक मंत्री सचिवालय की सड़क पर जनता की समस्याओं का निपटारा करेंगे, वहीं हर शनिवार को पूरा मंत्रिमंडल सड़कों पर जनता से रूबरू होगा.

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