ये हैं वो योजनाएं

आवासीय प्लॉट (एलआईजी, एमआईजी, एचआईजी)

- शताब्दी नगर एन्क्लेव-4, सेक्टर-10, 870 प्लॉट

- शताब्दी नगर एन्क्लेव-5, सेक्टर-11, 552 प्लॉट

आवासीय फ्लैट (एलआईजी, ईडब्ल्यूएफ)

- शताब्दी नगर एन्क्लेव-4, सेक्टर-10

- शताब्दी नगर एन्क्लेव-5, सेक्टर-11

- शताब्दी नगर एन्क्लेव-3, सेक्टर-7

- शताब्दी नगर एन्क्लेव-2, सेक्टर-9

तो योजना फेल

एमडीए के वीसी सतेंद्र कुमार सिंह ने बीते 30 सितंबर को आदेश जारी कर दिया है कि इन तमाम योजनाओं में आवेदन करने वाले लोगों के रुपए वापस लौटा दिए जाएं। यह आदेश उन लोगों के काफी बड़ा झटका है जो पिछले काफी समय से अपने लिए एक आशियाने का सपना देख रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि एशिया की चौथी सबसे बड़ी आवासीय परियोजना फेल्योर की कगार पर खड़ी है।

ब्याज के साथ होगी वापसी

आदेश में साफ कर दिया गया है कि आवेदकों की धनराशि का 4 फीसदी ब्याज के साथ वापस किया जाए। इसके लिए प्राधिकरण के संबंधित बाबूओं को एनालिसिस पर लगा दिया गया है। ताकि पता लग सके कि कितने लोगों को कितना रुपया वापस करना है।

ये रहा कारण

योजना के डूबने का मुख्य कारण जमीन एक्वायर न होना बताया जा रहा है। लोगों को प्लॉट और फ्लैट देने के लिए हजारों वर्ग मीटर जमीन की जरुरत थी। जो काफी प्रयासों के बाद भी नहीं मिल पा रही थी। इसके बाद प्राधिकरण को इन योजनाओं को वापस लेने का डिसीजन लेना पड़ा।

दो साल पहले निकली थी योजना

एमडीए ने इन योजनाओं को दो साल पहले इंट्रोड्यूस किया था। आवासीय प्लॉट शताब्दी नगर एन्क्लेव-4, सेक्टर-10, 870 प्लॉट की योजना 22 सितंबर 2011 में निकाली थी। वहीं  शताब्दी नगर एन्क्लेव-5, सेक्टर-11, 552 प्लॉट की योजना को 24 अक्टूबर 2011 को निकाली गई थी। शताब्दी नगर एन्क्लेव-4, एन्क्लेव-5, एन्क्लेव-3, एन्क्लेव-2 की आवासीय फ्लैट योजनाओं को 11 जुलाई 2011 को योजना निकाली थी।

3500 से अधिक ने किया था आवेदन

आवासीय प्लॉट और आवासीय फ्लैट योजनाओं में तकरीबन 3500 लोगों ने आवेदन किया था। आवासीय प्लॉट में 500 से अधिक लोगों ने आवेदन किया था। वहीं फ्लैट स्कीम्स में तकरीबन 3000 लोगों ने अपने आवेदन किए थे। जो इस आस में बैठे थे कि उनका अपने खुद के आशियाने का सपना जल्द ही पूरा हो जाएगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी न हो सका।

14 करोड़ रुपए जमा

पब्लिक ने इन परियोजनाओं में डाउन पेमेंट तक जमा करा दी थी। प्राधिकरण अधिकारियों की मानें तो तकरीबन 3500 लोगों ने प्राधिकरण में करीब 14 करोड़ रुपए तक जमा करा दिए थे। इसका पब्लिक को कोई फायदा नहीं हुआ।

लिया था 200 करोड़ रुपए का लोन

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट के लिए जहां-जहां लैंड को एक्वायर किया जाना था, वहां के किसानों को पेमेंट करने के लिए एमडीए के तत्कालिक वीसी ने 200 करोड़ रुपए का लोन भी लिया था। पेमेंट कुछ कर भी दिया गया, लेकिन योजनाओं को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका।

'हम योजनाओं को विड्रॉ नहीं कर रहे हैं, लेकिन जो अपने रुपए लेना चाहता है वो ले सकता है। अभी हम पूरी तरह से जमीन को एक्वायर नहीं कर सके हैं। जो हमारे साथ वेट करना चाहते हैं वो वेट कर सकते हैं.'

- सतेंद्र कुमार सिंह, वीसी, एमडीए