- एक झटके में साफ हो जाती है घर में रखी साल भर की जमा पूंजी

- बेटी के हाथ पीला करने से लेकर कई सपना हो जाता है काफूर

- किसानों की फसल और गरीबों की झोपडि़यां हो रही स्वाहा

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PATNA : सोचा था इस साल बेटी की शादी के बाद पक्की छत के नीचे रहने का सपना पूरा हो जाएगा, लेकिन न जाने किसकी नजर लगी और सपना काफूर हो गया। बेटी की शादी के चंद रोज पहले ही घर में खाना बनाने के दौरान आग ने कच्चे मकान के साथ सपनों को जला दिया। दिल को कचोटने वाली यह दर्द भरी पीड़ा कुम्हरार की रहने वाली मालती की है। वह हर साल इसी तरह सपने सजोती है लेकिन आग उसे तोड़ देती है। वह अकेली नहीं जिसके सपने आग से राख होते हैं। ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है जिनके लिए गरीबी पर आग का कहर भारी पड़ जाता ता है।

- केस एक

आशियाना दीघा रोड पर फूस के मकान में वर्षो से खुशहाल जिंदगी जीने का सपना देख रहा श्याम सुंदर से आग की क्या इुश्मनी है कि हर साल उसका सपाना टूटता है। अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही उसके घर के चूल्हे से निकली चिंगारी ने उसका आशियाना जलाकर राख कर दिया। इस घटना में उसके पड़ोसी की भी झोपड़ी आग के हवाले हो गई। श्याम सुंदर का कहना है कि तीन साल से आग से उसका घर तबाह हुआ है। वह घटना के बाद नया आशियाना बनाता है और जैसे ही स्थित सुधरती है अप्रैल मई में आग से कोई न कोई नुकसान हो ही जाता है।

- केस दो

राजीवनगर के अुर्जन राव की कमर तो आग ने ही तोड़ दिया है। बच्चों की पढ़ाई और पक्के घर का सपना तो आग पूरा ही नहीं होने दे रही है। पिछले साल भी आग ने जमा पूजी जलाकर साफ कर दी और इस बार भी वही हाल रहा। एक सप्ताह पूर्व रात में अचानक एक घर में आग लग गई और इस चपेट में उसका घर भी आ गया। घर में रखा पूरा सामान जलकर राख हो गया। बच्चों की किताबों से लेकर घर गृहस्थी का पूरा सामान जल गया। इस बार थोड़ा कारोबार अच्छा हुआ था और सोचा था कि घर के लिए नीव रख लेगा लेकिन जो सम्पत्ति बनाई थी सब जल गया।

- केस तीन

राजीवनगर के इ्रंदपुरी निवासी विजय के लिए भी आग का कहर अभिशाप बन गया है। हर साल कोई न कोई ऐसा संयोग बनता है कि उनकी जमा पूजी साफ हो जाती है। विजय का कहना है कि पिछले साल भी आग ने उनकी पूरी गृहस्थी चौपट कर दी थी। इस बार इस बार भी वही हुआ। वह सोचे थे कि इस बार पूरी तरह से सावधानी बरती जाएगी और आग से बचा लिया जाएगा। लेकिन पड़ोसी के घर से उठी आग की लपटों ने उनके कच्चे घर को भी आगोश में ले लिया।

- संयोग कहें या मीना का दुर्भाय

राजीवनगर की मीना का दुर्भाग्य कहें या फिर महज एक संयोग। तीन साल से उसका घर जला है। वह पहले इंद्रपुरी से आग रेल लाइन के किनारे कच्चे मकान में रहती थी लेकिन दो दो बार आग लगी तो झगह बदल दिया। अब राजीवनगर रेल क्रांसिंग के पास रहने लगी, लेकिन दुश्मन आग यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ी। एक सप्ताह पूर्व आधा दर्जन से अधिक घरों में आग से लाखों का नुकसान हुआ उसमें एक छोटा सा घर उसका भी था। मीना समझ नहीं पा रही है कि वह क्या करे और इस आपदा से कैसे निपटे। अब कहां जाएं जहां आग उसका पीछा न कर सके।

- थोड़ी सी लापरवाही तोड़ देती है सपना

अग्निशमन विभाग का कहना है कि आग की घटना का महज एक ही कारण है लापरवाही। अग लोग जागरूक रहें और आग के दिनों में सावधानी बरतें तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है। उनका कहना है कि खाना के चूल्हा तब तक न जलाया जाए जब तक हवा चले। अक्सर जब हवा चलती है तो लोग चूल्हा जला देते हैं। ऐसे में एक चिंगारी भी अगर उठती है तो पूरा घर जलाकर राख कर देती है। एक दो नहीं अगल बगल रहने वालों का पूरा आशियाना राख हो जाता है। ऐसे में अगर जागरूकता और आग को लेकर सावधानी हो तो आग से बचा जा सकता है।