DEHRADUN:

अब ब्लू शर्ट और ग्रे पैंट पहनने वाले शिक्षकों की ही सुनवाई होगी। ऐसे में शिक्षकों को अगर अपनी बात शिक्षा मंत्री तक पहुंचानी है तो ड्रेस पहनना अनिवार्य होगा। इसको लेकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने फरमान भी जारी कर दिया है।

 

नहीं थम रहा ड्रेस कोड विवाद

प्रदेश में शिक्षा का माहौल सुधारने के लिए शिक्षा मंत्री ने कई तरह से विभाग में चल रहे पुराने ढर्रे को बदलने की कोशिश की है। जिसमें हर स्कूल में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के साथ ही स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी निश्चित ड्रेस कोड में आने का फरमान जारी किया था। शिक्षा मंत्री का दावा था कि ड्रेस कोड में अनुशासन झलकता है। साथ ही शिक्षकों की अलग पहचान होगी। शिक्षा मंत्री के इस फरमान के बाद शिक्षकों ने पूरे प्रदेश में जमकर विरोध किया था। शिक्षक संगठनों ने शिक्षा मंत्री पर अपने फरमान थोपने का आरोप लगाते हुए अपनी पुरानी सभी मांगों जिसमें करीब ख्0 बिंदु थे को मनवाने का दबाव बनाया। साथ ही ड्रेस कोड को लागू करने से पहले शिक्षकों की सभी मांगे पूरी करने की शर्त रखी। शिक्षा मंत्री अपने रुख पर कायम रहे। फिर मामला सीएम दरबार पहुंचा। सीएम की दखलअंदाजी के बाद शिक्षकों को राहत तो मिल गई। लेकिन ड्रेस कोड का मामला हल होता नजर नहीं आ रहा है। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री ने अब ड्रेस कोड को लागू करने के लिए नया तरीका निकाला है। शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों की समस्याओं को सुनने के लिए हर महीने के आखिरी रविवार का दिन तय किया है। लेकिन शिक्षा मंत्री का कहना है कि वे ड्रेस कोड अपनाने वाले शिक्षकों की समस्यायें ही सुनेंगे। उन्होंने कहा कि उनके पास कई फरियादी आते हैं। लेकिन अगर कोई शिक्षक ड्रेस पहनकर आएगा तो उसकी पहचान अलग होनी चाहिए।

 

शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध

इधर शिक्षा मंत्री के इस बयान पर शिक्षक संगठनों ने कड़ा रुख अपनाते हुए जल्द इस मामले पर बैठक कर मामले पर अपना पक्ष रखने की बात कही है। आपको बता दें कि शिक्षक संगठनों के चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से शिक्षक संगठन अपनी तैयारी में जुट गए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में शिक्षक आगे की रणनीति तय करेंगे।