- पांच से दस हजार ड्राइवर्स बिना लाइसेंस चला रहे हैं ऑटो

- कॉमर्शियल लाइसेंस को लेकर लगानी होती है लंबी लाइन

PATNA : ऑटो सर्विस अपने शहर की लाइफलाइन है। सुबह से शाम तक मैक्सिमम लोग इसी से सफर करते हैं। पर, कभी-कभी यह लाइफलाइन सर्विस डेंजरस भी साबित हो जाती है। शहर के तीस हजार ऑटो में से पांच से दस हजार ऑटो चालक ऐसे हैं, जिनके पास कॉमर्शियल लाइसेंस नहीं है, यूं कहें कि एक ही लाइसेंस पर कई गाडि़यां निकाली जा रही हैं। हालत तो यह है कि एक कॅमर्शियल लाइसेंस पर दस से बीस ऑटो शहर में चल रहे हैं। इसे चलाने वाले सारे के सारे अंडर एज हैं। जिसे दिन के हिसाब से पैसा दिया जाता है। एसोसिएशन के आंख के सामने सारी स्थिति बनी हुई है, पर इसके बाद भी न तो एसोसिएशन और न ही एडमिनिस्ट्रेशन इसको लेकर कुछ खास नहीं कर पा रहा है। लिहाजा, सड़कों पर बिना लाइसेंस की बेतरतीब गाडि़यां चल रही है। लाइसेंसी ड्राइवर को लेकर एडमिनिस्ट्रेशन ने आदेश दिया था कि ड्राइवर सीट के सामने उसका ड्राइविंग लाइसेंस नंबर लिखना है। इसके बाद भी इस पर कोई अमल नहीं हुआ है। जिनके पास पहले से लाइसेंस हैं, वहीं दूसरे और तीसरे ऑटो खरीद रहे है।

एक लाइसेंस पर कई ऑटो के लिए लोन

अगर कोई ऑटो चालक बैंक से ऑटो के लिए लोन लेना चाहता है, तो उसे कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस दिखाना पड़ता है। ऐसे में लंबी प्रॉसेस की वजह से नए लाइसेंस होल्डर को टाइम पर लाइसेंस नहीं मिल पाता है। जाहिर है ऐसे में पुराने कमर्शियल लाइसेंस अपने लाइसेंस पर ऑटो निकालकर ऐसे लोगों को अपने यहां ड्राइवर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

डीटीओ की नजरों से है दूर

डीटीओ की नजर में ड्राइवर वही है, जिसके पास लाइसेंस है। वहीं ट्रैेफिक पुलिस को इससे कोई लेना देना नहीं है, पर इसका खामियाजा उन पटनाइट्स को भुगतना पड़ रहा है, जो डेली ऑटो से सफर करते है। किसी भी तरह की घटना-दुघर्टना होने के बाद वो आसानी से रफ्फूचक्कर हो जाते हैं और न तो एसोसिएशन और न ही एडमिनिस्ट्रेशन ही उसका पता लगा पाती है।

लाइसेंस लेने वालों की तो

कॉमर्शियल लाइसेंस लेना काफी महंगा काम है। इसके लिए कम से कम डेढ़ साल का लंबा इंतजार करना पड़ता है। सबसे पहले लर्निग लाइसेंस की जरूरत पड़ती है, जिसमें ब्0 दिनों का वक्त लगता है। इसके साल भर पूरे होने के बाद कमर्शियल लर्निग लाइसेंस मिलता है। ब्0 दिन के बाद कमर्शियल परमानेंट लाइसेंस के लिए अप्लाई करना होता है, फिर जाकर लाइसेंस मिलता है।

फेक ड्राइवर घूमते हैं शहर में

शहर के हर दस में से चार ऑटो के ड्राइवर फेक होते हैं और वो आसानी से ट्रैफिक को बेतरतीब तरीके से चलाते रहते हैं। अश्लील गाने और सारे नॉ‌र्म्स को तोड़ते हुए आराम से आगे बढ़ जाते हैं।