- परिवहन निगम का नया फॉर्मूला बढ़ा रहा है पैसेंजर्स की मुश्किलें

- बसों के ड्राइवर्स और कंडक्टर्स को मोबाइल पर दी जानी है ड्यूटी की जानकारी

- अब तक तैयार नहीं हुआ सॉफ्टवेयर, शुरू हो गई ऑनलाइन ड्यूटी चार्ट की प्रक्रिया

LUCKNOW: परिवहन निगम की हाईटेक फैसिलिटीज का खामियाजा खुद परिवहन निगम को ही भुगतना पड़ रहा है। हाल में एक योजना के तहत परिवहन निगम ने ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के ड्यूटी चार्ट को ऑनलाइन तैयार करने की कवायद शुरू की। मगर इस योजना ने ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के साथ-साथ पैसेंजर्स की भी मुश्किलें बढ़ा दी। ऐसा इसलिए क्योंकि ड्राइवर्स और कंडक्टर्स को अपनी ही ड्यूटी के बारे में पता नहीं चल पा रहा है। ऐसे में बसों की संचालन व्यवस्था में भी असर पड़ रहा है।

बस अड्डे आने से ड्राइवर्स को रोका

परिवहन निगम के अनुसार ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के लिए ऑनलाइन डयूटी चार्ट बनाने की व्यवस्था की गई। इसके तहत ड्राइवर्स और कंडक्टर्स को बस अड्डे आने से रोक दिया गया है। ड्यूटी के बारे में पहले से पता न चलने पर ड्राइवर्स और कंडक्टर्स समय से बस अड्डे नहीं पहुंच पा रहे हैं। इतना ही नहीं, कई बार जब कोई ड्राइवर या कंडक्टर अपनी डयूटी के बारे में जानकारी करने पहुंचता है तो पता चलता कि उसे रेस्ट दिया गया है और किसी अन्य ड्राइवर की डयूटी लगा दी गई है। हाल यह है कि ऑनलाइन डयूटी चार्ट के चक्कर में बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है।

मिलनी थी एसएमएस से जानकारी

ड्राइवर्स को यह बताया गया कि उनकी ड्यूटी की जानकारी उन्हें उनके मोबाइल पर एसएमएस से मिलेगी। ऑनलाइन डयूटी चार्ट के अनुसार, ड्राईवर और कंडक्टर की डयूटी कब और किस बस पर होगी, इसकी जानकारी उन्हें मोबाइल से मैसेज के माध्यम से दी जानी है। इसके लिए मैग्ना कंपनी को सॉफ्टवेयर तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई। इस डयूटी चार्ट में भी यह भी क्लीयर होगा कि ड्राइवर या कंडक्टर को सात दिन में एक छुट्टी दी जाएगी और इस छुट्टी के दौरान उसका रिलीवर कौन होगा।

निगम के अधिकारी हैं खुद कंफ्यूज

चारबाग और कैसरबाग बस अड्डों के अधिकारियों की मानें तो इस सॉफ्टवेयर के लिए कंपनी का कोई अधिकारी अभी पहुंचा ही नहीं है। ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के नाम और नम्बर भी नहीं लिए गए हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें तो निगम के अधिकारी खुद ही ड्राइवर और कंडक्टर्स के मोबाइल नम्बर बटोरने में जुटे हैं। निगम की वेबसाइट पर वे ही इन नंबरों को अपलोड कर रहे हैं। इनका कहना है कि अब हम बसों का संचालन करवाएं कि ऑनलाइन डयूटी चार्ट तैयार करवाएं। फिर हम बस अड्डों पर बैठकर भला कैसे उनके नाम और नम्बर अपडेट कर सकते हैं। यहां पर नेट की व्यवस्था भी नहीं है। फिर बस अड्डों पर बिना नेट की सुविधा के ऑनलाइन डयूटी चार्ट का संचालन कैसे शुरू हो जाएगा। जब तक हमें ही ड्राइवर और कंडक्टर्स के बारे में नहीं पता होगा तो भला कैसे उन्हें काम सौंपा जाएगा।

एक हजार से अधिक हैं ड्राइवर्स

विभागीय अधिकारियों की मानें तो शहर में तीन डिपो से बसों का संचालन होता है। इनमें कैसरबाग डिपो, अवध डिपो और चारबाग डिपो शामिल हैं। लगभग ख्00 बसों का संचालन यहां से किया जाता है। ऐसे में यहां पर क्000 से अधिक ड्राइवर और कंडक्टर्स मौजूद हैं।

प्रभावित हो रहा बसों का संचालन

विभागीय अधिकारियों ने बताया कि जल्दबाजी में ड्राइवर्स और कंडक्टर्स को बस अड्डे आने से तो रोक दिया गया लेकिन इससे संचालन प्रभावित हो रहा है। फिर यहां पर ड्राइवर या कंडक्टर सभी लखनऊ के ही नहीं है। लोग अन्य जिलों से भी यहां पर डयूटी करने आते हैं। ये लोग हर हाल में सुबह बस अड्डे पहुंच जाते थे। लेकिन अब जब उन्हें बुलाया जाता है तो वहां से यहां तक आने में उन्हें दो से तीन घंटे लग जाते हैं। इसी के चलते बसों के संचालन पर असर पड़ रहा है। ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के अनुसार हमें प्रति किमी के अनुसार पेमेंट मिलता है। ऐसे में जब हमें बस अड्डों से वापस लौटन पड़ता है तो हमारा ही नुकसान होता है।

अभी इसमें कई अड़ंगे सामने आ रहे हैं। कौन किसका रिलीवर होगा, यह भी अपडेट नहीं हो सका है। अभी कहना मुश्किल है कि यह सॉफ्टवेयर का काम कब तक शुरू होगा। फिलहाल लखनऊ और गाजियाबाद में यह योजना लागू होनी है।

- एके सिंह

आरएम, लखनऊ परिक्षेत्र