900 बसें लखनऊ परिक्षेत्र में

538 बसें अनुबंधित हैं

221 ट्रेनिंग बिना बने ड्राइवर्स

- अनुबंधित बसों के ड्राइवर की ना ट्रेनिंग और ना कोई पहचान

- परिवहन विभाग के पास नहीं चालकों की जांच का अधिकार

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW: पक्का पुल पर शुक्रवार को एक बस काल बनकर दौड़ी। हादसे में एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, दो गंभीर हैं और हादसे के बाद दहशत का आलम तो बयां ही नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद परिवहन निगम ने इस ओर से आंखें फेर रखी हैं। असलियत ये है कि आए दिन हादसे की वजह बन रही अनुबंधित बसों के ड्राइवर्स बेलगाम हैं। इन्हें ना तो कोई ट्रेनिंग दी जाती है और ना ही इनकी कोई पहचान होती है। ऐसे में हादसे के बाद इन्हें पकड़ना भी मुश्किल है और कार्रवाई के नाम पर या तो बस मालिक को चेतावनी दी जाती है या फिर उसकी सेवाएं खत्म कर दी जाती हैं। सवाल ये है कि अगर हादसे बड़े जान-माल के नुकसान की वजह बने तो जिम्मेदारी कौन लेगा।

कैसे लगाएंगे इन पर लगाम

लखनऊ परिक्षेत्र में 900 बसें चलती हैं, इनमें 538 बसें अनुबंधित हैं और करीब 221 ड्राइवर ऐसे हैं, जिन्हें किसी तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई। और तो और, परिवहन विभाग के पास इनकी पहचान का कोई प्रूफ नहीं है। अनुबंधित बसों में परिचालक परिवहन निगम का और चालक वाहन स्वामी का होता है। चालकों के लाइसेंस की फोटो कॉपी निगम के पास होती है पर अंकुश लगाना उसके बस में नहीं है।

अनुबंध की आड़ में 'अंधेर'

- अनुबंधित बस का मालिक रोडवेज नहीं होता। कोई भी अनुबंध के बाद यात्री ले जा सकता है।

- अनुबंधित बसों को परिवहन निगम चालक नहीं देता है। बस मालिक खुद व्यवस्था करते हैं।

- परिवहन निगम के चालकों की तरह इन चालकों की कोई ट्रेनिंग नहीं होती है।

- गलती करने पर परिवहन निगम को एक्शन का अधिकार नहीं। रिकॉर्ड भी नहीं होता है।

- दुघर्टना के बाद मालिक चालक को हटा दे तो वो दूसरे डिपो में जाकर ड्राइविंग करते हैं।

- अनुबंधित बसों के चालकों की ड्यूटी निर्धारित करने का अधिकार निगम के पास नहीं।

- वर्कलोड बढ़ने या थका होने पर भी बस मालिक उसे ड्यूटी पर भेज देते हैं।

- गतिसीमा का ध्यान नहीं रखते अनुबंधित बसों के ड्राइवर।

- बसें अक्सर अनफिट होती हैं, सफर के बीच में खराब।

रोडवेज के चालकों पर नियम

- रोडवेज के चालकों की ट्रेनिंग होती है

- र एक साल में उन्हें अपडेट किया जाता है।

- कानपुर स्थित स्कूल में होता है कड़ा प्रशिक्षण

- गलती होने पर जुर्माना भी भरना पड़ता है।

- तय स्पीड के हिसाब से चलानी होती है बस।

- ओवर स्पीड होने पर चालक के खिलाफ एक्शन

- बसों के मेंटीनेंस के लिए कार्यशालाएं हैं

समय-समय पर मरम्मत और फिटनेस जांच।

हादसों से नहीं लेते सबक

2015 - अक्टूबर में दिल्ली रूट पर दो वॉल्वो हादसे

2016 - मार्च में बलिया, गोरखपुर में बस हादसे

2016- जनवरी में बछरावां में हादसा, कई घायल हुए

2016- अप्रैल दिल्ली जा रही एसी बस दुर्घटनाग्रस्त

दुर्घटना होने पर पुलिस ऐसे चालकों के विरुद्ध एक्शन लेती है। इसके अलावा हम लोग ऐसे बस मालिक को वार्निग देते हैं कि दोबारा ऐसा हुआ तो उसकी सेवा निरस्त कर दी जाएगी।

एके सिंह

आरएम

लखनऊ परिक्षेत्र