PATNA : पटना के बाइपास थाना क्षेत्र में नाले में गिरे पांच साल के मासूम आदित्य को एनडीआरएफ की टीम ने 18 घंटे में ही ढूढ़ निकाला। इकलौते बेटे का शव देखकर मां बेहोश हो गई। वहीं, एसकेपुरी थाना क्षेत्र के पुनाईचक के नाले में गिरे 10 वर्षीय दीपक की बॉडी 48 दिन बाद भी नहीं मिली है। उसका परिवार आज भी उसकी राह देख रहा है। शुक्रवार रात जब आदित्य की बॉडी नहीं मिली तो एनडीआरएफ की टीम ने सर्च ऑपरेशन रोक दिया। इसके बाद शनिवार सुबह फिर से सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। करीब 2 घंटे 45 मिनट चले लाइन सर्च मेथड से आदित्य का शव 400 मीटर दूर कचरे में फंसा मिला।

30 जवान खोज में जुटे रहे

नाला के पास जमा सैकड़ों ग्रामीणों और परिवार वालों की नजरें नाला पर टिकी थी। सब आदित्य के सुरक्षित मिलने की दुआ कर रहे थे। ठीक 6 बजे सुबह एनडीआरएफ के 30 जवानों का दल इंस्पेक्टर राकेश कुमार की अगुवाई में आ पहुंचा। गोताखोरों ने वाटरफ्रूफ जैकेट पहन पीठ पर ऑक्सीजन सिलेंडर लटकाया। नाक-मुंह पर मास्क लगाया। टीम लीडर ने नाला में डूबे आदित्य को ढूंढ़ निकालने की रणनीति बनाई। इस मिशन में लाइन सर्च मेथड पर काम करना तय हुआ। टीम लीडर के निर्देश पर एनडीआरएफ के तीस जवान एक साथ पूरब व पश्चिम की ओर से नाला में उतरे।

हर दिन खतरे से खेलते हैं लोग

राजधानी के हजारों छोटे-बड़े नालों का पानी सैदपुर-रामपुर नहर से बहकर एनएच-30 को पार करते हुए दक्षिण के इसी रानीपुर पैजावा नाला के रास्ते बारहमुत्ता नाला होते हुए पुनपुन नदी तक पहुंचता है। वर्षो से इस वहां के लोग महज 10 इंच के पगडंडी से नाले को पार करते हैं। पार करने के दौरान ही पांच साल का आदित्य नाले में गिर गया और 18 घंटे बाद उसकी लाश मिली। लोगों ने बताया कि इस रास्ते उनका समय बचता है। खेत और घर बार-बार आना-जाना पड़ता है।

12 फीट है नाले की गहराई

नाला झाड़ी व घास से घिरा था। नीचे शीशा-पत्थर और गाद था। जवानों ने बताया कि नाला की गहराई आठ से 12 फीट तक है। जवानों ने लाइन फिर बदली। नाला का गंदा और ठंडा पानी इन्हें परेशान कर रहा था। जवान डटे रहे। नाला घेर कर खड़े लोग आदित्य के मिलने की प्रार्थना करते रहे।

आज भी दीपक के परिवार को उसके लौटने का इंतजार

एसकेपुरी थाना क्षेत्र के पुनाईचक में 17 नवंबर को नाला पार करते हुए दीपक गिर गया था। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने 10 दिन तक सर्च ऑपरेशन चलाया। इसके बाद भी दीपक का सुराग नहीं मिला। दीपक के परिवार को आज भी इस बात का विश्वास नहीं होता कि उसके बेटे की मौत हो चुकी है। दीपक की मां हर शाम नाला के पास पहुंच जाती है और बेटे घंटों नाले में टकटकी लगाए रहती है।