एनस्ट्रोज़ोल स्तन कैंसर को बढ़ावा देने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन को बनने से रोकती है. इस दवा का पता लगने के बाद अब डॉक्टर और स्तन कैंसर के लिए अभियान चलाने वाले कार्यकर्ता स्वस्थ महिलाओं को यह दवा देने की वकालत कर रहे हैं.

कुछ देशों में स्तन कैंसर से बचाने के लिए पहले से ही टेमोक्सिफ़ेन और रेलोक्सिफ़ेन दवाओं का इस्तेमाल हो रहा है. एनस्ट्रोज़ोल जैसी दवाएं एस्ट्रोजन हार्मोन को बनने से ही रोक देती हैं और पहले ही स्तन कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल भी की जा रही हैं.

अधिक कारगर

लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के अध्ययन में उन महिलाओं को शामिल किया गया है जिनमें उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर स्तन कैंसर होने का खतरा ज्यादा पाया गया. पांच साल तक इनकी निगरानी की गई.

अध्ययन में ये बात सामने आई कि स्तन कैंसर की आशंका वाली जिन 2000 महिलाओं को कोई इलाज नहीं मुहैया करवाया गया उनमें से 85 में स्तन कैंसर पाया गया. मगर इसी संख्या में महिलाओं को एनस्ट्रोज़ोल दवा दी गई तो 40 महिलाओं को कैंसर का पता चला और कमाल की बात यह कि इस दवा का कोई साइड इफ़ैक्ट नहीं पाया गया.

इस अध्ययन के अगुआ प्रो. जैक कुज़ीक़ ने बीबीसी को बताया, "ये एक रोमांचक पल है. स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर है और इससे छुटकारा पाने का अब हमारे पास कारगर तरीका उपलब्ध है." उन्होंने कहा, "यह दवा टेमोक्सिफ़ेन जैसी दवाओं से अधिक कारगर है और सबसे ज़रूरी बात ये कि इसका साइड इफ़ैक्ट अपेक्षाकृत कम है."

लंदन के कैंसर रिसर्च इंस्टीच्यूट के प्रो. मॉंटसेरत ग्रेसिया भी इस अध्ययन से बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने स्तन कैंसर पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन किया है. उन्होंने बीबीसी को कहा, "इससे बेहद ज़रूरी और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है."

लेकिन प्रो. ग्रेसिया कहती हैं, "अब सवाल ये है कि क्या ये दवा स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने में कामयाब हो पाएंगी. इसका पता लगाने के लिए और अध्ययन का जरूरत है."

रजोनिवृत्ति के बाद

80 फीसदी स्तन कैंसर का कारण एस्ट्रोजन है. देखा जाए तो स्तन कैंसर का इलाज यदि टेमोक्सिफ़ेन की मदद से होता है तो खर्च 157 पाउण्ड (15935.66रु) और यदि एनस्ट्रोज़ोल से की जाए तो खर्चा 137 पाउण्ड (13910.90रु) तक आने का अनुमान है.

हालांकि एनस्ट्रोज़ोल अंडाशय को एस्ट्रोजन पैदा करने से रोक नहीं सकता. इसलिए यह दवा केवल रजोनिवृत्ति के बाद ही कारगर साबित होगी. जबकि टेमोक्सिफ़ेन दोनों अवस्था में काम करती है.

साल 2013 में इंग्लैंड और वेल्स में नेशनल इंस्टीच्यूड फ़ॉर हेल्थ एण्ड केयर एक्सिलेंस ने कहा था कि स्तन कैंसर की आशंका वाली 35 साल से अधिक आयु की महिलाओं को टेमोक्सिफ़ेन या रेलोक्सिफ़ेन दवाइयां दी जानी चाहिए.

इसका असर करीब 5 लाख महिलाओं पर पड़ा. ब्रिटेन कैंसर अनुसंधान ने अनुमान लगाया है कि उनमें से 240,000 को एस्ट्रोजोल देना ज्यादा उचित रहेगा. ब्रिटेन कैंसर अनुसंधान से जुड़ी क्लिनिकल रिसर्च की निदेशक केट लॉ का कहना हैः "इस उल्लेखनीय अध्ययन से पता चलता है कि एस्ट्रोजोल उन महिलाओं के लिए बहुत मूल्यवान है जिनमें स्तन कैंसर होने की आशंका अत्यधिक होती है."

"लेकिन इसके बाद हमें ज्यादा सटीक परीक्षणों की जरूरत है जो ये पता लगाएगें कि किस महिला को एस्ट्रोजोल से ज़्यादा फ़ायदा पहुंचेगा और किसे साइड इफ़ैक्ट कम होगा."

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