लोगों को जरूरत के हिसाब से नहीं मिल रही दवाइयां
अस्पतालों में खत्म होने के कगार पर पहुंचा स्टाक
लोकल पर्चेज के भरोसे अस्पताल चला रहे काम
Meerut . सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का संकट गहरा रहा है. किडनी, हार्ट, डायबिटीज, पेनकिलर, एंटीबॉयोटिक समेत कई तरह की दवाइयों का स्टॉक खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. जबकि कुछ दवाइयां मरीजों को अभी भी बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं. विभागीय अधिकारियों के कहना है कि तीन महीने बीतने के बाद भी ड्रग कारपोरेशन दवाइयों का कोटा पूरा नहीं कर पा रही है. स्थिति यह है कि अस्पताल लोकल पर्चेज से दवाइयां मंगवा रहे हैं लेकिन यह स्टॉक भी कुछ दिन का ही है.
पीसीएम भी नहीं
जिला अस्पताल में इन दिनों सबसे ज्यादा जरूरत पैरासिटामोल व पेन किलर की है, लेकिन इन्हीं दवाइयों का टोटा पड़ गया हैं. अस्पताल में हर दिन करीब 5 हजार पैरासिटामोल टैबलेट की खपत हो रही है, जबकि स्टॉक में सिर्फ 25 हजार करीब टैबलेट की बाकी हैं. आंकड़ों के मुताबिक मात्र पांच दिन में ही यह स्टॉक भी खत्म हो जाएगा. ऐसे में मरीजों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. एंटीबॉयोटिक और पेनकिलर का भी यही हाल है. इसके अलावा हार्ट, बीपी, की दवाइयों का स्टॉक भी खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है.
मेडिकल कॉलेज में भी संकट
मेडिकल कॉलेज में भी हार्ट, बीपी, शुगर, किडनी आदि की दवाइयों का संकट गहरा रहा है. दवाओं की किल्लत के कारण यहां भी मरीज परेशान हैं. मरीजों को आधी अधूरी दवाइयां ही मिल पा रही है जबकि अधिकतर दवाइयां बाहर से ही खरीदनी पड़ रही है
शुगर की दवाइयां कम
एनसीडी सेल के तहत जिले भर से आने वाले डायबिटिज के मरीज दवाइयों के लिए जिला अस्पताल पर निर्भर हैं. यहां साल भर में शुगर की दवाइयों की अच्छी खासी खपत हो जाती हैं. लेकिन पिछले तीन महीने से दवाइयों की आपूर्ति न होने की वजह से जिले भर के शुगर के मरीजों को परेशान होना पड़ सकता है. हालांकि अस्पताल की ओर से फिलहाल करीब 50 हजार की दवाइयों की खरीद की गई है.
इन दवाइयों की है कमी
पैरासिटामोल- बुखार
ब्रूफिन- पेनकिलर
एजीथोरोमाइसीन- इंफेक्शन
अटोरवा - हार्ट
एमलोडिपिन - बीपी, हार्ट
एटनलोल- बीपी, हार्ट
एमपीसीलीन-हार्ट
सीपीएम-एंटी एलैरजिक
बीकॉम्पलेक्स
ग्लिनप्राइड - शुगर
गलैसिजाइड- शुगर
मेटफार्मिन- शुगर
सिपलोक्स- एंटीबॉयोटिक
विटामिन-डी
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हर दर्द का मर्ज कैल्शियम
अस्पताल में इन दिनों मरीजों को हर दर्द में कैल्शियम की दवाएं ही दी जा रही हैं. हड्डी की परेशानी, दर्द, खिंचाव से लेकर कमजोरी भरने तक के लिए मरीजों को कैल्शियम की गोली दी जा रही है.
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ई-टेंडरिंग व्यवस्था लागू होने की वजह से समय से दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं. किडनी, हार्ट, बीपी आदि की दवाइयों के स्टॉक की किल्लत हैं. सामन्य दवाइयां मिल रही हैं. हालांकि जल्द ही समस्या को सुलझा लिया जाएगा.
डॉ. आर सी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज
ड्रग कारपोरेशन से धीरे-धीरे आपूर्ति हो रही है. हम बार-बार डिमांड भेज रहे हैं. कुछ दवाइयां लोकल परचेज की गई हैं.
डॉ. पीके बंसल, एसआईसी, जिला अस्पताल
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पांच दिन की जगह तीन दिन की दवाइयां दी जा रही है. हड्डी में दर्द है. एक्सरे करवाने आएं थे लेकिन बस कैल्शियम की दवाई दी है.
राजकुमार, मरीज
आधी दवाइयां ही मिली हैं. बाकी दवाइयां बाहर से खरीदने के लिए कहा है. नाक में डालने की दवाई भी बाहर से खरीदनी पड़ रही है.
मीनू , मरीज
दवाइयां मिल ही नहीं रही हैं. कैल्शियम की गोली थमा दी है. बाकी दवाइयां बाहर से खरीदी है.
शशि, मरीज