Allahabad : scene one स्मैक ले लो, स्मैक। कितने का मिलेगा। एक पत्ता चाहिए। कितने का पत्ता चाहिए। 100 रुपए का। तो जाओ ले आओ। पहले तुम पैसा तो दो। ये लो 100 रुपए। 100 रुपए मिलते ही टीन एजर ने अपनी जेब में हाथ डाला और स्मैक का एक पुडिय़ा निकाल कर बाहर कर दिया। यह देख कैंट पुलिस भी हैरान रह गई। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने टीन एजर को स्मैक सप्लाई करने के आरोप में कुछ इसी अंदाज में पकड़ा। राजापुर चौकी इंचार्ज दीपेन्द्र सिंह ने टीन एजर के पास से 10 हजार रुपए से ज्यादा कीमत की स्मैक भी बरामद की.
Scene two
एक महिला। बहादुरगंज की रहने वाली। हर तरफ एक्टिव। पुलिस अंजान। पूरे एरिया में स्मैक की सप्लायर। बाराबंकी से लेकर सिटी तक सप्लाई। फुटकर माल बेचने का काम। 100-100 रुपए में एक पुडिय़ा। लेकिन ज्यादा नहीं चली होशियारी। मुट्ठीगंज पुलिस ने दस ग्राम स्मैक के साथ महिला को पकड़ लिया और उसे सलाखों के पीछे भेज दिया.
ये दोनों एग्जांपल बानगी भर हैं। शहर में स्मैक के धंधा खूब फलफूल रहा है। शातिर स्मगलर्स अपने धंधे को कामयाब बनाने के लिए टीन एजर लड़कों और महिलाओं को भी यूज कर रहे हैं। इससे पुलिस के लिए ट्रेस करना कठिन हो गया है। पैसे की चाहत में हर कोई आसानी से इस धंधे में लिप्त हो जाता है.
Part time job और income full
राजापुर चौकी इंचार्ज दीपेन्द्र ने बताया कि जब स्मैक के साथ छोटा बच्चा पकड़ा गया तो उसके आगे पुलिस बेबस नजर आई। उसने आखिर तक उस व्यक्ति के बारे में नहीं बताया कि वह किसके लिए काम करता है। उसने बताया कि वह उन्हें नहीं जानता है। वो एक बार में उसे 10 से 20 पुडिय़ा देते थे। वह ममफोर्डगंज से लेकर बेली तक इस स्मैक के पुडिय़ा को सप्लाई करता था। एक पुडिय़ा के बदले उसे 10-20 रुपए मिल जाते थे। ज्यादातर शाम के समय कुछ घंटे इसके लिए खर्च करने होते हैं। कस्टमर खुद ही उसके पास आते हैं.
आसानी से चलता है खर्चा
पुलिस ने टीन एजर को बाल सुधार गृह में तो भेज दिया लेकिन उसके आकाओं के बारे में कोई जानकारी कलेक्ट नहीं कर सकी। दरअसल इस धंधे में शामिल बिचौलियों को भी काफी कमीशन मिल जाता है, जिसके कारण वे इस धंधे में एक बार जाने के बाद निकल नहीं पाते। मुट्ठीगंज पुलिस ने जब महिला को पकड़ा तो पता चला कि वह पहले फुटकर माल खरीदकर बेचती थी। लेकिन अब वह इस धंधे में इतनी एक्सपर्ट हो गई थी कि इस बार उसने खुद ही स्मगलरों के साथ बाराबंकी से स्मैक खरीद कर लाई थी। 10 हजार रुपए के स्मैक को वह फुटकर में 25 हजार रुपए में बेचती थी.
हर जगह यही हाल
स्मैक का कारोबार शहर के डिफरेंट एरिया में फैला है। कीडगंज से लेकर मुट्ठीगंज, अतरसुइया से लेकर करेली। कोतवाली से लेकर शाहगंज। धूमनगंज एरिया की बात ही निराली है। दूसरी ओर राजापुर तो धीरे-धीरे स्मैक का गढ़ ही बनता जा रहा है। अल्लापुर से लेकर दारागंज तक स्मैकियों का तांता लगा रहता है। पुलिस खुद स्वीकार करती है कि इन स्मैकियों के कारण ही शहर में सबसे ज्यादा चोरी की घटनाएं होती हैं.
पूरे डिस्ट्रिक्ट में स्मैकियों के खिलाफ अभियान चलाया गया है। डेली ही कहीं ना कहीं स्मैक के सप्लायर पकड़े जा रहे हैं। क्राइम ब्रांच को भी इस आपरेशन में लगाया गया है.
उमेश कुमार श्रीवास्तव
एसएसपी
Scene two
एक महिला। बहादुरगंज की रहने वाली। हर तरफ एक्टिव। पुलिस अंजान। पूरे एरिया में स्मैक की सप्लायर। बाराबंकी से लेकर सिटी तक सप्लाई। फुटकर माल बेचने का काम। 100-100 रुपए में एक पुडिय़ा। लेकिन ज्यादा नहीं चली होशियारी। मुट्ठीगंज पुलिस ने दस ग्राम स्मैक के साथ महिला को पकड़ लिया और उसे सलाखों के पीछे भेज दिया।
ये दोनों एग्जांपल बानगी भर हैं। शहर में स्मैक के धंधा खूब फलफूल रहा है। शातिर स्मगलर्स अपने धंधे को कामयाब बनाने के लिए टीन एजर लड़कों और महिलाओं को भी यूज कर रहे हैं। इससे पुलिस के लिए ट्रेस करना कठिन हो गया है। पैसे की चाहत में हर कोई आसानी से इस धंधे में लिप्त हो जाता है.
Part time job और income full
राजापुर चौकी इंचार्ज दीपेन्द्र ने बताया कि जब स्मैक के साथ छोटा बच्चा पकड़ा गया तो उसके आगे पुलिस बेबस नजर आई। उसने आखिर तक उस व्यक्ति के बारे में नहीं बताया कि वह किसके लिए काम करता है। उसने बताया कि वह उन्हें नहीं जानता है। वो एक बार में उसे 10 से 20 पुडिय़ा देते थे। वह ममफोर्डगंज से लेकर बेली तक इस स्मैक के पुडिय़ा को सप्लाई करता था। एक पुडिय़ा के बदले उसे 10-20 रुपए मिल जाते थे। ज्यादातर शाम के समय कुछ घंटे इसके लिए खर्च करने होते हैं। कस्टमर खुद ही उसके पास आते हैं.
आसानी से चलता है खर्चा
पुलिस ने टीन एजर को बाल सुधार गृह में तो भेज दिया लेकिन उसके आकाओं के बारे में कोई जानकारी कलेक्ट नहीं कर सकी। दरअसल इस धंधे में शामिल बिचौलियों को भी काफी कमीशन मिल जाता है, जिसके कारण वे इस धंधे में एक बार जाने के बाद निकल नहीं पाते। मुट्ठीगंज पुलिस ने जब महिला को पकड़ा तो पता चला कि वह पहले फुटकर माल खरीदकर बेचती थी। लेकिन अब वह इस धंधे में इतनी एक्सपर्ट हो गई थी कि इस बार उसने खुद ही स्मगलरों के साथ बाराबंकी से स्मैक खरीद कर लाई थी। 10 हजार रुपए के स्मैक को वह फुटकर में 25 हजार रुपए में बेचती थी.
हर जगह यही हाल
स्मैक का कारोबार शहर के डिफरेंट एरिया में फैला है। कीडगंज से लेकर मुट्ठीगंज, अतरसुइया से लेकर करेली। कोतवाली से लेकर शाहगंज। धूमनगंज एरिया की बात ही निराली है। दूसरी ओर राजापुर तो धीरे-धीरे स्मैक का गढ़ ही बनता जा रहा है। अल्लापुर से लेकर दारागंज तक स्मैकियों का तांता लगा रहता है। पुलिस खुद स्वीकार करती है कि इन स्मैकियों के कारण ही शहर में सबसे ज्यादा चोरी की घटनाएं होती हैं.
पूरे डिस्ट्रिक्ट में स्मैकियों के खिलाफ अभियान चलाया गया है। डेली ही कहीं ना कहीं स्मैक के सप्लायर पकड़े जा रहे हैं। क्राइम ब्रांच को भी इस आपरेशन में लगाया गया है.
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