रिपोर्ट ने खोला कड़वा सच

नशे की जद में आया यूथ इसके घातक अंजाम से बेपरवाह है। नगर के नशा मुक्ति केंद्र इसकी कड़वी सच्चाई सामने रख रहे हैं। सिटी में जागृति नशा मुक्ति केंद्र के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्ष में 60 लोग एचआईवी की चपेट में हैं। सिटी के इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल 40-45 एचआईवी पॉजिटिव नए केस सामने आ रहे हैं। प्राइवेट सेंटर्स की बात करें तो वहां भी सालभर में आठ-दस मरीज पहुंचते हैं। इनमें 80 प्रतिशत मरीज इंजेक्शन से नशा करने के बाद एचआईवी पॉजिटिव हुए हैं।

एक इंजेक्शन और एचआईवी

नशा मुक्ति केंद्र के आउट वर्कर इंतखाब हुसैन के अनुसार अधिकतर एचआईवी इंफेक्शन ग्रुप में इंजेक्टिव नशा करने से होता है। इसमें गु्रप एक ही सीरिंज यूज करता है। रिसर्च के दौरान सामने आया है कि रोगी अलग-अलग क्षेत्रों से होने के बावजूद भी किसी जगह पर सामूहिक रुप से नशा करते हैं।

रोगियों में 80 प्रतिशत युवा  

नशा मुक्ति केंद्र के डायरेक्टर हुसनैन जैदी ने बताया नशा करने वालों में 18 साल का लड़का भी एचआईवी पीडि़त है। 80 प्रतिशत मरीज 18 से लेकर 30 साल की उम्र के हैं। रोगियों से बात की गई तो पता चला कि अधिकांश एक ही सीरिंज से नशा करने में एचआईवी पीडि़त हो गए।

पैर पसार रहा है खतरा

सिटी के मालगोदाम, कंकरखेड़ा, मलियाना फाटक, रामलीला ग्राउंड आदि इलाकों में निचले तबके और अशिक्षित युवाओं के साथ कुछ शिक्षित युवा भी इंजेक्टिव नशे से एचआईवी पॉजीटिव हो रहे हैं। कई बार देखा गया है कि एक-दो बार इंजेक्टिव ड्रग्स लेने से एचआईवी की चपेट में आ जाते हैं।

रोगी में रोग के लक्षण

खांसी ठीक न होना, बार-बार बुखार का होना, भूख न लगना, शरीर का लगातार कमजोर होना, लगातार पेट खराब होना और शरीर ढीला पड़ जाना एचआईवी के प्रमुख लक्षण हैं। डॉ। हरमिश रजा के अनुसार इस तरह के लक्षण आते ही तुरंत आईसीटीसी में टेस्ट करवा लेना चाहिए।

परिवार तक पहुंच रहा वायरस

नशा मुक्ति केंद्रों पर काफी केस ऐसे भी आए हैं, जिनमें एक व्यक्ति से सारा परिवार एचआईवी की चपेट में आ गया। हुसनैन जैदी ने बताया कि यहां पर जो भी इंजेक्टिव ड्रग्स का पेशेंट आता है, पहले जांच के लिए आईसीटीसी भेजा जाता है। अगर केस एचआईवी का होता है तो उसका दवाओं और काउंसिलिंग से ट्रीटमेंट किया जाता है। उन्होंने बताया कि एचआईवी वायरस बढऩे से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है तो उसे एड्स कहा जाता है।

बेहद घातक अंजाम

डॉ। हरशिम रजा के अनुसार एचआईवी पेशेंट का अगर ध्यान न दिया जाए तो चार पांच सालों में डेथ हो जाती है। एचआईवी के मरीज को दवाओं के साथ अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखना चाहिए। अगर एचआईवी लक्षण मिलते ही इलाज शुरू कर दिया जाए तो रोगी बीस वर्षों तक जी सकता है।

मेरठ मे कहां होता है टेस्ट

मेरठ में सीडी 4 के इलाज के लिए तीन सरकारी इंटिगे्रटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर मौजूद है, जिनमें  मेडिकल कॉलेज, प्यारे लाल जिला अस्पताल। महिलाओं के लिए दो सेंटर बनाए गए हैं, जो जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में हैं। इनके अलावा मेरठ में कुछ प्राइवेट सेंटर्स पर भी रक्त की जांच करवाई जाती है।

जीवन भर चलता है इलाज

एक बार एचआईवी पॉजीटिव होने के बाद पेशेंट को जिंदगी भर इलाज करना पड़ता है। क्योंकि दवाओं और इलाज से वायरस को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन उसे खत्म नहीं किया जा सकता। हुसनैन जैदी के अनुसार मरीज को इलाज के समय यह बात बता दी जाती है कि इन दवाओं से उसकी बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो सकती, लेकिन बढ़ेगी भी नहीं।

'इंजेक्टिव नशा करने वालों में एक सीरिंज के प्रयोग से एचआईवी वायरस फैल रहा है.'

-इंतखाब हुसैन, आउट वर्कर नशामुक्ति केंद्र

'अक्सर मरीजों को सलाह दी जाती है कि  वह अपनी सीरिंग अलग रखें तथा अपनी सेहत और खानपान का विशेष ख्याल रखें.'

-शालू सैनी, काउंसलर नशा मुक्ति केंद्र

'काउंसिलिंग से मरीज को बताया जाता है कि वह भी एक नार्मल जिंदगी जी सकता है। मगर उसे अपनी सेहत ख्याल रखना होगा.'

-जुबेर अहमद, काउंसलर

'मरीज को काउंसिलिंग से एचआईवी जांच के लिए तैयार किया जाता है। टेस्ट के बाद भी एचआईवी पॉजिटिव होने पर भी उसे काउंसिलिंग से दी जाती है.'

- हुसनैन जैदी, डायरेक्टर, जागृति नशा मुक्ति केंद्र