- जानकारी मिलने पर कैंट बोर्ड में मचा हड़कंप

- पुलिस कार्रवाई के बाद आर्मी के अफसरों ने किया निरीक्षण

- बंगला नंबर 272 में हो रहा था नशीले पदार्थ का कारोबार

- पुलिस कार्रवाई के बाद ध्वस्त किया जाएगा बेसमेंट

<- जानकारी मिलने पर कैंट बोर्ड में मचा हड़कंप

- पुलिस कार्रवाई के बाद आर्मी के अफसरों ने किया निरीक्षण

- बंगला नंबर ख्7ख् में हो रहा था नशीले पदार्थ का कारोबार

- पुलिस कार्रवाई के बाद ध्वस्त किया जाएगा बेसमेंट

Meerutmeerut@inext.co.in

Meerut : मछेरान के जिस इलाके में बनी सुरंग और बेसमेंट पर छापा मारकर पुलिस ने जो नशे की खेप पकड़ी थी। उसका बेसमेंट कैंट इलाके के बंगले में बना हुआ था। जब इस बात का आई नेक्स्ट के रिपोर्टर से कैंट बोर्ड के अधिकारियों को पता चला तो पूरे कैंट बोर्ड में हड़कंप मच गया। अधिकारियों ने इस बात पूरी सूचना सब एरिया हेडक्वार्टर को दी। मौके पर जाकर तुरंत निरीक्षण किया।

इस तरह किया निरीक्षण

कैंट बोर्ड के सीईओ डॉ। डीएन यादव, ज्वाइंट सीईओ डीएस खत्री, असिस्टेंट इंजीनियर पीयूष गौतम और सब एरिया हेडक्वार्टर की ओर से कर्नल देवगन ने बिना देरी किए मौके का निरीक्षण किया। सीईओ डॉ। डीएन यादव ने बताया कि रेलवे और कैंट इलाके की जमीन पूरी तरह से सटी हुई है। बेसमेंट जो बना हुआ है वो बंगला नंबर ख्7ख् है। जो आउट साइड सिविल एरिया है। बेसमेंट से जो सुरंग जा रही है वो रेलवे की लैंड है।

ध्वस्त होगा बेसमेंट

कैंट बोर्ड के सीईओ ने साफ कहा कि इस बेसमेंट का ध्वस्तीकरण अनिवार्य रूप से जल्दी किया जाएगा। अभी वहां पर पुलिस ने अपना ताला लगाया हुआ है। जब पुलिस अपनी कार्रवाई पूरी कर लेगी उसके बाद हम अपनी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए काफी बेहतर हुआ कि हमने क्लियर कर लिया हमारी लैंड कहां पर है। ये काफी बड़ी बात है। इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगना काफी जरूरी है।

8 महीने पहले भी चला था ऑपरेशन

कैंट बोर्ड के सूत्रों की मानें तो आठ महीने पहले आर्मी और कैंट बोर्ड की टीम ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया था। इस ऑपरेशन को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था। लेकिन उस वक्त वहां टीम को कुछ भी नहीं मिला था। ताज्जुब की बात है कि सोमवार को पुलिस ने दबिश दी तो इतना बड़ा जखीरा वहीं से मिला।

हमने निरीक्षण कर लिया है। बेसमेंट कैंट के इलाके में है। पुलिस कार्रवाई के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। इसमें किसी तरह की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड