- केजीएमयू टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने लगाया दवा खरीद में गड़बड़ी का आरोप

- वीसी, सीएमएस और प्रॉक्टर पर आरोप लगाकर कहा-महंगे दामों पर खरीद रहे सामान

LUCKNOW: किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की टीचर्स एसोसिएशन ने केजीएमयू प्रशासन पर पद का दुरुपयोग कर गरीबों के पैसे हड़पने का आरोप लगाया है। टीचर्स एसोसिएशन का आरोप है कि गरीबों के इलाज के लिए आने वाले धन की लूट की जा रही है। बिना टेंडर किए एमआरपी से अधिक रेट में इलेक्ट्रॉनिक व सर्जिकल आइटम्स परचेज किए जा रहे हैं।

प्रेस वार्ता में खोली पोल

केजीएमयू टीचर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट डॉ। आरएएस कुशवाहा और जनरल सेक्रेटरी डॉ। नईम अहमद ने गुरुवार को प्रेसवार्ता आयोजित कर वीसी, सीएमएस और प्रॉक्टर पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये प्राइवेट लोगों को फायदा पहुंचा रहे हैं और गरीबों के हक से अपनी जेब भर रहे हैं.उनका आरोप है कि केजीएमयू में जो भी सामान खरीदा जाता है उसे मार्केट रेट से भी ज्यादा में खरीदा जाता है, जबकि मार्केट रेट से सस्ता होना चाहिए। टीचर्स एसोसिएशन ने इसके लिए एसी, दवाओं, सर्जिकल आइटम्स की लिस्ट जारी कर कहा कि विभागों में जो भी खरीद की जा रही है वह एमआरपी से भी ज्यादा है। जबकि एमआरपी से ज्यादा में खरीद नहीं की जा सकती।

प्राइवेट कंपनियों से दवा क्यों?

टीचर्स एसोसिएशन का आरोप है कि केजीएमयू ने अमा मेडिकल स्टोर से अनुबंध कर रखा है कि वह मरीजों को ख्म् परसेंट छूट पर दवा उपलब्ध कराएगा फिर भी दवाएं बाहर के मेडिकल स्टोर्स से भ् या म् परसेंट छूट पर ही खरीदी जाती हैं। इससे केजीएमयू को हर साल लाखों रुपए बर्बाद होता है और बाहर के लोगों को फायदा पहुंचाया जाता है। केजीएमयू की सोसाइटी भी दवाओं के नाम पर खेल कर रही है। साथ ही, कुछ सेलेक्टेड लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।

मशीनों पर भी सवाल

टीचर्स एसोसिएशन ने आरोप लगाते हुए कहा कि केजीएमयू में प्राइवेट संस्थानों की एमआरआई और अल्ट्रासाउंड मशीनें लगाई गई हैं, जबकि केजीएमयू के पास अच्छी मशीनें और संसाधन हैं उनका प्रयोग नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि महंगी दर पर केजीएमयू में प्राइवेट लोगों की मशीन से मरीजों की एमआरआई की जाती है जबकि केजीएमयू के पास खुद की सस्ती मशीन अवेलेबल है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि रेडियोलॉजी विभाग में जानबूझकर अल्ट्रासाउंड का एक महीने का वेटिंग पीरियड दिखाया जाता है ताकि मरीजों को बाहर भेजा जा सके। जबकि मैनपावर की कोई दिक्कत नहीं है। प्रशासन चाहे तो मरीजों को सुविधा दी सकती है। वहीं ट्रामा सेंटर में एक प्राइवेट व्यक्ति ने अपनी अल्ट्रासाउंड मशीन लगा रखी है। इसमें केजीएमयू के डॉक्टर मरीजों की जांच करते हैं वह भी विभाग के अल्ट्रासाउंड को बंद करके। इस मशीन से ख्0क् रुपए प्रति मरीज शुल्क लिया जाता है। इसमें से केवल एक रुपए केजीएमयू के खाते में जाता है और ख्00 रुपए प्राइवेट व्यक्ति के खाते में।

विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी

केजीएयमू के सीएमएस ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि कोई भी दवा प्राइवेट मेडिकल स्टोर नहीं बल्कि सोसाइटी के मेडिकल स्टोर्स से खरीदी जाती है। सोसाइटी टेंडर करके सस्ती से सस्ती दवाएं खरीदता है। रही बात, विभागों की खरीददारी की तो वह सीधे विभागाध्यक्ष वित्त नियंत्रक से सम्पर्क कर खरीदते हैं। इसमें चिकित्सा अधीक्षक का कोई रोल नहीं है। अल्ट्रासाउंड और एमआरआई रेडियोलॉजी विभाग का मामला है। अल्ट्रासाउंड की वेटिंग के लिए कई बार विभागाध्यक्ष को लिखा गया है। पहले यह तीन महीने की वेटिंग थी जो अब एक महीने की ही है। इसे कम करने के लिए विभागाध्यक्ष को फिर पत्र लिखा जाएगा।

सामान .कितने में खरीदा .एमआरपी

एसी- ब्ख्,भ्भ्0फ्ब्990

माइक्रोवेव- 9780ब्ख्90

प्रिंटर- 9फ्फ्7.म्999

फोटोकॉपी-स्कैनर क्99ख्0.क्म्99ब्

ये सभी आरोप निराधार है। खरीददारी में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की जाती है। सब टेंडर प्रक्रिया के तहत होता है। अगर कोई शिकायत मिलती है तो मामले की जांच कराई जाएगी।

प्रो। एसएन शंखवार

सीएमएस, केजीएमयू।