बीते जून में दुबई के सड़क एवं यातायात प्राधिकरण (आरटीए) ने जर्मनी की स्टार्ट अप कंपनी वोलोकॉप्टर के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत इस साल के अंत तक इन स्काई टैक्सियों का परीक्षण किया जाएगा।

दो सवारियों को ले जाने लायक इन टैक्सियों को बनाने के लिए इस कंपनी को अबतक तीन करोड़ डॉलर (क़रीब 180 करोड़ रुपये) का निवेश हासिल हो चुका है।

एक प्रमोशनल वीडियो में दावा किया गया है कि इसकी अधिकतम रफ़्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे होगी और अधिकतम उड़ान 30 मिनट की होगी।

जबकि इसमें स्वतंत्र नौ बैटरियां सुरक्षा के लिए लगाई गई हैं।

वोलॉप्टर का वादा है कि सफ़र में आपको 'इमर्जेंसी पैराशूट' की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

दुबई ने एक यात्री को ले जाने वाले स्वचालित स्काई टैक्सी बनाने वाली चीन की कंपनी एहांग से भी एहांग 184 क़रार किया है।

लेकिन इस दौड़ में दुबई को खासी प्रतियोगिता का सामना करना पड़ सकता है और ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया में भविष्य के शहरी हवाई यातायात के लिए कोशिश शुरू हो चुकी है।

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दुनिया भर में लगी है होड़
टैक्सी सेवा प्रदाता बड़ी कंपनियों में से एक उबर ने बीते फ़रवरी में नासा के मुख्य तकनीकी विशेषज्ञ मार्क मूर को अपने 'प्रोजेक्ट एलिवेट' के लिए न्योता दिया। ये प्रोजेक्ट भविष्य के हवाई यातायात को विकसित करने पर केंद्रित है।

फ़्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी एयरबस भी एयर टैक्सी 'वाहना' का प्रोटोटाइप विकसित करने पर काम कर रही है। कंपनी ने कहा है कि वो भी इसी साल इसका परीक्षण करेगी और 2020 तक इसको पूरी तरह तैयार कर लिया जाएगा।

ये कंपनियां हवाई यातायात पर काफ़ी काम कर रही हैं क्योंकि ज़मीन पर अब जाम की समस्या आम हो गई है।

उदाहरण के लिए ब्राज़ील का साओ पाउलो दुनिया का 10वां बड़ा धनी शहर है लेकिन यहां शुक्रवार को यहां जाम का स्तर 180 किलोमीटर होता है और कभी कभी तो यहां 295 किलोमीटर तक लंबा जाम लग जाता है।

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क्या है विशेषता
चूंकि दुनिया में घनी आबादी वाले शहर तेज़ी से बढ़ रहे हैं, इसलिए इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं कि लोग एयर टैक्सी की ओर मुड़ें।

इहांग टैक्सी एक पैसेंजर जबकि वोलोकॉप्टर दो लोगों के लिए है। सिटी एयरबस तो चार यात्रियों वाली एयर टैक्सी बनाने के बारे में विचार कर रही है।

सबसे दिलचस्प बात है कि ये सारी कंपनियां इलेक्ट्रिक इंजन को विकसित करने में जुटी हैं, क्योंकि ये प्रदूषण विहीन हैं और शोर शराबा बिल्कुल नहीं होता।

ऐसी टैक्सियों में हेलिकॉप्टर के पंख की जगह कई रोटर लगे होते हैं जो गाड़ी को ऊपर उठाने और लैंड करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन गाड़ियों का आकार भी इतना छोटा है कि घनी आबादी में इनका परिचालन आसानी से हो सकता है।

इनकी बॉडी कॉर्बन फ़ाइबर से बनी है, जिससे इनका वज़न भी बहुत कम होता है।

 

 

 

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कितना ख़र्च
उबर के मूर कहते हैं कि तीन या चार लोगों को ले जाने की क्षमता वाली "इन एयर टैक्सियों का ख़र्च उतना ही आएगा जितना आज उबर कार पर आता है।"

इहांग ड्रोन टैक्सी इस समय 23 मिनट तक की उड़ान भर सकती है। लेकिन अमरीकी फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि किसी भी विमान के पास 20 मिनट का ईंधन अतिरिक्त होना चाहिए इस लिहाज से तीन मिनट की उड़ान व्यावसायिक रूप से किसी काम की नहीं।

लेकिन मूर का कहना है कि बैट्रियां जैसे जैसे उन्नत होगीं, ये समस्या सुलझ जाएगी। उबर ने 2023 तक 50 एयर टैक्सी तैयार करने की योजना बनाई है।

दुबई 2030 तक अपने 25 फीसदी यातायात को स्वचालित करने की योजना बना रहा है।

हालांकि वहां ख़राब मौसम को लेकर विमानन विशेषज्ञ उसे चेता चुके हैं।


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