-अचला सप्तमी पर गंगा व यमुना में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

-आरोग्य, पुत्र, धन और सुख की कामना

ALLAHABAD: माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी का पर्व मनाया गया। रथ सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। माघ मेले में कल्पवासियों ने बुधवार को अचला सप्तमी के दिन संगम में डुबकी तो लगाई ही, शहर के लोग भी गंगा और यमुना में स्नान करने पहुंचे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने विशेष पुण्य की प्राप्ति के लिए स्नान, दान, पूजा आदि किए। सप्तमी के दिन श्रद्धालुओं ने सूर्य की विधिवत आराधना की और सूर्य को प्रसन्न करके आरोग्य, पुत्र, धन और सुख की प्राप्ति की कामना भी की।

मिट जाते हैं सभी तरह के कष्ट

अचला सप्तमी की बावत पं। दिवाकर त्रिपाठी ने बताया कि सूर्य का पूजन करना लाभकारी माना जाता है और सूर्य की आराधना में व्रत किया जाता है। जो भी इस दिन व्रत करता है। उनके सभी कष्ट मिट जाते हैं। उन्होंने बताया कि सूर्य की तरफ मुख करके सूर्य स्तुति पढ़ने से शारीरिक चर्मरोग समाप्त हो जाते हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी रथ सप्तमी का व्रत लाभकारी माना जाता है। ग्रहों की वक्र दशा को समाप्त करने में भी ये व्रत महत्वपूर्ण है। अचला सप्तमी का मान बुधवार को सुबह 11 बजकर 28 मिनट तक था।

बाघम्बरी गद्दी में हुआ सम्मान समारोह

उधर, श्रीमद् बाघम्बरी गद्दी में परम्परानुसार सप्तमी महोत्सव मनाया गया। जिसमें इलाहाबाद मंडल के संस्कृत विद्यालयों के सभी प्रधानाचार्यो एवं विद्ववतजनो का पूजन करके उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बड़ा उदासीन अखाड़े के महन्त महेश्वर दास ने की। मुख्य अतिथि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरि जी ने की। कार्यक्रमों का आयोजन बाघम्बरी गद्दी के महन्त नरेन्द्र गिरि के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। अंत में विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया।