- इंटरमीडिएट काउंसिल के पांचवें तल्ले के कमरा नंबर 507 एवं 508 में लगी आग

- कोसी प्रमंडल के इंटरमीडिएट से जुड़े डाक्यूमेंट थे

- नौ गाडि़यों ने दो घंटे की मशक्कत के बाद आग पर पाया काबू

- मौर्या टावर से बांस लगाकर खिड़की के अंदर पानी डालकर आग पर पाया गया काबू

PATNA : पत्थर से पहले खिड़की तोड़ी गयी फिर बांस में पाइप को बांधा गया। नीचे से पानी चलाया गया। इसके बाद मौर्या टावर की छत से पानी बिहार इंटरमीडिएट बिल्डिंग के पांचवें तल्ले की खिड़की के रास्ते डाला गया। दो गाडि़यां का पानी इसी तरह जब खिड़की के रास्ते अंदर दिया गया तो आग की लपटें कम हुई। तब तक अंदर आग फैल चुकी थी। हालत यह हो गयी कि बुद्ध मार्ग स्थित कैंपस में चार गाड़ी को आग तक पहुंचने का रास्ता नहीं मिल रहा था। फिर सीढि़यों के रास्ते पांचवें तल्ले तक पहुंचा गया। आग पर काबू पाते-पाते फायर ब्रिगेड की नौ गाडि़यों को दो घंटे का वक्त लग गया। इस दौरान पांचवें तल्ले के दोनों कमरा भ्07 एवं भ्08 में रखे तमाम डाक्यूमेंट जल कर नष्ट हो गए। सोर्सेज की मानें तो पांचवें तल्ले पर पूरा एग्जामिनेशन से रिलेटेड वर्क होता है। जिस कमरे से आग उठी है उसमें कोसी प्रमंडल से रिलेटेड डाक्यूमेंट थे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्8 फरवरी से होने वाले इंटरमीडिएट के एग्जाम हो भी पाएगा या नहीं। वहीं इसमें रखे कितने बच्चों का फ्यूचर जला इस पर अभी तक किसी ने जवाब नहीं दिया है।

शॉट सर्किट से उठी आग

घटना की जानकारी मौर्या लोक से निकली और धीरे-धीरे तमाम स्टाफ्स और ऑफिसर्स को सूचना दी गयी। छह बजे तक तमाम कर्मचारी घर जा चुके थे। ऐसे में आग की खबर सुनकर सभी बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल पहुंचे। इस दौरान सचिव श्री निवास चंद तिवारी भी पहुंचे। उन्होंने बताया कि आग के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। इसकी जांच की जाएगी। जानकारी हो कि जब पांचवें तल्ले में आग लगी थी उस समय पूरी बिल्डिंग दो गार्ड के जिम्मे थी। वे दोनों भी मेन गेट पर ही थे। मौर्या लोक से उठे हंगामे के बाद गार्ड ने ऑफिसर्स को फोन पर सूचना दी।

हर तीन महीने पर करना था मॉक ड्रिल

जानकारी हो कि आठ तल्ले के बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल की बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के हिसाब से हर तीन महीने पर मॉक ड्रिल करना था। साथ ही फायर सेफ्टी के तमाम इक्वीपमेंट को अपडेट करना था, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी अब तक एक बार भी मॉक ड्रिल नहीं हो पाया। यही नहीं इस दौरान तमाम फायर सेफ्टी सिस्टम खराब हो जाने की वजह से पाइप को सीढ़ी के रास्ते ऊपर तक पहुंचाया गया। फायर ऑफिसर की मानें तो लापरवाही की वजह से दो घंटे आग बुझाने में लगे। अगर सारा सिस्टम दुरुस्त रहता तो आसानी से ऊपर पहुंचकर आग पर काबू पा लिया जाता, यही नहीं वैकल्पिक रोशनी तक का अरेंजमेंट इस बिल्डिंग में नहीं होने से मोबाइल की रोशनी में लोग पांचवें तल्ले तक पहुंच पाए।