-मजलिस के साथ ही जगह-जगह से निकाले जा रहे हैं जुल्जनाह यानी दुलदुल घोड़े

-चांद की पांच तारीख को जाहिद हुसैन के इमामबाड़े में हुई मजलिस

ALLAHABAD: करबला में शहीद हुए इमाम हुसैन के साथ ही उनके 72 साथियों की याद में मातम का दौर जारी है। जगह-जगह मजलिस का आयोजन हो रहा है। जुल्जनाह यानी दुलदुल घोड़े भी निकाले जा रहे हैं। सोमवार को पुराने शहर में दुलदुल का जुलूस निकाला गया, जिस पर फूल माला चढ़ाकर लोगों ने मुरादें मांगी।

यह रात ढल न जाए

मोहर्रम की पांचवी तारीख को चक स्थित इमामबाड़ा जाहिद हुसैन में अशरा-ए-मजलिस का आयोजन हुआ। जिसमें मौलाना ऱजी हैदर साहब ने 72 शहीदों पर ढाए गए जुल्मो सितम की दास्तां बयां की। अंजुमन गुंचा-ए-कासिमया ने तालिब भोपतपुरी का लिखा नया कलाम पेश कर लोगों को रोने पर मजबूर कर दिया। नौहा ख्वान शादाब जमन, शबीह अब्बास, ़जहीर अब्बास, कामरान रि़जवी, यूसूफ, फराज ़जैदी, ए़जाज, जमान नकवी ने नौहा पढ़ा-जैनब पुकारी रो कर यह रात ढल न जाए, लगता है बीबीयों डर यह रात ढल न जाए दूसरी मजलिस पान दरिबा स्थित इमामबाड़ा मिर्जा हिमायत हुसैन में हुई, जिसमें मौलाना ़जरगाम हैदर ने शोहदा-ए-करबला को खेराज-ए-अकीदत पेश की। इस दौरान मो। अस्करी, मिर्जा इकबाल हुसैन, शमशाद सुहैल, माहे आलम, जामिन हसन, अली रिजवी आदि मौजूद रहे।

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कोलहन टोला से भी नहीं उठेगा मेंहदी व अलम का जुलूस

चौक की ऐतिहासिक मोर्हरम कमेटी, राजापुर की ताजिया कमेटी के साथ ही नकासकोहना की मेंहदी कमेटी ने इस साल मोहर्रम और दशहरा का मेला एक साथ होने के कारण ताजिया मेंहदी का जुलूस न उठाए जाने का निर्णय लिया है। ऐतिहासिक मन्नती मेंहदी कोलहन टोला मोहर्रम कमेटी भी इस निर्णय में शामिल हो गया है। कोलहन कमेटी ने भी चांद की छह तारीख यानी 20 अक्तूबर को मेंहदी का जुलूस न उठाए जाने का फैसला किया है। एक्चुअली जिन रास्तों से जुलूस निकलता है, उन्हीं रास्तों पर दशहरा का मेला है। कोलहन टोला का मेंहदी का जुलूस नकास कोहना से निकलता है, जो सब्जी मंडी, जानसेनगंज, बड़ा ताजिया से घंटाघर, बातासा मंडी, लोकनाथ कोतवाली, रानी मंडी होते हुए इमामबाड़ा कोलहन टोला पहुंच कर समाप्त होता है। ताजियादार मो। हफीज खां, निसार खां, श्रीचंद दुबे, शिवगोपाल गुप्ता, हसीब अहमद, जितेंद्र मिश्रा, मंसूर अली ने फैसले का स्वागत किया।