PATNA: पटना में करोड़ों की मंडी में नकली किताबों का बड़ा जाल है। एनसीईआरटी की किताबों की डिमांड पर एक्टिव हुए कारोबारी किसी भी किताब की डुप्लीकेट कॉपी तैयार करने में मास्टर हैं। कॉपी राइट एक्ट को लेकर कई बार छापेमारी हुई और बड़े-बड़े खुलासे हुए लेकिन गांधी मैदान के आस पास चल रहा कारोबार ठंडा नहीं पड़ा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। नकली किताबों के खेल में पूरा सिस्टम फेल है। पुरानी किताबों के इस बाजार में करोड़ों के कारोबार के बाद भी कोई मॉनीटरिंग नहीं है।

50 से अधिक दुकानें में खेल

पटना में गांधी मैदान के आस पास 50 से अधिक ऐसी अस्थाई व स्थाई दुकानें हैं जहां हर साल करोड़ों का कारोबार होता है। यहां महंगे से महंगे राइटर की बुक की डुप्लीकेट प्रति मिल जाएगी। नकली किताबों के ढेर के बीच कारोबारी खुलेआम धंधा कर रहे हैं। इस पर अंकुश लगाने को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है। छापेमारी तभी होती है जब प्रकाशक खुद जांच कराता है और फिर पुलिस के साथ खुद जांच के लिए लगता है।

ऐसे बढ़ाते हैं डिमांड

एनसीईआरटी की पुरानी किताबों की काफी डिमांड है। गांधी मैदान और आस पास की दुकानों में इसे अधिक संख्या में रखा जाता है। यह किताबें असली नहीं होती हैं। जिन किताबों का सरकार की तरफ से निर्धारित रेट 25 रुपए है वह 130 रुपए में बेची जा रही है वह भी फोटो कॉपी वाली प्रति में। हर महंगी किताब का यहां ऑप्शन है।

एक साल पूर्व हुआ था बड़ा खुलासा

एक वर्ष पूर्व दिल्ली की एक बुक कंपनी ने पटना में जांच के बाद एसएसपी से संपर्क किया और फिर गांधी मैदान थाना की फोर्स के साथ छापेमारी कराई। इस बड़ी कार्रवाई ने पुलिस के साथ साथ हर किसी को चौंका दिया था। इस खुलासे के एक साल बाद भी अभी तक कोई रेड नहीं पड़ी और कारोबार खुलेआम चल रहा है।

स्टूडेंट्स के लिए ठीक नहीं डुप्लीकेट किताब

प्रकाशन से जुड़े लोगों का कहना है कि फोटो कॉपी या डुप्लीकेट किताबों से तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को नुकसान होता है। ऐसी किताबों में मिस प्रिंट के साथ कई त्रुटियां होती हैं। एनसीईआरटी की किताबों को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स ही लेते हैं। कॉम्पिटीशन की तैयारी कर रहे अशोक का कहना है कि नकली किताब सस्ती मिल जाती है लेकिन त्रुटियां बहुत होती है।

पैसा दीजिए हर किताब की कॉपी मिल जाएगी

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने जब सरकारी किताबों की डुप्लीकेट प्रति मांगी तो बड़ा खुलासा हुआ। यहां कारोबारी बहुत पावरफुल हैं और मौके पर नहीं होते हैं। सारा खेल एजेंट के माध्यम से होता है। स्टिंग ऑपरेशन में इस तरह से हुआ नकली किताबों का खेल उजागर।

रिपोर्टर - एनसीईआरटी की किताब है?

सेल्समैन - नई चाहिए या पुरानी।

रिपोर्टर - पुरानी ही दे दीजिए, रेट क्या है?

सेल्स्समैन - पुरानी किताब 120 रुपए की एक आएगी।

रिपोर्टर - दाम तो इसका 25 से 30 रुपए है, प्रिंट भी गायब है।

सेल्समैन - यही किताब बिकती है और अटती नहीं है।

रिपोर्टर - कुछ कम बताइए, कई सारी लेनी है?

सेल्समैन - फोटो कॉपी वाली ले लीजिए, 100 रुपए में मिल जाएगी।

रिपोर्टर - पुरानी वाली किताब भी तो कॉपी ही है?

सेल्समैन - हां सब कॉपी ही मिलेगी, आपकी मर्जी लेना है तो लीजिए।

रिपोर्टर - कॉपी और कौन कौन बुक मिल जाएगी?

सेल्समैन - आपको चाहिए क्या? सब किताब यहां मिल जाएगी।

पुरानी किताबों और एनसीईआरटी की पुस्तकों की कॉपी राइट और उनसे कई गुना अधिक रेट वसूली की शिकायत अभी तक तो नहीं मिली है। अगर शिकायत मिलती है तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।

कुमार रवि, जिलाधिकारी पटना