-कैंट बस अड्डा के आसपास से संचालित हो रही हैं नकली रोडवेज की बसें

नकली रोडवेज बसें उड़ा ले जा रहीं असली रोडवेज बसों के पैसेंजर्स

बनारस में डुप्लीकेट का मार्केट तो बहुत बड़ा है। इससे प्रशासन, पब्लिक के साथ रोडवेज भी परेशान है। अब आप सोच रहे होंगे कि भला डुप्लीकेट सामानों से रोडवेज का क्या लेना-देना तो हम आपको बता दें कि शहर में डुप्लीकेट बसें भी दौड़ रही हैं। इससे पीछे बस माफियाओं का खेल है। पीएम के ससंदीय क्षेत्र बनारस में इन दिनों नेशनलाइज रूट्स पर नकली रोडवेज की बसें भर्राटा भर रही हैं। चाहे आजमगढ़, इलाहाबाद रूट हो या जौनपुर, शक्तिनगर रूट ही। ऐसा नहीं है कि यह बड़ा गोलमाल किसी अफसर के संज्ञान में नहीं है मगर, सब जानते हुए भी जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं। कैंट रोडवेज बस अड्डा के आसपास से रोडवेज की शक्ल में नकली बसें संचालित हो रही। जिससे भ्रमित होकर यात्री उसमें सवार हो जा रहे है।

ऐसे लगा रहे रोडवेज को चूना

रोडवेज बस स्टैण्ड के पीछे एक पेट्रोल पंप से इलाहाबाद रूट, शक्तिनगर व आजमगढ़ के लिए डग्गामार बसें संचालित हो रही। इसमें अधिकतर बसें रोडवेज की रंग में और बसों पर 'उत्तर प्रदेश पं। सं.' लिखकर रोडवेज यात्रियों सहित आरटीओ व पुलिस को गुमराह किया जा रहा है। किसी-किसी बसों पर साइड बॉडी गेट के पास 'उत्तर प्रदेश प। नि.' भी छोटे अक्षरों में लिखा रहता है। खास बात कि कैंट-लहरतारा रूट बंद होने के बावजूद भी डग्गामार बसेज रोडवेज बस अड्डे तक पहुंच रही हैं। जबकि रोडवेज बसों को कलेक्ट्री फार्म तक ही रोक दिया जा रहा है।

दौड़ रहीं 50 से अधिक नकली बस

बनारस-आजमगढ़ रूट, बनारस-इलाहाबाद रूट, बनारस-जौनपुर रूट और बनारस-शक्तिनगर रूट पर 50 से अधिक डुप्लीकेट रोडवेज बसें दौड़ रही हैं। ऐसा नहीं है कि आरटीओ, पुलिस व ट्रैफिक विभाग को इस खेल की जानकारी नहीं है। रोडवेज अधिकारियों ने इस मामले में कई बार जिला प्रशासन सहित पुलिस प्रशासन को लेटर भेज कार्रवाई की डिमांड भी की लेकिन नतीजा सिफर है।

घाटे की यही वजह

कैंट-लहरतारा फ्लाईओवर रूट बंद होने का असर डग्गामार वाहन संचालकों पर बिल्कुल भी नहीं पड़ा लेकिन रोडवेज बनारस डिविजन को हर दिन लगभग दस लाख रुपये का लॉस हो रहा। घाटे में दौड़ रही रोडवेज को नकली बस से और चपत लग रही। इलाहाबाद, चंदौली, मिर्जापुर, शक्तिनगर रूट के लिए कैंट रोडवेज बस स्टेशन से बस नहीं मिल रही। लेकिन नकली रोडवेज बस खूब सवारियां ढो रही हैं।

ढाई सौ बसों का संचालन

कलेक्ट्री फार्म से संचालित रहीं रोडवेज सहित अनुबंधित बसों का बेड़ा ढाई सौ के पार है। यहीं से चंदौली, विंध्यनगर, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, इलाहाबाद, चित्रकूट, मथुरा, बांदा, कानपुर, नई दिल्ली, आगरा तक एसी और नॉन एसी बसें चल रही हैं मगर, इतने ही संख्या में छोटे-बड़े डग्गामार वाहन भी दौड़ रहे।

रोडवेज की तरह ही डग्गामार बसें भी दौड़ रही हैं। डग्गामार वाहनों की धर-पकड़ के लिए डीएम, एसएसपी, एसपी ट्रैफिक सहित आरटीओ तक को लेटर लिखा गया है। शहर के अंदर से लेकर नेशनल रूट इलाहाबाद व आजमगढ़ पर डग्गामार वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं।

केके शर्मा, आरएम

बनारस डिविजन, रोडवेज

एक नजर

250

रोडवेज बसें कलेक्ट्री फार्म से चल रही हैं

250

से अधिक छोटे-बड़े डग्गामार वाहन दौड़ रहे हैं अलग-अलग रूट पर

50

से अधिक रोडवेज की नकली बसें ढो रही हैं सवारियों को

15

मई से कैंट-लहरतारा रूट है बंद

10

लाख रुपये रोजाना लग रही है रोडवेज को चपत