- अशोक नगर दुर्गा पूजा समिति में सज रहा नार्थ इस्ट की आदिवासी संस्कृति पर पंडाल

- वेस्ट बंगाल के कारीगर दे रहे पंडाल को आखिरी रूप

<- अशोक नगर दुर्गा पूजा समिति में सज रहा नार्थ इस्ट की आदिवासी संस्कृति पर पंडाल

- वेस्ट बंगाल के कारीगर दे रहे पंडाल को आखिरी रूप

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: देवी दुर्गा के विविध स्वरूपों की तरह ही सिटी की कई दुर्गा पूजा कमेटियां हर साल पंडालों की सजावट में विविधता लाने की कोशिश करती हैं। इसी क्रम में अशोक नगर दुर्गा पूजा समिति इस बार नार्थ ईस्ट की आदिवासी संस्कृति को आधार बनाकर दुर्गा पूजा पंडाल तैयार कर रही है। पंडाल को थीम के हिसाब से लुक देने के लिए जंगली पेड़ों की छाल का यूज किया जा रहा है। वेस्ट बंगाल के कारीगर पंडाल को फाइनल टच देने में लगे हैं।

कई तरह के पेड़ों की लकडि़यों का हो रहा यूज

पंडाल को आदिवासियों की संस्कृति के हिसाब से लुक देने के लिए कई तरह के पेड़ों की लकडि़यों का यूज किया जा रहा है। इसके लिए खासतौर तोलता बांस को आसाम से मंगाया गया है। पंडाल के पिलर नारियल की छाल के साथ ही खजूर, पीपल, देवदार के पेड़ व उनकी छाल से बनाए जा रहे हैं। वहीं पंडाल की छत के लिए आसाम से मंगाए गए हेगला के पत्तों का यूज किया गया है। कमेटी के मेंबर ए भट्टाचार्य ने बताया कि हेगला के पत्ते का यूज अक्सर आदिवासी अपने घरों की छत के लिए करते हैं। इस पत्ते की खासियत है कि उसमें किसी प्रकार के कीड़े मकौड़े नहीं लगते हैं। ये पूरी तरह से वाटर प्रूफ होता है। इसलिए इनका यूज काफी समय से आदिवासी या जनजाति के लोग करते आ रहे हैं।

फ्0 कारीगर ख्0 घंटे कर रहे वर्क

पंडाल को तैयार करने के काम में वेस्ट बंगाल के फ्0 कारीगर लगे हुए हैं। पिछले कुछ हफ्तों से कारीगर ख्0 घंटे तक काम कर रहे हैं। जिससे समय पर पंडाल को तैयार किया जा सके। पंडाल को वेस्ट बंगाल के फेमस आर्किटेक्ट ज्योति घोष निर्देशन में तैयार किया जा रहा है। ए भट्टाचार्य ने बताया कि पंडाल का फ्रेम वर्क क्भ्00 बांस की लकड़ी से तैयार किया गया है। पूरे पंडाल को पूरी तरह से इकोफ्रेंडली बनाया गया है। इसमें दो मानव कंकाल ढोलक बजाते हुए राम नाम का उच्चारण करते हुए भी दिखाई देंगे। इस बार की दुर्गा पूजा के लिए रोड पर कई तरह के गेट बनाए गए हैं। पंडाल में आने वाले लोगों का वेलकम एफिल टावर करेगा।