रांची नगर निगम क्षेत्र के 40 और झारखंड के 1125 पेट्रोल पंप संचालक डायनेमिक पेट्रोल प्राइसिंग से परेशान हैं। हाल यह है कि पंप के कर्मियों को सुबह से ही मुस्तैदी से यह देखना पड़ता है कि प्राइस चेंज हुए कि नहीं। वहीं जो पंप ऑटोमेटेड नहीं हैं उनके कर्मियों को मैनुअली इसे चेंज करना होता है। जब लाइन कटती है तो ऑटोमेटेड पेट्रोल पंप कर्मियों को भी जेनरेटर चलाकर इसे करना होता है।

 

रतजगा करते हैं कर्मचारी

झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के पेट्रोलियम कमिटी के चेयरमैन डॉ रवि भटट ने बताया कि जब से डायनेमिक प्राइसिंग लागू हुई है, तब से पेट्रोल पंप के कर्मी रतजगा करने को मजबूर हैं। इनमें ऑटोमेटेड और नन ऑटोमेटेड पेट्रोल पंप के कर्मी शामिल हैं। जो पेट्रोल पंप ऑटोमेटेड नहीं हैं, उनमें इसे मैनुअली करना होता है और जो ऑटोमेटेड हैं उनमें यदि लाइट कट गयी तो कर्मचारी को या तो जेनरेटर चलाकर या फिर मैनुअली इसे करना होता है। इस स्थिति में कस्टमर्स से रेट को लेकर बकझक होने की संभावना रहती है और कई बार होती भी है।

 

हिसाब-किताब रखने में परेशानी

झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के स्पोक्स पर्सन प्रमोद कुमार ने बताया कि डायनेमिक प्राइसिंग व्यवहारिक नहीं है। इससे बिक्री का हिसाब-किताब रखने में परेशानी होती है। रांची नगर निगम क्षेत्र में 40 पेट्रोल पंप हैं और इनमें से लगभग पांच-छह में ऑटोमेशन नहीं होने से काम मैनुअली करना होता है। वहीं, झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक सिंह ने बताया कि झारखंड में लगभग 1125 पेट्रोल पंप हैं। इनमें लगभग 300 ही ऑटोमेटेड हैं। इससे परेशान पेट्रोल पंप संचालक और आम लोग दोनों हैं।

 

सिर्फ तेल कंपनियों को फायदा

डायनेमिक पेट्रोलियम प्राइसिंग लागू होने के बाज पेट्रोल पंप कर्मियों को सुबह छह बजे ही यह देखना पड़ता है कि रेट चेंज हुए हैं कि नहीं। इस व्यवस्था से सिर्फ बड़ी तेल कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है। ऐसे में हमने सरकार से मांग की है कि पंद्रह दिन में पेट्रोलियम प्रोडक्ट के रेट की जो व्यवस्था थी उसे ही चालू रखा जाये।