यहां भी किया खेल
इसने बताया कि चार-पांच माह पहले जयपुर में गया था। जहां अपना नाम इरफान अंसारी बताकर रेंट एग्रीमेंट करवाया था। इसके बाद इस नाम से ही फर्जी दस्तावेज बनवाए और धनलक्ष्मी बैंक में एकाउंट खुलवाया। जिसमें 17 जुलाई 2013 को ई-बैंकिंग के जरिए एकाउंट में पूना महाराष्ट्र के सुहास इंटरप्राइजेज के एकाउंट से तीस लाख रुपए आए थे, जिसमें से बीस लाख रुपए निकाले और पांच लाख रुपए दूसरे एकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद पुणे पुलिस ने एकाउंट सीज करा दिया और नाजिम मेरठ भाग आया, जिसको लेकर दत्तावाड़ी पूना महाराष्ट्र थाने पर आईटी एक्ट में केस दर्ज कराया गया था.

एक आदमी अनेक चेहरे
लिसाड़ी गेट पुलिस ने जब महाराष्ट्र पुलिस से कांटेक्ट किया तो पता चला कि इस एकाउंट से अस्सी लाख रुपए निकाले गए थे। जो अलग-अलग बैंक में ट्रांसफर किए गए थे। साथ ही इस गैंग ने पूरे इंडिया में हजारों की संख्या में फर्जी एकाउंट खोले हैं, जिनमें करोड़ों रुपए ई-बैंकिंग के जरिए निकाले गए। इस गैंग के लोग अलग-अलग शहरों में जाकर नाम और चेहरे बदलकर काम करते हैं। पकड़े गए नाजिम के कई चेहरे पुलिस ने फोटो के जरिए सामने रखे। जो देखने में इससे बिल्कुल नहीं मिलते.

ई-बैंकिंग का खेल
ई-बैंकिंग के दौरान एकाउंट हैक करने वालों में मेहराज और निखिल सिद्धार्थ कामले हैं। जो किसी भी बड़ी कंपनी के डायरेक्टर या फिर मैनेजर का फोन नंबर लेते हैं। इसके बाद उस नंबर की एक फर्जी चोरी की रिपोर्ट तैयार करके थाने में देते हैं और कंपनी को देते हैं। जहां यह नंबर बंद करके डुप्लीकेट नंबर निकलवा लेते हैं। अपने नंबर की रिपोर्ट बैंक में लगाते हैं और बैंकिंग एकाउंट के बारे में जानकारी जुटाते हैं। उधर जिसका नंबर होता है वह सीज हो जाता है। जब तक वह अपने नंबर के बारे में जानकारी जुटाता है तब तक ये लोग खेल करके निकल जाते हैं.

यहां किए हैं बड़े खेल
इन शातिर खिलाडिय़ों ने राजस्थान में जयपुर, महाराष्ट्र के पुणे, तमिलनाडु, चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू कश्मीर सहित लगभग सभी प्रदेशों में अपने गैंग के सदस्य फैला रखे हैं। जिसके एकाउंट में पैसा आता है वह बैंक से निकालकर मेहराज तक पहुंचाता है, जिसमें से खाताधारक को दस फीसदी पैसा मिलता है। वहीं मेहराज को इस पैसे का 25 फीसदी मिलता है और बाकी पैसा मुखिया को दे दिया जाता है। अब तक इस बदमाश कंपनी के लोगों ने करोड़ों अरबों रुपया गबन किया है.

"पकड़ा गया ई-बैंकिंग की दुनिया का माहिर खिलाड़ी है। जो नाम और चेहरे बदलकर किराए पर मकान लेता है। इसके बाद कंपनियों के बैंक एकाउंट से ई-बैंकिंग के जरिए रुपए ट्रांसफर होते ही निकलकर गायब हो जाता है। इस गैंग के सदस्य पूरे देश में फैले हुए हैं, जिनके विदेशों में भी कांटेक्ट हैं। बाकी साथियों की तलाश की जा रही है."
- ओंकार सिंह, एसएसपी मेरठ

क्या करें क्या ना करें
- हमेशा अपने ई बैंकिंग एकाउंट के लिए अच्छा और स्ट्रांग पासवर्ड यूज करना चाहिए ना कि आसान। जैसे आपकी डेट ऑफ बर्थ, आपका नाम। इसमें अंक और अक्षर मिक्स वाला स्पेशल कैरेक्टर होना चाहिए। ताकि हैकर जल्दी हैक ना कर पाए.
- अपना पासवर्ड किसी भी विश्वासनीय को भी नहीं देना चाहिए। ना ही किसी को अपने ईमेल पर पासवर्ड या फिर पर्सनल इंफार्मेशन नहीं देनी चाहिए.
- किसी को अपने बैंक एकाउंट की डिटेल ईमेल पर ना बताएं। ऐसा करते हैं तो हमेशा सावधान रहना चाहिए.
- कोई ऐसा लिंक अपने ईमेल या फिर बैंक को ना दिया जाए, जिसको दूसरा व्यक्ति देख ले। यूआरएल मेमोरी और एड्रेस बार में कभी कुछ ऐसा सेव ना किया जाए जिसको कोई हैकर देखे ले.
- जब भी आप किसी डॉक्यूमेंट की फोटो कॉपी कराते हो जैसे इंपोर्टेंट डॉक्यूमेंट्स, पेन कार्ड, इलेक्ट्रिसिटी बिल, पासपोर्ट की तो खराब होने वाली कॉपी को साथ के साथ फाड़ देना चाहिए।
- कभी भी खराब फोटो कॉपी शॉप पर ना छोड़कर आएं। इसको कोई भी यूज कर सकता है। आपके डॉक्यूमेंट के जरिए वह कुछ भी कर सकता है.
- अगर आपका कोई डॉक्यूमेंट खोता है तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस थाने को दी जानी चाहिए। ताकि कोई गड़बड़ी होती है तो आपका नाम बच जाए.
- आपका मोबाइल नंबर अगर बंद होता है तो उसका कारण तुरंत कंपनी से मालूम करें। कहीं कोई दूसरा तो आपका नंबर नहीं चला रहा.