2630 ई-रिक्शा ही परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड

237 ई रिक्शा चेकिंग के दौरान दबोचे गए

Meerut। शहर की सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे ई रिक्शा पर रोक लगाना परिवहन विभाग और यातायात पुलिस के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। हालत यह है कि ई रिक्शा संचालकों ने विभाग की आंख में धूल झोंकने के लिए अब फर्जी नंबर प्लेट का सहारा ले रहे हैं। चेकिंग के दौरान केवल ई रिक्शा पर लगी नंबर प्लेट को देखकर उनके रजिस्ट्रेशन की पुष्टि की जाती है लेकिन नंबर की जांच नही होती इस कारण से शहर में लगातार फर्जी नंबर प्लेट का प्रयोग बढ़ता जा रहा है।

ई रिक्शा रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

आरटीओ ने ई रिक्शा की संख्या पर लगाम कसने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था। इसके लिए संबंधित विक्रेता एजेंसी के माध्यम से ई रिक्शा का रजिस्ट्रेशन कराकर खरीददार को दिया जाता है। कुछ आवेदक सीधा विभाग में ही रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद विभाग द्वारा ई रिक्शा को नंबर वितरण किया जाता है।

बिना रजिस्ट्रेशन फर्जी नंबर

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया से बचने के लिए ई रिक्शा चालकों द्वारा फर्जी नंबर प्लेट का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। गत माह यातयात पुलिस और आरटीओ के अभियान में करीब 237 ई रिक्शा अन रजिस्टर्ड और फर्जी नंबर प्लेट के मिले। इन ई रिक्शा का विभाग में कोई रिकार्ड नही था।

महज 2,630 का रजिस्ट्रेशन

आंकड़ों पर नजर डालें तो आरटीओ में अब तक 2630 ई रिक्शा ही रजिस्टर्ड हैं। जबकि शहर की सड़कों पर हजारों की संख्या में ई रिक्शा का अवैध रुप से संचालन हो रहा है। केवल कुछ ही एजेंसी के माध्यम से बेचे जाने वाले ई रिक्शा ही रजिस्टर्ड होते हैं। कई एजेंसी संचालन सस्ते ई रिक्शा को बिना रजिस्ट्रेशन बेच देते हैं जिनको चालक भी रजिस्टर्ड नही कराता।

एजेंसियों को सख्त आदेश है कि प्रत्येक ई रिक्शा की बिक्री विभाग की जानकारी में की जाए। उनकी फाइल रजिस्टर्ड होने के बाद ही ई रिक्शा सड़क पर संचालित हो। लेकिन अभी भी कुछ एजेंसियां बिना रजिस्ट्रेशन के ही ई रिक्शा बेच रही हैं।

डॉ। विजय कुमार, आरटीओ