डिजिटल मनी की तरफ झुकाव, दुकानों से लेकर बिजनेसमैन तक कर रहे यूज

पेटीएम बना पहली पसंद, बैंकों में स्वैप मशीन के लिए आए सैकड़ों आवेदन पेंडिंग

ALLAHABAD: नोट बंदी से परेशान लोगों ने डिजिटल मनी का ऑप्शन चुनना शुरू कर दिया है। अब लोग पर्स में नोट की बजाय ई वालेट पर आश्रित होते जा रहे हैं। दुकानदार भी कैश लेन-देन की जगह ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को तरजीह देने में लगे हैं। उदाहरण के तौर पर टैगोर टाउन के किराना स्टोर के संचालक दिनेश ने स्वैप मशीन के लिए बैंक में आवेदन कर दिया है और ग्राहकों की सुविधानुसार पेटीएम से पेमेंट भी ले रहे हैं।

अभी सिर्फ बीस फीसदी

प्लास्टिक मनी या इंटरनेट बैंकिंग की बात आती है तो इलाहाबाद में महज बीस फीसदी ही ऐसे लोग हैं जो कैशलेस लेनदेन करते हैं। हजार और पांच सौ का नोट बंद होने के बाद ई वालेट और नेट बैंकिंग बड़े ऑप्शन बनकर सामने आए हैं। इसका सबसे ज्यादा लाभ पेटीएम को हुआ है। लोगों ने ऐप डाउनलोड कर सामने वाले को भुगतान करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा खाते से खाते में फंड ट्रांसफर के लिए आरटीजीएस, एनएफटी, चेक, बैंक ड्राफ्ट आदि का उपयोग किया जा रहा है।

ये हैं प्लास्टिक मनी

क्रेडिट कार्ड- प्लास्टिक मनी के इस प्रकार में विशिष्ट स्थानों में खरीदारी करने, सेवाएं प्राप्त करने और आपात काल में कार्ड के लिए निर्धारित सीमा तक नकद देने की सुविधा प्रदान की जाती है।

डेबिट कार्ड- डेबिट कार्ड एक व्यक्तिगत कार्ड होता है जो बैंक द्वारा ग्राहक को पैसे निकालने के लिए अथवा किसी भी खरीद का मूल्य सीधे ग्राहक के खाते से चुकाने के लिए प्रदान किया जाता है।

गिफ्ट कार्ड- ये बैंक, मचर्ेंट स्टोर की ओर से अपने ग्राहकों को दिये जाते हैं। इससे अपनी इच्छानुसार उनकी पसंद की स्टोर से खरीदारी करने की छूट मिलती है।

ई वालेट- पैसे रखने का वर्चुअल (डिजिटल) पर्स है, जिससे आप अपने लिए खरीदारी कर सकते हैं या सेवाओं का भुगतान कर सकते हैं। इससे खरीदारी से पहले मोबाइल की तरह ही रिचार्ज किया जाता है। इसके अलावा अपने डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए ई-वॉलेट में पैसे ट्रांसफर भी कर सकते हैं। ई-वॉलेट से खरीदारी के लिए अपने डेबिट या क्रेडिट की जानकारी देने की जरूरत नही होती है।

बैंक नही लगा रहे स्वैप मशीन

नोट बंदी के बाद से दुकानदारों और स्टोर मालिकों ने विभिन्न बैंकों में स्वैप मशीन लगाने का आवेदन किया है, लेकिन अभी बैंक आगे नहीं आ रहे हैं। उनकी ओर से आवेदन पेंडिंग में रखे गए हैं। चौक के टेलर मास्टर फहीम, किराना दुकान वाले देवेंद्र, राजेश, क्लीनिक संचालक डॉ। राजेश आदि का कहना है कि स्वैप मशीन लग जाने के बाद मरीजों की दिक्कतें काफी हद तक कम हो जाएंगी। शहर के कई पेट्रोल पंपों पर भी अभी इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है।

ई मनी के जमाने में कैश के लिए रोना ठीक नहीं है। जनता भी समझ रही है। इसलिए जरूरी है कि ई वालेट और नेट बैंकिंग का इस्तेमाल कर अपनी जरूरतें पूरी की जाएं।

डॉ। कमलाकर सिंह

कैश लेस होना समय की मांग है। मैंने भी ई वालेट का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इससे कई तरह के नुकसान से भी बच जाएंगे। इससे जेब में पैसे नहीं होने पर शापिंग नहीं रुकेगी।

डॉ। आनंद सिंह

नोट बंदी के बाद व्यापारियों ने ई बैंकिंग को फॉलो करना शुरू कर दिया है। इससे खरीदारों को सहूलियत हो रही है। वे डेबिट कार्ड के जरिए आसानी से भुगतान करते हैं। आज नहीं तो कल इस ऑप्शन को फॉलो करना ही होगा।

सतीश केसरवानी, व्यापारी

हर जगह कैश की किचकिच है। बैंक से पैसा नहीं मिल रहा है। ऐसे में ई बैंकिंग और डिजिटल मनी के बहुत से ऑप्शन मौजूद हैं। लोगों को थोड़ा जागरुक होना होगा। इससे सभी झंझटों से छुटकारा मिल जाएगा।

प्रमिल, व्यापारी