- शासकीय और विभिन्न सार्वजनिक निगम से होगी शुरुआत

- गाडि़यों पर आने वाले खर्च देना होगा परिवहन निगम को

LUCKNOW: राजधानी में शासकीय और निगम में प्रयोग की जाने वाली गाडि़यों की सेंट्रालाइज व्यवस्था किए जाने की तैयारी है। विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारियों के वाहन और अन्य गाडि़यों की व्यवस्था की जिम्मेदारी अब परिवहन निगम की होगी। इसके चलते किसी भी विभाग को गाडि़यां खरीदने की जरूरत नहीं होगी। आवश्यकता पड़ने पर वह परिवहन निगम से गाडि़यां मंगवा सकता है। ऐसे में जहां पर विभिन्न विभागों में गाडि़यों पर आने वाले खर्च में कटौती होगी, वहीं उनको चौबीस घंटे गाडि़यों की सेवा मिल सकेगी। ऐसे में जो भी विभाग गाड़ी से जितना भी सफर तय करेगा, उसका भुगतान परिवहन निगम को करना होगा।

नहीं होगी गाडि़यों की कमी

परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में टैक्सी सेवा शुरू किए जाने की योजना को मंजूरी मिल चुकी है। इसकी शुरुआत सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में होनी है। ऐसे में सबसे पहले सरकारी विभागों और निगमों में इसकी सेवा दी जाएगी, जिससे इस योजना की बेहतरीन शुरुआत हो सके। इसके साथ ही किसी भी विभाग में गाड़ी की कमी आड़े नहीं आएगी। ये गाडि़यां जितना सफर करेंगी, उसके अनुसार परिवहन निगम को भुगतान करना होगा। इसके लिए परिवहन निगम प्रति किमी की दर से शुल्क वसूल करेगा। विभागीय अधिकारियों के अनुसार सबसे पहले भारत दूरसंचार निगम, ब्रिज कारपोरेशन, एलआईसी और निर्माण निगम को इस योजना के तहत सेवाएं दी जाएंगी। इसके बाद शासकीय कार्यालयों में विभिन्न निदेशालयों और सचिवालय में भी निगम की ओर से ही गाडि़यां उपलब्ध कराई जाएंगी।

एसयूवी गाडि़यां भी होंगी उपलब्ध

परिवहन निगम के अधिकारियों के अनुसार इस योजना को पीपीपी मॉडल पर शुरू किया जाएगा। जिस तरह से अभी परिवहन निगम बसों को अनुबंध करता है, उसी तरह से इसमें चार पहिया गाडि़यों को अनुबंध किया जाएगा। इसमें इंडिका से लेकर एसयूवी तक गाडि़यां शामिल होंगी। पहले ही दौर में कम से कम 500 गाडि़यों को अनुबंध किए जाने की तैयारी है। इन गाडि़यों के संचालन के लिए एक कमांड ऑफिस भी बनेगा जो 24 घंटे काम करेगा। खास बात यह होगी कि परिवहन निगम की टैक्सी सेवा में संचालित होने वाली गाडि़यों की प्रति किमी दर ट्रवेल संचालकों से कम होगी।

ऐसे लिया वसूला जाएगा किराया

विभागीय अधिकारियों के अनुसार विभागों को दी जाने वाली गाडि़यों को एक दिन में 80 किमी का सफर और आठ घंटे गाड़ी प्रयोग करने की लिए छूट होगी। इसके बाद प्रति किमी का शुल्क बढ़ा दिया जाएगा। नाइट हॉल्ट के लिए भी शुल्क अतिरिक्त लिया जाएगा। अभी यह तय होना बाकी है कि प्रति किमी। शुल्क क्या होगा और उसमें अनुबंध करने वालों को किस आधार पर पेमेंट किया जाएगा।

रोजगार के साथ सुरक्षा का ख्याल

इस योजना के विस्तार से लोगों को रोजगार मिल सकेगा, वहीं ट्रैवेल संचालकों की मनमानी पर भी लगाम लगाई जा सकेगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि अभी तक तो सिर्फ सरकारी महकमों को इससे जोड़े जाने की योजना है। इसके बाद प्राइवेट सेक्टर भी इसकी शुरुआत होगी। कोई भी निगम से गाड़ी मंगाकर सफर कर सकेगा। परिवहन निगम अनुबंध करने वाली सभी टैक्सियों में वीटीएस भी लगाएगा, जिससे कमांड ऑफिस से गाडि़यों पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा गति नियंत्रक और सीसीटीवी भी गाडि़यों में लगाए जाएंगे।

शुरुआती दौर में परिवहन निगम की टैक्सी योजना में शामिल गाडि़यों को राजधानी में मौजूद सार्वजनिक उपक्रमों में लगाया जाएगा। उसके बाद शासन और अन्य विभागों में भी गाडि़यों की व्यवस्था उपलब्ध कराई जाएगी। इससे जहां परिवहन निगम की आय में इजाफा होगा, वहीं अन्य विभागों में गाडि़यों पर होने वाले खर्च में कटौती होगी।

विनीत सेठ

आरएम, आईटीएमएस

परिवहन निगम