- प्रदेश भर में भूकंप से 9 लोगों की मौत, सैकड़ों घायल

- दो झटकों के बाद 18 आफ्टर शॉक्स ने फैला दी दहशत

- सुबह से लेकर रात तक उड़ती रही अफवाह

- प्रदेश सरकार ने हर मुमकिन मदद के साथ ही मुआवजे का किया एलान

LUCKNOW: सैटरडे की दोपहर लखनवाइट्स को ऐसा झटका लगा कि वह अपने अपने घर व ऑफिसेज को छोड़ सड़कों पर निकल आये। दिन में पहले क्क्:ब्क् बजे फिर क्ख्:क्9 बजे और शाम को म्:क्म् बजे आये भूकंप ने लखनवाइट्स को हिला दिया। स्कूलों, सरकारी इमारतों, हॉस्पिटल्स में लोग भागते हुए नजर आये। इस दौरान लखनऊ में अलग-अलग स्थानों पर इमारत गिरने और घरों की दीवार गिरने से कुछ लोगों के घायल होने की खबर है। वहीं, मरने वालों की संख्या 9 बताई जा रही है।

हिली इमारत, भागे लोग

सुबह का टाइम था। दफ्तरों में रोज की तरह काम चल रहा था। क्क् बजकर ब्क् मिनट पर अचानक बिल्डिंग हिलने लगी। किसी को लगा चक्कर आया किसी को लगा कि उसकी तबियत खराब हो रही है लेकिन जब नजरें ठहरी हुई चीजों पर पड़ीं तो वह भी हिल रहीं थी। फिर क्या था सभी चिल्लाये, भागो भूकंप आया। जो जिस हालत में था उसी हालत में वहां से भागा। कोई नंगे पांव चौथी मंजिल से भाग कर नीचे आया और कोई नाश्ते की प्लेट छोड़कर भागा। यह झटका एक मिनट से अधिक समय तक था जिसे हर लखनवाइट्स ने महसूस किया। कुछ देर बाद जब लोग नार्मल होकर वापस बिल्डिंग्स में पहुंचे तो क्ख् बजकर क्9 मिनट पर उन्हें एक झटका और लगा। उसके बाद जो लोग बिल्डिंग से नीचे आये घंटों बिल्डिंग्स में नहीं गये। किसी ने पार्क को आशियाना बनाया और कोई अपनी कारों से शहर का नजारा लेने निकल पड़ा। इससे पहले इतना तेज भूकंप लखनऊ में कब महसूस किया गया था यह लखनऊ के बुजुर्ग भी नहीं बता पा रहे थे।

दिनभर में तीन बार महसूस हुए झटके

पहली बार क्क्.ब्क् पर पहली बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। जिनकी रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7.9 रही। भूकंप का केंद्र नेपाल में क्0 किमी की गहराई में था। इसका लखनऊ में लगभग भ् की तीव्रता रही। वहीं, दूसरी बार क्ख्.क्9 बजे झटके महसूस किए गए। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केलर पर म्.म् रही। इसके बाद शाम म् बजकर क्म् मिनट पर तीसरा झटका लगा। मौसम विभाग के अनुसार सुबह से लेकर शाम तक कुल क्8 आफ्टर शॉक महसूस किये गये।

कहां क्या हुआ नुकसान

कश्मीरी मोहल्ले में एक पुरानी इमारत की छत गिर गयी। कई बिल्डिंगों में दरारें पड़ गयीं। नगराम में एक मस्जिद की मीनार टूट कर लटक गयी। वहीं दहशत में भाग रहे एलडीए के एक कर्मचारी की सीढि़यों से गिरकर टांग टूट गयी।

सड़क पर आ गया हॉस्पिटल

इन झटकों का असर सबसे अधिक हॉस्पिटल्स पर देखने का मिला जहां लोग बेड समेत सड़कों पर आ गये। डालीगंज क्रासिंग के पास स्थित लिंब सेंटर हास्पिटल के पेशेंट बेड समेत सड़कों के किनारे आ गये। यहां अधिकतर वह लोग थे जिनके हाथ या पैर में फ्रैक्चर था। कोई मां अपने बेटे के लिए दुआएं मांग रही थी और कोई अपनी बेटी को दवा दे रही थी।

सड़कों पर निकल आये लोग

झटकों से सहमे लोग बिल्डिंग्स से दूर सड़कों पर आ गये। इसकी वजह से कुछ देर के लिए राजधानी की सड़कों पर जाम की स्थिति बन गई। ओसीआर बिल्डिंग के पास तो घंटों जाम लगा रहा। यहां क्ब् मंजिला इमारत से लोग निकलकर सड़कों पर आ गये थे। भूकंप को लेकर लोग इतना अवेयर थे कि बिल्डिंग के गिरने तक की स्थिति को आंकलन करके डिस्टेंस मेंटेन करते हुए रोड के बीचोबीच आ गये।

मीटिंग छोड़कर भागे अधिकारी

जिस समय भूकंप आया उस समय चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन अपने ऑफिस में एक मीटिंग कर रहे थे। जैसे ही भूकंप के झटके महसूस हुए चीफ सेक्रेटरी समेत सभी अधिकारी और कर्मचारी ऑफिस छोड़कर नीचे की ओर भागने लगे। मजे की बात यह रही कि इस दौरान कम ही लोगों ने लिफ्ट का इस्तेमाल किया। अधिकतर लोग सीढि़यों का सहारा लेकर नीचे की ओर भागे। पंचम तल पर सीएम के सेक्रेटरी अमित गुप्ता और पार्थ सारथी सेन शर्मा भी भूकंप के झटकों के बाद पूरे स्टॉफ के साथ नीचे आ गए। कुछ ही देर बाद आये दोबारा झटकों के बाद पंचमतल के सभी ऑफिसेस खाली हो गये। सैटरडे की वजह से वैसे भी कम लोग आये थे लेकिन भूकंप के झटके बाद जो ऑफिस आये थे वह भी लौट गये।

लेते रहे जानकारी

चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने भूकंप के बाद सभी मंडलों के कमिश्नरों, जिलों के जिलाधिकारियों से फोन पर बातकर नुकसान की जानकारी लेते रहे। जिन जिलों में कैजुअल्टी हुई थी वहां के डीएम को फौरन मौके पर पहुंचने के निर्देश दिये। चीफ सेक्रेटरी ने सीएम के उस निर्देश को अधिकारियों से शेयर किया जिसमें मृतक के परिजनों को सात लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को पचास हजार रुपये और मामूली रूप से घायलों को ख्0 हजार रुपये देने की बात कही थी।

सीएम ने भी रखी पल-पल पर नजर

सीएम अखिलेश यादव खुद पल-पल पर नजर रख रहे थे। अधिकारियों को निर्देश देना, मृतक परिजनों को मुआवजा देना और जनता से धैर्य बनाये रखने की अपील करते नजर आये। वह हर बात को ट्वीट और एफबी के जरिये लोगों से शेयर कर रहे थे। सीएम ने ट्वीट कर बताया कि उनकी प्रधानमंत्री से भी बात हुई है और उनको बताया है कि सरकारी मशीनरी को पूरी तरह से अलर्ट कर दिया गया है। चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी से लेकर जिलों में डीएम और एसएसपी तक को निर्देश दिये गये हैं।

बंद हुए शिक्षण संस्थान

सीएम ने स्कूलों को बंद करने का भी निर्देश फौरन ही दे दिया था। इसके बाद एहतियात के तौर पर स्कूलों को बंद कर दिया गया। डीएम लखनऊ ने भी सभी स्कूलों को तत्काल बंद करने के निर्देश दिये। भूकंप की दहशत के चलते यूपी रोडवेज की बसों का संचालन दो घंटे तक ठप हो गया। इस दौरान चारबाग और कैसरबाग बस अड्डों पर अफरा-तफरी का माहौल दिखाई पड़ा। लोग अपनी हिफाजत के लिए सुरक्षित जगह पर भागते दिखाई पड़े।

यूपी में 9 मौत, सैकड़ों घायल

दोपहर तक के आंकड़ों के बारे में चीफ सेक्रेटरी ने बताया कि इस अर्थक्वेक से पांच लोगों की मरने की पुष्टि हो चुकी है। इसमें बाराबंकी में मकान ढहने से दो लोगों की मौत हो गयी जबकि गोरखपुर, श्रावस्ती और संतकबीर नगर में एक एक लोगों की मौत हो गयी। हालांकि, प्रदेश में शाम तक मरने वालों की संख्या बढ़कर नौ हो गई।

छोटे पड़ गये पार्क

शहर की ऊंची बिल्डिंग्स में रहने वालों को जब झटके महसूस हुए तो वह सीढि़यों का सहारा लेकर नीचे की ओर भागे। ला-प्लास कॉलोनी के सामने का मैदान देखते ही देखते भर गया। ऐसा ही हाल ओसीआर बिल्डिंग, बहुखंडी मंत्री आवास, इंदिरा भवन, जवाहर भवन, शक्ति भवन और एनेक्सी का भी रहा। लाप्लास रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी के सचिव हेमंत मैथिल ने बताया कि वह लाप्लास के क्0वीं मंजिल पर रहते हैं। जैसे ही भूकंप के झटके महसूस हुए सबसे पहले उन्होंने अपने साथी पुरुष पड़ोसियों के साथ बिल्डिंग में रहने वाले बुजुर्गो को उठाकर नीचे उतारा। इसके बाद बच्चों और लेडीज को नीचे उतारने में मदद की गई। दहशत का आलम यह था कि स्कूल में छुट्टी होने के बाद लौटे बच्चों को भी लोगों ने बिल्डिंग के नीचे ही रोक लिया। जिससे छोटे-छोटे बच्चे घंटों चिलचिलाती धूप में भूखे-प्यासे खड़े रहने को मजबूर रहे।

माल में मची भगदड़

भूकंप के झटके महसूस होते ही राजधानी का दिल कहे जाने वाले सहारागंज में भी भगदड़ मच गयी। शॉपिंग मॉल के भीतर मौजूद लोग और दुकानदार जान बचाकर भागने लगे। कुछ ही देर में मॉल के बाहर भारी भीड़ लग गई। आलम यह था कि जान बचाकर भागे दुकानदार अपनी दुकानें भी खुली छोड़ आए थे। मौके की नजाकत को भांपते हुए मॉल में सिक्योरिटी के लिये तैनात गा‌र्ड्स ने भीतर एंट्री पूरी तरह बैन कर दी। दो बार झटके महसूस होने के एक घंटे बाद सहारागंज शॉपिंग मॉल को शाम तक बंद करने का निर्णय लिया गया और गेट को बंद कर दिया गया। मॉल के सिक्यारिटी इंचार्ज सुनील बंका ने बताया कि मॉल के दुकानदारों और यहां आने वाले लोगों की सिक्योरिटी को देखते हुए मॉल को बंद करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि अगर शाम तक फिर से भूकंप के झटके महसूस न हुए तो मॉल खोलने के बारे में विचार किया जाएगा।

सहम गये स्टूडेंट्स

के.के सी कॉलेज में एग्जाम दे रहे स्टूडेंट्स को भूकंप में झटके का एहसास हुआ तो वह कॉलेज कैंपस छोड़ कर स्टूडेंट्स भाग कर रोड पर पहुंच गए। काफी देर तक रोड पर ही खड़े होकर इंतजार करते रहे। कुछ स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स ने आस-पास के पार्क और खुले स्थानों पर पहुंचकर अपने आप को सेफ किया। फैमिली मेम्बर्स को फोन पर कॉल करके अपने लोकेशन और भूंकप की जानकारी देते रहे।

अधिकारियों और कर्मचारियों में दिखी अफरातफरी

हुसैनगंज स्थित पीसीएफ ऑफिस के बहुमंजिला इमारत में भूंकप के झटके जब महसूस किए गए तो सारे कर्मचारी ऑफिस छोड़ कर बाहर की तरफ भाग निकले। आलम यह था कि कर्मचारी बेसिक (वायरलेस) फोन और मोबाइल फोन लेकर बाहर की तरफ भागते नजर आए।

क्या कहा अधिकारियों ने

मौसम आंचलिक विज्ञान केंद्र के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि क्क्.ब्क् मिनट पर भूकंप आया। उसके बाद उसका आफ्टर शॉक क्ख्.क्9 बजे दर्ज की गई। तीसरी बार इसके झटके शाम म्:क्म् बजे महसूस किए गए। उन्होंने बताया कि अब आफ्टर शॉक ही आएंगे जो कम तीव्रता के होंगे, जिनसे जान माल का नुकसान होने के चांसेस बहुत कम हैं।

पहले आए भूकंप

चमोली उत्तराखंड- क् अप्रैल ख्0क्भ्--भ्.क् रिक्टर स्केल

उत्तरकाशी में क्99क् में म्.भ् रिक्टर स्केल

चमोली उत्तराखंड में क्999 में म्.म् रिक्टर स्केल

भुज ख्00क् में 7.म्

ट्रॉमा से बाहर भागे मरीज

भूकंप के झटके महसूस होते ही ट्रॉमा सेंटर में भी अफरातफरी मच गई। कई मरीजों के परिजन अपने अपने पेशेंट्स को लेकर बाहर भागे। लिम्ब सेंटर के आर्थोपेडिक विभाग में भर्ती मरीजों के परिजन मरीजों को लेकर बाहर आ गए। दोपहर में निकले मरीज अपने बेड सहित शाम तक रोड पर ही डटे रहे । डॉक्टर्स पैरामेडिकल स्टाफ और मरीजों के परिजनों में दहशत इतनी थी कि भ् बजे तक रोड पर रहे और अधिकारियों के समझाने के बाद ही अंदर गए। यही हाल डॉ। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट की रही। जहां परिजन अपने मरीजों को लेकर बाहर भागे। उधर, केजीएमयू की ओपीडी खाली हो गई। मरीजों के साथ डॉक्टर भी बाहर धूप में घंटों खड़े रहे। कई डॉक्टर बाहर धूप में ही मरीजों को पर्चा पर दवा लिखते देखे गए। नई ओपीडी बिल्डिंग में टॉप फ्लोर पर एक दरार भी दिखी जिसे मरीज और डॉक्टर सब देखते रहे। बलरामपुर, सिविल और लोहिया अस्पतालों में भी ओपीडी के दौरान भगदड़ मच गई ओर डॉक्टर के साथ मरीज सब बाहर आ गए। संजय गांधी पीजीआई में भी भूकंप के झटकों के कारण डॉक्टर भाग खड़े हुए। सब सड़कों पर आ गए। घंटों तक यही हाल जारी रहा। ओपीडी के साथ बेड के साथ मरीजों को लोग लेकर बाहर आ गए।

तीन मरीज हुए भर्ती

भूकंप में घायल तीन मरीजों को गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। बलरामपुर डिस्ट्रिक्ट के अमजत खान पुत्र इनाम खान, अंशी पुत्री गुड्डी डिस्ट्रिक बाराबंकी और रेनू पत्‍‌नी विजय कुमार बाराबकी हैं।

एक नजर पूरे शहर पर

-चारबाग रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर रही अफरातफरी, दो घंटे ठप रहा बसों को संचालन

-शहर के कई हिस्सों में बिल्डिंग्स में पड़ी दरार

-भूकंप की दहशत से दोपहर बाद कई घंटे तक श्रीराम टावर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया

- शनिवार का दिन होने के कारण मंदिरों में भीड़ थी, लेकिन भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग मंदिरों से बाहर आ गये

-अफवाहें फैलती रहीं कि एक घंटे में, दो बजे तक, तीन बजे तक और शाम तक भूकंप फिर से आने की अफवाह फैलती रही।

-भूकंप के समय पुराने लखनऊ में स्थित क्लॉक टावर को भी लोगों ने हिलते हुए देखा।

जाम हो गया नेटवर्क

दोपहर में भूकम्प के झटके महसूस होने के बाद लोगों ने अपनों को फोन करना शुरू कर दिया। एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग एक दूसरे को जानकारी देने में जुट गए कि टेलीफोन कम्पनियों का नेटवर्क बैठ गया। पहली बार झटके महसूस होने के बाद लगातार तीन घंटे तक किसी नेटवर्क पर कॉल्स नहीं लगी। लेकिन डाटा सर्विसेज काम कर रही थी। बीएसएनएल के अधिकारियों के मुताबिक कई घंटे तक यह समस्या रही। घंटे भर बाद ही बीएसएनएल से बीएसएनएल कॉल्स मिलने लगी लेकिन अन्य नेटवर्क पर कॉल कनेक्ट नहीं हो रही थी। प्राइवेट कम्पनियों का हाल और ज्यादा बुरा रहा।

लखनऊ के ज्यादातर मकान झेल नहीं सकते तेज भूकम्प

गनीमत थी कि 7.9 तीव्रता के भूकम्प का केन्द्र नेपाल में था। अगर लखनऊ में इस तीव्रता के साथ भूकम्प आता तो यहां के 80 परसेंट मकान धराशायी हो जाते। बिना नक्शा पास कराए और नक्शों के विपरीत भवन रहे मकानों में से 80 परसेंट से ज्यादा इस स्तर के भूकम्प को झेलने में सक्षम नहीं हैं। जरूरी है कि मकानों को भूकम्प रोधी तकनीक से बनाया जाए। एलडीए इंजीनियर्स के अनुसार इसमें सरियों के जाल से बने पिलर्स पर ही मकान बनना चाहिए। ताकि मकान में कम्पन होने पर भी यह नीचे नहीं गिरे। इसके लिए ग्रीन बिल्डिंग ना‌र्म्स को भी फालो करना होगा।