- डिजास्टर को संभालने वाली बटालियन मेरठ में नहीं नोएडा में है

- बड़ा हादसा होने पर तीन घंटे लग जाएंगे पहुंचने में

- मेरठ में सिर्फ नाम की है डिजास्टर अथॉरिटी

Meerut : भूकंप के झटकों से मेरठ के बार फिर सहम गया। आखिर डिजास्टर से बचने के हमारे पास इंतजाम क्या हैं? हम क्यों कैजुएलिटी का इंतजार कर रहे हैं। अगर किसी दिन कोई भारी झटका लगता है तो लोगों तक राहत पहुंचने में तीन घंटे का समय लग जाएगा।

सड़कों की ओर दौड़े लोग

करीब एक मिनट तक झटके लगने से लोग इतने सहम गए कि सड़कों पर आ गए। स्कूल से लेकर ऑफिसों और घरों में बैठे लोगों तक को बाहर की ओर दौड़ना पड़ा। थापर नगर निवासी कमल सिंह गुप्ता ने बताया कि झटका करीब एक मिनट तक महसूस हुआ। घरों के सामान काफी तेजी से हिल रहे थे। घर से सभी लोगों को बाहर भेजना पड़ा।

नहीं हो सकी पढ़ाई

इन भूकंप के झटकों ने स्कूली बच्चों की भी पढ़ाई काफी नुकसान किया। केएल इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों को भूकंप के झटकों के दौरान करीब ख्0 मिनट तक ग्राउंड में गुजारना पड़ा। वहीं वेस्ट एंड रोड एमपीजीएस की स्टूडेंट्स का तो पूरा दिन ही बर्बाद हो गया। पहले उन्हें भूकंप के कारण क्क्:ब्0 से क्ख् बजे तक बाहर रहना पड़ा। उसके बाद भूकंप के कारण क्ख्:क्भ् बजे से क्:क्भ् बजे तक ग्राउंड बिताना पड़ा। उसके बाद सभी स्टूडेंट्स अपने घर की ओर चले गए। वहीं ऋषभ एकेडमी के स्टूडेंट्स को ख्0 मिनट के तक बाहर बैठना पड़ा।

तो इतना था झटका

मेरठ डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के प्रमुख एडीएम फाइनेंस गौरव वर्मा की मानें तो मेरठ में ब्.भ्-भ् रिएक्टर स्कूल का झटका महसूस हुआ। किसी भवन के गिरने की कोई सूचना नहीं है। सबकुछ कंट्रोल में है। कुछ जगहों के भवनों पर दरारें जरूर आई हैं, लेकिन कोई गंभीर बात सामने नहीं आई है।

वर्जन

हम किसी भी तरह के डिजास्टर को फेस करने को पूरी तरह से तैयार हैं। हमारा कंट्रोल रूम भी है, जो एक्टिव मोड में है। आज के भूकंप में कोई सीरियस बात निकलकर सामने नहीं आई है।

- गौरव वर्मा, एडीएम फाइनेंस

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डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी करती है काम

भूकंप के तेज झटकों से होने वाले डिजास्टर से बचने के लिए हर जिले में डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी काम करती है। इस अथॉरिटी के कर्ताधर्ता एडीएम फाइनेंस होते हैं। इस अथॉरिटी मे हेल्थ डिपार्टमेंट, आरटीओ, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, फायर आदि कई डिपार्टमेंट के लोग होते हैं। जिनके ऊपर पूरी जिम्मेदारी होती है। अगर बात मेरठ की करें तो इस अथॉरिटी की आखिरी मीटिंग जनवरी में हुई थी। उसके बाद कोई मीटिंग नहीं हुई। एडीएम फाइनेंस की मानें तो अथॉरिटी का कंट्रोल रूम भी बना हुआ है। जो ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए एक्टिव रहता है। लेकिन ताज्जुब की बात तो यह है कि जनवरी से पहले कब इस अथॉरिटी की मीटिंग हुई थी। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

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तीन घंटे का लग जाएगा समय

अगर मेरठ में कोई बड़ी घटना घट जाती है तो उससे निपटने के लिए तीन घंटे का समय लग सकता है। अगर बात रिसोर्स की करें तो डिजास्टर से निपटने के लिए नोएडा में एलडीआरएस बटालियन हैं। वैसे तो इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस की है। लेकिन इस तरह के डिजास्टर को संभालने के लिए तैयार किया गया है। अगर मेरठ में इस तरह की कोई त्रासदी होती है तो नोएडा से मेरठ तक टीम को पहुंचने में तीन घंटे का समय लग सकता है।

हमने महसूस किए भूकंप के झटके

हमारे स्कूल में दो बार झटके का अहसास हुआ। पहला झटका क्क्:ब्0 पर था जो बहुत तेजी से था इसलिए हमने बीस मिनट के लिए पूरी बिल्डिंग को खाली करवा दिया था। दूसरा झटका दोपहर क्ख्.क्भ् मिनट पर महसूस हुआ फिर हमने छुट्टी के समय तक स्कूल खाली रखा और फिर सभी स्टूडेंटस अपने घर चले गए। आधा दिन स्कूल में पढ़ाई ही नहीं हो पाई।

-मधु सिरोही, प्रिंसीपल, एमपीजीएस

हमारे स्कूल में भूकंप का झटका महसूस किया गया था। हमने भी लगभग क्भ् मिनट तक स्कूल की बिल्डिंग को खाली करवा दिया था। सभी स्टूडेंट्स और टीचर्स बाहर निकल गए थे।

-मनमीत, ऑनर, केएल इंटरनेशनल

मैं कॉलेज में बैठी कुछ काम कर रही थी। इतने में मेरे टेबल पर रखी फाइलें खिसकने लगी। मेरे पास ममता मैम बैठी हुई थीं। हम दोनों को ही भूकंप का अहसास हुआ तो हम अपने ऑफिस से बाहर निकलकर खड़े हो गए।

-शिवाली अग्रवाल, संचालक, गांधी अध्ययन इस्माईल कॉलेज

मैं अपना कोई काम करवाने के लिए शिक्षा विभाग में पहुंचा हुआ था। जैसे ही विभाग में घुसा सबकुछ घुमता हुआ महसूस होने लगा। पहले मुझे लगा कि मुझे धूप से चक्कर आ रहे हैं। लेकिन जब किसी ने पीछे से आवाज दी भूकंप आया है, तब पता लगा भूकंप है।

-डॉ। वीर सिंह गुप्ता, रिटायर्ड प्रिंसीपल किवनानगर

मैं तो उस समय किचन में काम कर रही थी। इतने में कटोरी चम्मच और अन्य बर्तन रखे हुए खड़कने लगे पहले तो मैं डर गई अचानक क्या हुआ। जब पता लगा कि भूकंप आया है तो फिर दौड़कर बाहर पहुंची।

-रीना सिंघल, सदर

मैं उस समय फोन पर बात कर रही थी। अचानक से सबकुछ घुमने लगा और ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे मुझे चक्कर से आ रहे हो। लेकिन जब टीवी में भूकंप की खबर सुनी तो यकीन हुआ कि ये भूकंप है।

-मीनू जैन, सदर निवासी

उस समय मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। एकदम ऐसा लगा कि टेबल पर रखी मेरी किताबें सरकने लगी और फिर मुझे चक्कर से महसूस होने लगा। इतने में मेरी मम्मी और मैं भी तेजी से भागकर बाहर निकला। तब जाकर मुझे पता लगा कि भूकंप आया है।

-आकर्षक गोयल, स्टूडेंट

मैं तो अपने ऑफिस में बैठकर काम कर रहा था। इतने में मेरा टेबल और चेयर हिलने लगी। उसके बाद पंखे से आवाज होने लगी तब पता लगा कि भूकंप आया है।

-राजवी यादव, कार्यरत, डीआईओएस कार्यालय

मैं तो उस समय अपने घर में बैठी हुई काम कर रही थी। अचानक से टेबल रखा ग्लिास खिसकने लगा और गिलास गिर गया। इसके बाद मेरी नजर बंद टीवी की तरफ गई जो हिल रहा था तो पता लगा भूकंप आया है।

-गिन्नी, लालकुर्ती

मैं अपने ऑफिस में बैठी काम कर रही थी। अचानक से कम्प्यूटर की हिलने लगा और मेरे पास रखी चेयर भी हिलने लगी। जैसे ही मुझे पता लगा भूकंप है मैं अपने आसपास बैठे साथियों को सूचना दी और हम बाहर निकल गए।

-प्रियंका, सदर

रिक्टर स्केल असर

0 से क्.9 सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।

ख् से ख्.9 हल्कांपन भूकंप महसूस होता है।

फ् से फ्.9 कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर।

ब् से ब्.9 खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।

भ् से भ्.9 फर्नीचर हिल सकता है।

म् से म्.9 इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों

को नुकसान हो सकता है।

7 से 7.9 इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट

जाते हैं।

8 से 8.9 इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।

9 और पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। उससे ज्यादा समंदर नजदीक हो तो सुनामी।

ऐसे किया जा सकता है बचाव

जब भी हम कोई नई बिल्डिंग बनाते हैं तो पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि हमें दो पिलरों को जोड़कर लगाना चाहिए। इसके अलावा पुरानी बिल्डिंग में भी नींव से दो पिलरों को जोड़ा जा सकता है। अगर दो पिलरों को जोड़कर बिल्डिंग को बनाया जाए। ऐसी बिल्डिंग सात तीव्रता तक को झेलने की क्षमता रखती है।

-सर्वजीत सिंह कपूर

समाजसेवी