- गाजियाबाद से आई एनडीआरएफ की टीम स्वीकारा, कैंट बोर्ड ने की लापरवाही

- 45 सदस्यीय टीम ने संयुक्त अभियान के बाद चार मृतकों समेत गंभीर घायल को किया रेस्क्यू

-आशंका पर दोबारा खंगाला मलबा, डाग एक्वायड की पुष्टि के बाद रुका अभियान

अखिल कुमार

Meerut: 'ऐसी जनहानि तो भूकंप जैसे हादसों में होती है। एक अवैध इमारत को ढहाने में जनहानि होना बेहद लापरवाही है, कहीं न कहीं बिना प्लानिंग के जल्दबाजी में कैंट बोर्ड ने ऑपरेशन का अंजाम दिया है.' नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) के असिस्टेंट कमांडर नीरज कुमार के बयान ने कैंट बोर्ड के ध्वस्तीकरण अभियान में हुई लापरवाही को साफ उजागर किया है।

45 सदस्यीय टीम पहुंची

बंगला नंबर 210 बी पर बनी अवैध इमारत के ध्वस्त होने के साथ ही करीब पांच लोग मलबे में दब गए। आनन-फानन में एडीएम प्रशासन दिनेश चंद्र ने एनडीआरएफ को सूचना दी। गाजियाबाद स्थित 8वीं बटालियन एनडीआरएफ को 6 बजे घटनाक्रम की जानकारी दी गई। 45 सदस्यीय टीम असिस्टेंट कमांडेंट नीरज कुमार के नेतृत्व में करीब 8:30 बजे मेरठ पहुंची। टीम को गाजियाबाद से कमांडेंट मलबे से चार मृतकों समेत गंभीर घायल को संयुक्त ऑपरेशन के बाद टीम ने मलबे से निकाला। 60 मिनट का रेस्क्यू ऑपरेशन एनडीआरएफ ने इस दौरान चलाया।

टीम में

असिस्टेंट कमांडेंट-1

इंस्पेक्टर-2

सब इंस्पेक्टर-1

असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर-4

जवान-36

बुलाया डॉग एक्वायड

डेड बॉडीज और इन्जर्ड को रेस्क्यू करने के बाद टीम ने देर तक मलबा खंगाला। मलबे में कुछ और लोगों के दबे होने की आशंका के बाद करीब 9 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन फिर से शुरू किया। 2 बजे तक एनडीआरएफ ने ड्रिलर और कटर से लेंटर को काटकर संभावना का तलाशा तो वहीं फोन कर गाजियाबाद से डॉग एक्वायड को बुलाया। डॉग एक्वायड ने 1 घंटे तक मलबे में किसी के दबे होने को खंगाला।

कैमरे ने नहीं किया काम

असिस्टेंट कमांडेंट नीरज कुमार ने बताया कि दोबारा चलाए गए सर्च ऑपरेशन में लाइव डिटेक्टिंग कैमरा काम नहीं कर रहा है। उन्होंने बताया कि मलबे में यदि कोई दबा भी होगा तो उसके जीवन की संभावनाएं कम ही हैं ऐसे में यह कैमरा काम नहीं करता है। हालांकि आनन-फानन में डॉग एक्वायड को बुलाकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।

सर्च ऑपरेशन से पहले

-बिजली की सप्लाई को कट कर दिया जाता है।

-रेस्क्यू एरिया को बेरीकेडिंग कर ह्यूमन फ्री किया जाता है।

-टीम के अलावा अन्य सभी को हेलमेट और सुरक्षा उपकरणों के प्रयोग की हिदायत है।

-रेस्क्यू ऑपरेशन सर्च बेस्ड् है। बिना सर्च के कहीं भी ड्रिलर, कटर या भारी मशीनरी का प्रयोग नहीं करते हैं।

-ऑक्सीजन सिलेंडर को साथ रखते हैं, फ‌र्स्ट एड और एबुलेंस को मुकम्मल करते हैं।

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डेरा सच्चा सौदा पहुंचा

रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ के अलावा डेरा सच्चा सौदा के स्वयंसेवक मौजूद थे। ये स्वयंसेवक मलबा हटाने का काम कर रहे थे। कई अन्य समाजसेवी संस्थाओं के स्वयंसेवक भी रेस्क्यू अभियान में मदद कर रहे थे।

एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड भी

घटनाक्रम के बाद सीएमओ डॉ। रमेश चंद्रा के निर्देशन में करीब आधा दर्जन एंबुलेंस को तैनात किया गया था तो वहीं फायर ब्रिगेड की दो गाडि़यां भी मौके पर मौजूद थी। चीफ फायर ऑफीसर ईश्वर सिंह सोनी सेकेंड रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे थे।