GORAKHPUR : बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में लोग सैटर्डे को आए झटकों से उबरे नहीं थे कि संडे को फिर भूकंप ने हिला दिया। संडे दोपहर लगभग क्ख्.ब्0 बजे जैसे ही भूकंप का झटका आया, डॉक्टर्स, स्टाफ नर्स, तीमारदार घबरा गए और बाहर की तरफ भागे। हर ओर चीख-पुकार मच गई। तीमारदारों ने पेशेंट्स को बेड सहित बिल्डिंग से बाहर निकाला।

नर्स चिल्लाई, भागने लगे डॉक्टर्स

दोपहर में झटका आया तो इमरजेंसी के पास स्थित स्टाफ रूम से नर्से चिल्लाते हुए बाहर निकली कि भूकंप आया, भूकंप आया। यह सुनकर डॉक्टर भी इमरजेंसी छोड़ कर बाहर की तरफ भागे। खौफ ने सभी को कंपा दिया था। कुछ एडमिट पेशेंट्स डॉक्टर से घर जाने की गुहार लगा रहे थे। वार्ड में एडमिट पेशेंट्स ने बताया कि वे पूरी रात जागते रहे। किसी को नींद ही नहीं आई। भगवान से दुआ मांग रहे थे कि बस किसी तरह अंधेरा छंट जाए।

मेरा छोटा भाई हरेंद्र विवेकानंद हॉस्टल में रहता है। उससे मिलने आया था। जब भूकंप का झटका आया तो हॉस्टल के स्टूडेंट्स बाहर की ओर भागने लगे। मैं भी भागा, लेकिन मेरा पैर सीढ़ी से फिसल गया और दाहिना पैर फ्रैक्चर हो गया।

अरविंद यादव, महराजगंज

वार्ड में एडमिट सभी पेशेंट्स इस झटके से दशहत में हैं। सभी को परिवार के पास जाने की पड़ी है। कुछ लोग बीच-बीच में अफवाह फैला रहे थे जिससे कोई सो नहीं सका।

संतोष पासवान, कुशीनगर

भूकंप का झटका आया तो हमें कुछ पता ही नहीं चला। मेरे बच्चे चिल्लाने लगे। तब हमें एहसास हुआ और उन्हें बाहर जाने को कहा, मगर वह मुझे छोड़कर जाने को तैयार नहीं थे। किसी तरह गोद में लेकर बाहर निकले। अभी भी डर सता रहा है कि क्या होगा।

आशा, उरुवा

मेरी मां के पेट की सर्जरी हुई है। वे दो दिन से एडमिट हैं। भूकंप आया तो न्यू बिल्डिंग वार्ड?हिलने लगा। सब घबरा गए। हर कोई चीख रहा था। किसी तरह भागकर हम लोग नीचे पहुंचे।

सुप्रिया, कुशीनगर

जब झटका लगा तो मेरे पापा बगल में ही बैठे थे और मम्मी से बात कर रहे थे। अचानक भूकंप का शोर मचा तो फौरन पापा मुझे गोद में लेकर बाहर आये।

रेनू, खोराबार