- बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले घर जाने को नहीं हैं तैयार

- धूप में बाहर टहलने से हो रहे बीमार, फैमिली मेंबर्स परेशान

<- बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले घर जाने को नहीं हैं तैयार

- धूप में बाहर टहलने से हो रहे बीमार, फैमिली मेंबर्स परेशान

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ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: स्टैनली रोड के एक अपार्टमेंट में रहने वाले दीपक अग्रवाल बुधवार को अचानक बीमार हो गए. उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल पहुंचाया गया. बातचीत में परिजनों ने बताया कि भूकंप आने के बाद से वह लगातार परेशान थे. रात में उन्हें नींद कम आ रही थी और दिन में भी वह घर से बाहर थे. यही कारण था कि गर्मी लगने की वजह से उनको चक्कर आ गया. बेहोशी की हालत में उन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया गया. यह तो महज एग्जाम्पल है, शहर में अभी भी बहुत से लोग भूकंप के सदमे से उबर नहीं पाए हैं.

घर जाने को तैयार नहीं

शहर में ख्भ् और ख्म् अप्रैल को एक के बाद एक भूकंप के तीन झटके आए थे. इसके बाद बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके मन में अनहोनी का खौफ बैठ चुका है. ये लोग रात तो छोडि़ए दिन के उजाले में घर के भीतर जाने में डर रहे हैं. इनका कहना है कि भूकंप के झटकों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया है. इन लोगों का सर्वाधिक समय घर के बाहर पार्को और सड़कों पर बीत रहा है.

बढ़ रहा है बीमार होने का खतरा

सिविल लाइंस के एक बहुमंजिली इमारत में रहने वाले भ्7 वर्षीय बिजनेसमैन के परिजन इसी परेशानी के शिकार हैं. मंगलवार को बार-बार रात में नींद टूटने की वजह से उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा. फिजीशियन डॉ. ओपी त्रिपाठी का कहना है कि गर्मी में तापमान बढ़ता जा रहा है. ऐसे में घर से बहुत ज्यादा बाहर रहने से डिहाइड्रेशन, चक्कर आने और उल्टी-दस्त की दिक्कत हो सकती है. बहुत से लोगों ने फीवर आने की भी शिकायत की है.

तीन महीने बाद खतरनाक हो जाएंगे ये लक्षण

भूकंप या किसी अन्य त्रासदी का दिमाग पर असर होना स्वाभाविक है. कुछ लोग इस झटके से तुरंत उबर जाते हैं तो कुछ लोगों के मन में भय लंबे समय तक बैठ जाता है. इस बीमारी को एक्यूट स्ट्रेस रिएक्शन कहते हैं. शुरुआत में इससे ग्रसित मरीज को नींद कम आने, मन में भय व्याप्त रहने आदि के लक्षण नजर आते हैं. तीन महीनों तक इन लक्षणों का बना रहना खतरनाक हो सकता है. इसके बाद मरीज की हालत सीरियस हो जाती है. सायकाट्रिस्ट डॉ. विपुल मल्होत्रा कहना है कि ऐसे लक्षणों के सामने आते ही तत्काल इलाज कराना जरूरी है.

इन बातों का रखें ख्याल

- मरीज के सामने बार-बार भूकंप या संबंधित घटना का जिक्र न करें.

- घर का माहौल खुशगवार बनाएं.

- उनके मन से डर निकालने के लिए मरीज से लगातार बातचीत करते रहें.

- व्यक्ति को ज्यादा स्ट्रेस है तो उसे कहीं दूर घूमने या पिकनिक पर ले जाएं.

मौसम विभाग की भविष्यवाणी बनी है सिरदर्द

भूकंप आने के बाद मौसम विभाग की ओर से अगले क्भ् दिनों तक झटके महसूस होने की भविष्यवाणी की गई थी. डॉक्टरों की मानें तो लोगों ने इसे पॉजिटिवली न लेकर निगेटिव तौर पर एक्सेप्ट किया है. जिससे बहुत से लोगों को भूकंप के ट्रामा से गुजरना पड़ रहा है. यह उनकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. लोग भूकंप के बारे में मिल रही जानकारी का दूसरा पहलू देख रहे हैं.

मत लीजिए टेंशन, नहीं है खतरा

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के ज्योग्राफी विभाग के प्रोफेसर और मौसम विज्ञानी बीएन मिश्रा कहते हैं कि इलाहाबाद के लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. नेपाल में आए भूकंप के झटके इलाहाबाद में महसूस जरूर हुए लेकिन नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि गंगा नदी के तट पर होने की वजह से यहां की मिट्टी शॉक ऑब्जर्वर का काम करती है. इसलिए इलाहाबाद में अधिक तीव्रता के भूकंप आने की संभावना फिलहाल नहीं है.

घबराइए मत, ऐसे करिए बचाव

- अपने घर-दफ्तर के अंदर एवं आसपास के सुरक्षित स्थानों की पहचान कर लें.

- ड्राप कवर होल्ड का नियमित अभ्यास करें. पलंग, मेज जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे झुकें, एक हाथ से सिर को ढंके और दूसरे से फर्नीचर को पकड़ें.

- भूकंप के झटके थम जाने तक टूट कर गिरने वाले प्लास्टर, शीशे, ईट, पत्थर आदि आदि से बचने के लिए किसी पलंग या मजबूत मेज के नीचे घुस जाएं.

- भूकंप के झटके रुक जाने के बाद अपने घर, स्कूल या कार्यालय की इमारत से निकलकर तुरंत खुले मैदान में आ जाएं.

- यदि आप बाहर खुले स्थान पर हैं तो ऐसी जगह खड़े न हों जहां पेड़, बिजली के खंभे तार आदि हों.

- कहीं आग लगी है तो अग्निशमन सेवा क्0क्, पुलिस नियंत्रण कक्ष क्00 अथवा आपदा हेल्प लाइन क्077 पर सूचित करें.

- बाहरी दीवारों से तुरंत दूर हो जाएं और अपने सिर को बचाएं. हेलमेट है तो उसका पहन लें.

- लिफ्ट का इस्तेमाल न करें और खिड़कियों से दूर हो जाएं.

- पहले बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं को निकलने में मदद करें.