- आलू-प्याज से लेकर हरी साग-सब्जी पर आने वाली है आफत

- रेलवे से आने वाली प्याज की मार उठानी पड़ रही पटनाइट्स को

PATNA : एक महीने के अंदर घर के साथ-साथ रसोई भी गर्म हो जाएगी। एक बार फिर से प्यार की कहानी सुनायी जाएगी, आलू घरों में गिने चुने पहुंच पाएंगे। हरी साग-सब्जी के दर्शन नहीं होंगे, बाजार इस आने वाले संकट से जूझने के लिए तैयार नहीं है। फिलहाल लोकल बाजार से मिल रही हरी साग-सब्जी आसानी से मिल रही है। उस पर से रांची का कटहल और कोलकाता का पका और कच्चा आम जायका बढ़ा दे रहा है। लेकिन यह खुशी कुछ ही दिनों बाद परेशानी में बदलने वाली है, क्योंकि मार्केट से जुड़े जानकार बताते हैं कि जैसे ही पूरबइया या पछुआ बहना शुरू होगा, मार्केट में अफरा-तफरी का माहौल शुरू हो जाएगा। पुरबइया बहेगा, तो आलू-प्याज के दाम आसमान चढ़ जाएगा। वहीं, पछुवा की वजह से लोकल हरी साग-सब्जी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। तब रांची और कोलकाता की सब्जी के भरोसे पूरे पटनाइट्स के किचन को रौशन किया जाएगा, जो काफी महंगा होगा। ऐसा क्भ्-ख्0 दिनों के भीतर होने वाला है।

होलसेल सस्ता, रिटेलर महंगा

फिलहाल आलू और प्याज की कीमत एक बार फिर आसमान छूने लगी है, लेकिन यह महंगाई होल सेल में नहीं है। होल सेलर मानते हैं कि उनकी नजर में साढ़े क्फ् से क्ब् रुपए प्रति किलो आलू और एक रुपए अधिक प्याज बिकना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। आलू ख्ब्-ख्भ् रुपए प्रति किलो तो प्याज फ्0 पार चल रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि जो भी माल पटना के होल सेल मार्केट में पहुंच रहा है। वो प्रति पैकेट में खराबी आ रही है। पचास किलो होल सेल से रिटेलर के पास जाते-जाते ब्8 किलो हो जाता है। इसके बाद फिर उसकी छंटनी होती है और एक पैकेट भ्0 किलो की वजाय ब्भ् किलो के आसपास पहुंच जाता है, फिर रिटेलर उस हिसाब से रेट फिक्स करता है।

सड़ रही हैं सब्जियां

जानकार बताते हैं कि पटना के बाजार पर अगर पहले पुरबईया की दस्तक पड़ने के साथ हीं फिर आलू-प्याज एक से दो दिन में पकने शुरू हो जाएंगे। फिर आलू की सेलिंग जल्दी नहीं हुई, तो सारे के सारे खराब हो जाएंगे। यही हाल हरी सब्जी का भी है। होलसेलर अंबिका प्रसाद ने बताया कि अगर यहां पर पछुआ ने दस्तक दी, तो जितने भी हरे पौधे और सब्जी है उसका सूखना शुरू हो जाता है। फिर लोकल लेवल पर कुछ नहीं मिल पाता है। कोलकाता और रांची के बाजार के भरोसे ही किचन में रौनक दिखाई देगी। जो काफी महंगी होगी।

अभी बिहारशरीफ और सीमन आलू

मीठापुर के होल सेलर मदन कुमार ने बताया कि बंगाल का सफेद आलू और कानपुर के सिंदुरिया की डिमांड लोकल आलू से कहीं अधिक है। फिर भी मार्केट में अभी बिहार शरीफ और सीमन आलू यानी लोकल आलू के आ जाने से बाजार पर आलू की मार कम हुई है। होलसेल से इतर रिटेलर के पास सफेद आलू और कानपुर के आलू अधिक होने की वजह से इसके रेट में दिन व दिन इजाफा होता जा रहा है। जैसे ही लोकल मार्केट खत्म होगा तो दोनों जगहों के रेट आसमान छूने लगेगा।

प्याज पर बिहारशरीफ व आरा की हुकूमत

बिहार शरीफ के अलावा पटना के मार्केट में आरा के प्याज की खपत काफी है, लेकिन प्याज स्वाद का होता है। इसमें नासिक ने इस कदर अपना दबदबा बना लिया है कि चाह कर भी रिटेलर बिहार शरीफ और आरा के प्याज पूरी तरह से बेच नहीं पाते है। वहीं, प्याज में आए दिन खराबी की वजह से रेट बढ़ता जा रहा है।

रेलवे के रैक ने कर रखा है परेशान

होलसेलर मदन कुमार ने बताया कि अमूमन पटना के मार्केट में आने वाली आलू ट्रक से आती है, लेकिन प्याज नासिक और बंगाल से रेलवे रैक के जरिए ही लाया और मंगवाया जाता है। लापरवाही की वजह से आने वाली प्याज सड़ने लगती है या फिर वो टूटने और डैमेज होने लगती है। ऐसे में होल सेल में प्याज की छटनी होती है, फिर उसका अलग-अलग पैकेट बनता है और उस हिसाब से रेट तय कर उसे ओपेन मार्केट में सेल किया जाता है।

सामान रखना हो गया है मुश्किल

अंटा घाट के सेलर राजीव ने बताया कि कोल्ड स्टोरेज में सामान रखना काफी मुश्किल हो गया है। एक पेटी यानी एक बोरा आलू या प्याज रखने की कीमत क्00-क्ख्0 रुपए तक लगती है। ऐसे में इसमें रखने का एक ही मकसद होता है कि जब उस आलू और प्याज का सेल किया जाए, तो उसकी दुगुनी और ती गुनी रेट ओपेन मार्केट में मिल पाए।

मार्केट में अवेलेबल आलू-प्याज और हरी सब्जी

आलू

बंगाल - सफेद - म्70 रुपए पैकेट - भ्0 केजी

बिहारशरीफ - सफेद - म्भ्0 रुपए पैकेट - ब्8 केजी

कानपुर - सिंदुरिया - क्700 रुपए - एक क्विंटल

लोकल - सीमन - क्म्00 रुपए - एक क्विंटल

प्याज

गुजरात - क्ब्00 रुपए प्रति क्विंटल

नासिक - क्फ्00-क्ब्00 रुपए प्रति क्विंटल

बिहारशरीफ व आरा - क्फ्00-क्ब्00 रुपए प्रति क्विंटल

बंगाल - क्फ्00-क्ब्00 रुपए प्रति क्विंटल

हरी साग सब्जी

रांची से कटहल

नासिक से टमाटर

कोलकाता से आम

फिलहाल पटनाइट्स को कोलकाता का आम, रांची का कटहल और नासिक का टमाटर मिल रहा है, बाकी तमाम आइटम लोकल हैं। जैसे ही पछुआ की दस्तक होगी, रांची, बनारस, इलाहाबाद, कोलकाता के सहारे हरी सब्जी मुहैया करवाई जाएगी।

अंबिका प्रसाद, होल सेलर, हरी मंडी

आलू और प्याज के आने के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई रिटेलर सीधे कस्टमर से लेते हैं। प्रति किलो और प्रति पांच किलो के रेट में ही काफी अंतर आ जाता है, जो कहीं से भी कस्टमर के फायदे के लिए नहीं है।

मंदन कुमार, होल सेलर, आलू प्याज