जबकि इस सीमेंट के प्रोडक्शन की प्रक्रिया में 50 प्रतिशत कम एनर्जी इस्तेमाल होगी.'रिसर्च एंड एडवांस्ड स्टडीज सेंटर' (सिनवेस्टव) के साइंटिस्ट्स ने पिछले 13 साल में सीमेंट की कई प्रकार की वैकल्पिक किस्में तैयार की हैं.

दुनियाभर में पानी के बाद सीमेंट ऐसी दूसरी वस्तु है जिसकी मांग सबसे ज्यादा है. पॉपुलेशन बढ़ने के बाद कई शहरों में ढांचागत विकास, इमारतों और मकानों के निर्माण के लिए इसकी मांग है. गौरतलब है कि सीमेंट का अत्यधिक इस्तेमाल पर्यावरण के लिए हानिकारक है. निर्माण सामग्री तैयार करने के दौरान सीमेंट से कार्बन-डाईऑक्साइड की अत्यधिक मात्रा निकलती है.

दुनियाभर में निर्माण उद्योग में पोर्टलैंड सीमेंट का जमकर इस्तेमाल होता है. इस परियोजना के प्रमुख ईवान एस्क्लैंटे ग्रेशिया कहते हैं कि इसे विकसित करने के पीछे पोर्टलैंड सीमेंट के स्थान पर अच्छी किस्म की नई सीमेंट विकसित करना था.

उन्होंने कहा कि पारम्परिक तरीके से सीमेंट का निर्माण 1,450 डिग्री सेल्सिय तापमान पर होता है और इससे वातावरण में बहुत सी कार्बन-डाईऑक्साइड उत्सर्जित होती है. दूसरी ओर जियोपॉलीमर आधारित सीमेंट का निर्माण 750 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही हो जाता है.