संसद में पेश की गई आम बजट की समीक्षा

आम बजट से पहले गुरुवार को पेश की गई वार्षिक आर्थिक समीक्षा में बाह्य स्थिती को चुनौती पूर्ण करार दिया गया है। इसके बावजूद अगले वित वर्ष में आर्थिक वृद्धि 7-7.5 प्रतशित रहने की संभावना व्यक्त की गई है। समीक्षा पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगले कुछ साल में जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर आठ प्रतशित तक पहुंच जाएगी। संसद में पेश वित्त वर्ष 2015 -16 के आर्थिक सर्वेक्षण में नीति और नियमों में सुधार की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया गया है। ताकि वृहत् आर्थिक स्थिरता को बनाए रखते हुए तीव्र वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके। सरकारी कर राजस्व बजट अनुमान से अधिक रहेगा। निर्यात में नरमी बरकरार रहेगी। अगले वित्त वर्ष में तेजी आएगी। भारत को व्यापार में संरक्षणवादी पहलों के खिलाफ खडा होना पड़ेगा। उर्वरक क्षेत्र के लिए सुधार पैकेज का सुझाव दिया गया है।

समीक्षा में इन बातों पर रहा जोर

समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों और 2015-16 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर अनुमानित स्तर से कम रहने के बावजूद 3.9 प्रतशित राजकोषीय लक्ष्य प्राप्त करने योग्य नजर आता है। वित्त वर्ष 2014-15 में 7.2 प्रतशित आर्थिक वृद्धि दर्ज करने के बाद अब चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 प्रतशित रहेगी। समीक्षा में चेतावनी दी गई है कि यदि विश्व अर्थव्यवस्था में नरमी बरकरार रहती है तो भारत की वृद्धिदर को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकारी कर राजस्व बजट अनुमान से अधिक रहेगा.निर्यात में नरमी बरकरार रहेगी।  सरकारी कर राजस्व बजट अनुमान से अधिक रहेगा। निर्यात में नरमी बरकरार रहेगी।

चालू वित्त वर्ष में बढ़ेगी जीडीपी

चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी। यदि निर्यात में तेज बढोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक हो सकती है। वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि पर रहेगा। कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35 डालर प्रति बैरल रहेगा जो इस वर्ष 45 डालर प्रति बैरल है। 2016-17 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5-पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है। मुद्रास्फीति में मजबूती के साथ निम्न स्तिर पर मूल्य स्थिरता बढी है। जिनमें वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने से मूल्य अस्थिरता नहीं आएगी। कर का दायरा बढाया जाएगा। 20 प्रतिशत से अधिक लोगों को कर के घेरे में लाया जाए जो फिलहाल आबादी का 5.5 प्रतिशत आता है। देश में चुनौतीपूर्ण वाह्य वातावरण आर्थिक नीतियों के लिए आशंका पैदा करेंगा। स्वास्थ्य, शिक्षा, में और निवेश, कृषि पर ध्यान केंद्रित करने की जरुरत है।

अर्थ व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा 2016

राजकोषीय घाटा इस साल 3.9 प्रतिशत तक सीमित करने का लक्ष्य हासिल हो जाएगा। आने वाला साल भारत की अर्थ व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी बिल सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत से कम रहेगा। समीक्षा में जीएसटी विधेयक आने में देरी पर चिंता जताई गई। वहीं कंपनियों बैंकों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बरकरार रहेगा। 4 उपायों पहचान, पुनर्पंजीकरण, समाधान समाधान और सुधार पर बल दिया जाएगा। सरकारी क्षेत्र बैंकों को 2018-19 तक 1.8 लाख करोड रुपये की इक्विटी पूंजी की जरुरत है। चालू खाते का घाटा 1-1.5 प्रतिशत विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी मध्य तक 351.5 अरब डालर है। वित्त वर्ष 2015-16 में सेवा क्षेत्र की वृद्धि 9.2 प्रतिशत हो सकती है। विदेशी पूंजी निकासी को देखते हुए घरेलू मांग बढाने का सुझाव दिया गया है। हालिया सुधार के कारण औद्योगिक बुनियादी ढांचा कार्पोरेट क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।

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