बोले रेलमंत्री
इसके आगे उन्होंने कहा कि रेल में निवेश को बढ़ाने से भारत की अर्थव्यवस्था में दो से तीन प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि देश की पूर्ण वृद्धि की संभावना के दोहन के लिए परिवहन क्षेत्र में बड़े स्तर पर सुधार बहुत जरूरी है। इस बात पर उन्होंने देश के सामने चीन का उदाहरण रखा। बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि चीन में रेलवे के क्षेत्र में विशाल निवेश किया गया है। ऐसा करके चीन ने उस बात को साबित कर दिया कि कोई भी देश अन्य देशों से संपर्क को बढ़ाकर विकास में तेजी को ला सकता है।
 
रेलवे की सबसे बड़ी समस्या
यहां रेल मंत्री ने भारतीय रेल की सबसे बड़ी समस्या की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल की सबसे बड़ी समस्या है भीड़-भाड़। इसी कारण के आगे आकर रेलवे के सारे विकास रुक जाते हैं। उन्होंने बताया कि रेल लाइनों का दोहरीकरण व तिहरीकरण तभी संभव हो सकता है, जब इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिले। उन्होंने कहा कि जहां तक विभिन्न विभागों में शक्ति के विकेंद्रीकरण का सवाल है, राजग सरकार में रेलवे की बोली प्रक्रिया व अन्य वाणिज्यिक फैसले रेल मंत्री की ओर से नहीं किए जा रहे।

एजेंटों का भटकना अभी भी नहीं हुआ कम
बात को आगे बढ़ाते हुए सुरेश प्रभु ने कहा कि इस वजह से रेल भवन में एजेंटों का भटकना अभी भी जारी है। रेल मंत्री अब सिर्फ नीति कार्यान्वयन पर काम करते हैं। इतना ही नहीं अगर जरूरत हो तो निर्णय प्रक्रिया की शक्ति का विकेंद्रीकरण पारदर्शी प्रशासन के ही हित में है। हाल ही में मंत्रिमंडल में 400 रेलवे स्टेशन की विस्तृत विकास योजना को पूरी तरह से मंजूरी दे दी गई है।

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