- डीएम की बैठक में भी उठाया गया था 40 प्रतिशत फर्जी स्टूडेंट्स का मुद्दा

- अभी तक शुरू नहीं हो सकी जांच, केंद्रों को दिए परीक्षा कराने के निर्देश

Meerut। यूपी बोर्ड में नकलमाफियों पर लगाम कसने के लिए विभाग तैयार नहीं है। फर्जी स्टूडेंट्स का पता लगने के बावजूद भी विभाग उन पर लगाम कसने के लिए कोई एक्शन नहीं ले रहा है। हालांकि इससे पहले भी विभाग मुन्नाभाई का बचाव करने में पीछे नहीं रहा है, लेकिन इस बार फिर से विभाग हीलाहवाली दिखा रहा है।

फर्जी छात्रों का उठा मुद्दा

गौरतलब है कि पिछले साल भी फर्जी स्टूडेंट्स के मामले प्रकाश में आए थे। लेकिन उस पर विभाग की तरफ से किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पाई थी। इसबार भी अभी छह मार्च को हुई बैठक में एएस इंटर कॉलेज मवाना के प्रिंसिपल अशोक ने फर्जी छात्रों का मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि पिछले साल 40 प्रतिशत फर्जी छात्र ऐसे थे जो काफी साल पहले पढ़ाई छोड़ चुके थे, फिर भी परीक्षा देने आए। उन्होंने कहा था ऐसे छात्रों का पता नहीं लग पाता है, विभाग से कोई सूची नहीं मिल पाती है। उन्होंने बताया इसकी लिखित शिकायत भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। डीएम बी चंद्रकला ने मौके पर डीआईओएस श्रवण यादव को जांच करने के आदेश दिए है। इसके साथ डीएम ने आश्वासन दिया कि इसबार कोई फर्जी परीक्षा नहीं दे पाएगा।

सैकड़ों आए है फर्जी छात्र

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर की बोर्ड परीक्षा चल रही हैं। परीक्षा केंद्रों पर ऐसे स्टूडेंट्स पहुंच रहे हैं, जिनके पास न तो उनके पंजीकरण फार्म या संख्या है और न ही उनके पास दसवीं या ग्यारहवीं फेल की मार्कशीट हैं। केवल उनके पास प्रवेश पत्र ही है। ऐसे में सेंटर्स ने भी इन स्टूडेंट़्स को फर्जी मानते हुए उनकी सूचना डीआईओएस कार्यालय पर भेज दी है। मेरठ में अभी तक ऐसे तीन सेंटर्स से शिकायत आ रही है, जिनकी संख्या एक हजार से अधिक है।

यहां पर आई शिकायत

- एसडी ब्वॉयज इंटर कॉलेज सदर - दोनों पालियों में लगभग पांच सौ स्टूडेंट्

- कृष्ण इंटर कॉलेज, मवाना - दोनों पालियों में दो सौ स्टूडेंट्स

- श्री चा‌र्ल्स इंटर कॉलेज अनूपनगर में- दोनों पालियों में साढ़े तीन सौ स्टूडेंट्स

ये है नियम, ऐसे है फर्जी

नियम ये है कि प्राइवेट स्टूडेंट्स के प्रवेशपत्रों में फर्जीवाड़ा होने की संभावना होती है। जिसके चलते नियमानुसार उनका पंजीकरण फार्म या पंजीकरण संख्या और हाईस्कूल की परीक्षा है तो हाईस्कूल, इंटर की परीक्षा है तो इंटर की फेल की मार्कशीट होनी चाहिए। अगर ये डॉक्यूमेंट स्टूडेंटस के पास मौजूद नहीं है तो तय है कि वो स्टूडेंट् फर्जी परीक्षार्थी है। ऐसा ही इन प्राइवेट स्टूडेंट्स के साथ पाया गया है।

सब अंदर का खेल हैं

सूत्रों की माने तो यहां विभाग व नकलमाफियों की सेटिंग गेटिंग से फर्जी प्रवेशपत्र बनाने का खेल होता है। जिसके तहत नकलमाफिया परीक्षा कराने व रिजल्ट दिलाने के नाम पर मोटी कमाई कर विभाग की मिलीभगत से फर्जी प्रवेशपत्र बनाते हैं।

जांच के लिए बोल दिया गया है, संडे की वजह से अभी जांच की प्रक्रिया आगे नहीं बढ ़ पाई है। जांच के बाद ही पता लगा पाएंगे कि ये स्टूडेंट्स नकलची है या नहीं।

श्रवण कुमार यादव, डीआईओएस