- सेल्फ कॉलेजस ने रिजल्ट और सिलेबस जैसे मुद्दा उठाया

- वीसी ने कहा कॉलेज पहले पढ़ाई का स्तर सुधारें

LUCKNOW:

लखनऊ यूनिवर्सिटी में मंगलवार को यूनिवर्सिटी वीसी प्रो। एसपी सिंह ने सभी सम्बद्ध डिग्री कॉलेजस के प्रिंसिपल और प्रबंधकों की बैठक बुलाई। यह पहला मौका था जब वीसी ने सभी राजकीय, एडेड और सेल्फ फाइनेंस कॉलेजस के प्रिंसिपल और प्रबंधकों के साथ एक बैठक की। बैठक में वीसी ने सभी कॉलेजस को अपनी शिक्षा और एजुकेशन सिस्टम को सुधारने की नसीहत दी। उन्होंने सभी को यूजीसी से मिलने वाले ग्रांट के लिए आवेदन करने साथ ही हाल में नैक कराने का निर्देश दिया। कहा कि ज्यादातर कॉलेज नैक कराने से घबराते हैं, लेकिन यह उनके कॉलेज की स्थिति को सुधारने के साथ ही उनकी कमजोरियों के बारे में बताता है। बैठक में शामिल हुए सभी कॉलेजस ने यूनिवर्सिटी से सहयोग और दूसरी सुविधाएं समय से न मिलने का आरोप भी लगाया।

सिलेबस अपग्रेड का उठाया मुद्दा

बैठक में मौजूद रजत ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज के प्रबंधक आरजे सिंह ने वीसी को सेल्फ फाइनेंस कॉलेजस के साथ होने वाले सौतेले व्यवहार से अवगत कराया। उन्होंने यूनिवर्सिटी से अपने सेल्फ फाइनेंस कॉलेजस की सीटें भरने में सहयोग करने, शिक्षकों के नियुक्ति के लिए जाने वाले सलेक्शन फीस व मान्यता फीस को कम करने, कॉलेजस में इंटर्नल एग्जामर नियुक्त करने जैसे मुद्दों को उठाया। तो वहीं सेल्फ फाइनेंस कॉलेज के प्रिंसिपल विवेक कुमार सिंह ने यूनिवर्सिटी के सिलेबस को अपग्रेड कर इंडस्ट्री के हिसाब से बनाने का मुद्दा उठाया।

पूरा सिलेबस आउट डेटेड

नवयुग कन्या डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो। नीरजा गुप्ता ने बैठक में पीजी कोर्स के सिलेबस का अपग्रेड न होने का मुद्दा उठाया। कहा कि यूनिवर्सिटी में यूजीसी के कहने पर पीजी में सेमेस्टर सिस्टम तो लागू कर दिया, लेकिन जो कोर्स एक साल में हम पढ़ाते हैं, उसी को सेमेस्टर में बांट दिया जबकि हमारा सिलेबस पूरी तरह से आउट डेटेड है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सभी एडेड कॉलेज एडमिशन के समय खासतौर पर पीजी कोर्स में अलग-अलग एडमिशन प्रक्रिया अपनाते हैं जिसकी वजह कई बार यूनिवर्सिटी से टकराव की स्थिति में बन जाती है।

पैसा न मिलने पर नाराज कॉलेज प्रबंधक

कई कॉलेजस के प्रिंसिपल और प्रबंधकों ने एग्जाम कापैसा समय से न मिलने और बिल को लटकाने का मुद्दा उठाया। इस पर वीसी ने कहा कि सभी कॉलेजस एग्जाम पर होने वाले खर्चो का शासनादेश के अनुसार बिल बनाकर यूनिवर्सिटी को भेज दें। अब से सभी कॉलेजों को उनके बिल का 80 प्रतिशत भुगतान एडवांस में कर दिया जाएगा। शेष पैसा उनकी ओर से खर्चो की जानकारी के बाद जारी कर दिया जाएगा।

एमएड में एडमिशन की छूट

कॉलेज प्रबंधकों ने दूसरे पीजी कोर्सेस जैसे एमएससी, एमए और एमकॉम की तरह एमएड में भी कॉलेजस को एडमिशन में छूट देने की मांग की। अभी तक यूनिवर्सिटी अपने स्तर से सभी कॉलेजस में एमएड की सीटें भरता है। पिछले कई सालों से डिग्री कॉलेजों में एमएड की आधे से अधिक सीटें खाली रह जाती हैं।