- पचास परसेंट से अधिक स्कूल व्हीकल्स के पास नहीं है परमीशन

- मानकों को धत्ता बताकर संचालक स्कूल व्हीकल का कर रहे संचालन

ALLAHABAD: शहर में चलने वाले ज्यादातर स्कूली व्हीकल्स प्राइवेट हैं। वो पैसे कमाने के चक्कर में सारे ना‌र्म्स को ताक पर रख देते हैं। निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चों को बसो, वैन, आटो में में भरकर अपनी जेबें तो गर्म कर लेते हैं लेकिन बच्चों की जान जोखिम में डाल देते हैं। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से गिनती के ही व्हीकल्स ही आरटीओ से रजिस्टर्ड हैं। ऐसे में जब कभी कोई बड़ा हादसा होता है तो भी उनके खिलाफ कोई कड़ा एक्शन नहीं हो पाता है।

ब्00 बसें है रजिस्टर्ड

अवैध रूप से स्कूल के बच्चों को लेकर जाने वाले व्हीकल चालकों के खिलाफ चल रहे अभियान के दौरान जो हकीकत सामने आयी, वो चौंकाने वाली है। एआरटीओ आरपी सिंह के मुताबिक इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट में सिर्फ ब्00 बसें ही स्कूल बस के रूप में पंजीकृत हैं। जबकि छोटे फोर व्हीलर्स की संख्या क्80 से ख्00 के बीच है। इसमें वैन व मैजिक दोनों प्रकार के वाहन शामिल हैं। थ्री व्हीलर या आटो रिक्शा के रूप में कोई भी वाहन आरटीओ आफिस से स्कूल व्हीकल के रूप में रजिस्टर्ड नहीं है। ये वाहन पैरेंट्स और स्कूल के आपस की अंडरस्टैडिंग पर संचालित होते हैं। ये मानकों की परवाह किए बगैर मनमाने ढंग से संचालन किए जाते हैं।

पैरेंट्स भी नहीं देते ध्यान

पैरेंट्स भी अपने बच्चों को इन्हीं स्कूल रिक्शा, ऑटो, वैन और बस संचालकों के भरोसे छोड़कर मुक्त हो जाते हैं। लेकिन इन वाहनों में मानकों के पालन को लेकर कोई जागरूक नहीं है। एआरटीओ ने बताया कि पैरेंट्स में जागरूकता की कमी के कारण लगातार ऐसे ऑटो और थ्री व्हीलर्स की संख्या में इजाफा होता है। ये ऑटो सड़क पर गलत ढंग से वाहनों को चलाते हैं, जिससे लगातार दुघर्टना का खतरा बना रहता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्कूल वाहनों को लेकर दिए गए दिशा-निर्देश पर ध्यान कम ही का होता है।

ये हैं मानक

- स्कूल बस या व्हीकल पीले रंग के होने चाहिए।

- व्हीकल या बस के आगे और पीछे दोनों तरफ स्कूल बस लिखा जाना अनिवार्य है।

- ऐसे व्हीकल्स में सिटी के एडमिनिस्टेशन व आरटीओ डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स का नम्बर होना आवश्यक है।

- वाहनों के साइड विंडो में क्षैतिज रूप से दो लोहे की राड पैरलर हो। जिससे बच्चे अपना सिर वाहन की खिड़की के बाहर ना निकाल सकें।

- वाहनों में अग्निशमन यंत्र व फ‌र्स्ट एड की सुविधा होना अति आवश्यक है।

- स्कूल बस के दरवाजे बिलो कोर होना चाहिए।

- स्कूल बसों में बैठने की सीट के सामने बैग रखने की जगह होनी चाहिए

अभियान तो समय -समय पर चलाया जाता है। लेकिन पैरेंट्स को भी जिम्मेदारी समझते हुए मानकों का पालन करने वाले वाहनों को ही बच्चों के लिए हायर करना चाहिए।

आरपी सिंह

एआरटीओ