नर्सरी के लिए भी 20 से 25 हजार

सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से संचालित बहुत से स्कूलों में मनमानी फीस वसूली की शिकायतें लंबे समय से आ रही हैं। स्कूल हर साल फीस बढ़ा देते हैं। स्थिति यह है कि आज नर्सरी में भी एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च 20 से 25 हजार तक आ जाता है। ऐसी ही कई शिकायतें मिलने के बाद शासन ने इस तरह का ठोस कदम उठाया है।

सीबीएसई और आईसीएसई पर होगा मेन फोकस

इस संबंध में डीआईओएस ने एक 15 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है और स्कूल्स की लिस्ट तैयार कर ली है। वैसे तो जांच किए जाने वाले स्कूलों की लिस्ट में सभी बोर्ड के स्कूल शामिल हैं, लेकिन मेन फोकस सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से संचालित स्कूल्स पर ही रहेगा। इसमें भी नगर क्षेत्र के स्कूल्स की संख्या अधिक रखने को कहा गया है। प्रदेश के सभी डीआईओएस को यह जांच रिपोर्ट 15 दिन के अंदर शासन को भेजनी है। जांच रिपोर्ट में स्कूल्स का पूरा फी स्ट्रक्चर शामिल होगा। इसमें हर मद का पैसा अलग-अलग मेंशन किया जाएगा।

शामिल हैं कई नामी स्कूल

डीआईओएस सतीश सिंह ने स्कूल्स की जो लिस्ट तैयार की है उसमें सिटी के कई फेमस प्राइवेट स्कूल्स शामिल हैं। इनमें से कुछ नामी स्कूल, सिविल लाइंस, गोरखनाथ, शाहपुर एरिया के हैं। सिविल लाइंस एरिया के जिन स्कूल्स को इस लिस्ट में शामिल किया गया है वहां की फीस इस साल भी मनमाने तरीके से बढ़ाई गई है।

गार्जियंस कर सकते हैं कम्प्लेंट

बहुत से गार्जियंस स्कूल के डर के आगे अधिक फीस की कम्प्लेंट किसी से नहीं कर पाते। लेकिन गार्जियंस को यह सुविधा है कि अगर उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल बहुत अधिक फीस लेते हैं या हर साल फीस बढ़ा देते हैं तो वह इस संबंध में डीआईओएस ऑफिस में कम्प्लेंट कर सकते हैं। यदि स्कूल लिस्ट में नहीं होगा तो भी उसकी जांच कराई जाएगी और रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन ने इस बात के भी निर्देश दिए है कि शिकायतों पर कार्रवाई पर भी उन्हें अवगत कराया जाए।

स्टेट लेवल पर बनेगी फीस पॉलिसी

स्कूल्स में मनमानी फीस की समस्या सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश, पूरे देश की है। प्रदेश भर से स्कूलों के फीस स्ट्रक्चर मिल जाने के बाद शासन स्तर पर इसको एनालाइज किया जाएगा। यह संभावना जताई जा रही है कि इसके बाद शासन स्तर पर सभी स्कूल्स के लिए फीस को लेकर एक ऐसी पॉलिसी बनाई जाएगी जिससे वह अपनी मनमानी न कर सकें।

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