सरकार ने सुना दिया फरमान, शिक्षकों की बढ़ी मुश्किलें

बच्चों से पुरानी किताबें एकत्र कराने में जुटे शिक्षकों की प्लानिंग फेल

ALLAHABAD: परिषदीय स्कूलों में नए सत्र की शुरुआत हो गई। लेकिन पढ़ाई के लिए किताबों की व्यवस्था नहीं हो सकी। इसी को देखते हुए शासन ने पुरानी किताबों को एकत्र करके उससे पढ़ाई कराने के लिए आदेश जारी कर दिया। ये आदेश टीचर्स के गले की हड्डी बन गया है। पुरानी किताबों को बच्चों से एकत्र करने के टास्क ने टीचर्स का पसीना छुड़ा दिया है। ऐसे में टीचर्स इतने टफ टास्क को पूरा करने में पूरी शिद्दत से लगे हुए है। क्योकि व्यावहारिक रूप से बच्चों से पुरानी किताबें मंगाना बेहद कठिन कार्य है।

सर किताबें खो गई, कैसे लाएं

परिषदीय स्कूलों में पुरानी किताबों को बच्चों से लेने में आ रही समस्याओं के बारे में पूछने पर टीचर्स ने बताया कि ज्यादातर बच्चों की किताबों के कई पेज फटे हुए है। इतना ही नहीं क्लास में कई बच्चे ऐसे भी है। जिनकी किताबें खो गई है। ऐसे में बच्चों से पुरानी किताबों को मंगाने पर उनका यही कहना होता है कि सर किताबें खो गई है कैसे लाए ? इन परिस्थितियों में पुरानी किताबों को एकत्र करके दूसरे बच्चों में वितरण करना बेहद कठिन हो गया है। टीचर्स ने बताया कि इस प्रक्रिया में दूसरी भी कई प्रकार की समस्याएं आ रही है। जिनका निराकरण करना वास्तविकता में संभव नहीं है। ऐसे में नए सत्र में किताबों के बिना ही बच्चों को पढ़ाई कराना मजबूरी हो गई है।

पुरानी किताबों के प्रति नहीं होता क्रेज

टीचर्स ने बताया कि बच्चों में पढ़ाई के दौरान नई किताबों के प्रति अधिक क्रेज रहता है। जिससे वे पढ़ाई में अधिक रूचि लेते है। लेकिन नई क्लास में अगर पुरानी किताबें बच्चों को दी जाएं तो उनमें पढ़ाई को लेकर क्रेज नहीं होता है। अन्य टीचर्स से बात करने पर उन्होंने बताया कि सबसे अधिक संख्या ऐसे बच्चों की है, जिनकी किताबें फटी हुई है। अगर उनकी दशा को ठीक भी कराया जाए तो भी पढ़ने लायक नहीं होगी। इतना ही नहीं सभी विषयों की किताबें एक एक करके बच्चों से हासिल करना भी बेहद मुश्किल है। जहां तक वर्क बुक की बात की जाए तो वर्क बुक को दोबारा यूज करना भी कठिन है। वर्कबुक में टीचर्स के हस्ताक्षर है। इन सबके चलते पुरानी किताबों के सहारे नए सत्र में पढ़ाई कराना बेहद मुश्किल हो गया है।

फैक्ट फाइल

---------

- कक्षा 06 से 08 तक सभी क्लास में टेक्स्ट बुक्स की संख्या 10-10

- क्लास एक में एक, दो में दो, तीन में पांच, चार में छह और पांच में छह टेक्स्ट बुक्स

-जिले में परिषदीय विद्यालयों में सत्र 2017-18 में स्टूडेंट्स की कुल संख्या लगभग 3,74,648

वर्जन

----

कक्षा एक व दो के बच्चे किताबों को ठीक प्रकार से साल भर रख नहीं पाते है। बच्चों के छोटे होने के कारण किताबों को सही ढंग से रख रखाव में कमी रहती है। जिससे नए सत्र में किताबें उपयोग के लायक नहीं रह जाती है।

देवेन्द्र श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ

नई क्लास में नई किताबों से बच्चों में उत्साह होता है। पुरानी किताबों के प्रति बच्चों में उत्साह की भारी कमी रहती है।

चिंतामणि त्रिपाठी, महामंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ

प्राइवेट स्कूलों के बच्चों के पास नई किताबे होती है। ऐसे स्थिति में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों में उनको देखकर हीनता की भावना आती है।

हरित कुमार जैदी, शिक्षक

कार्य पुस्तिकाएं यानी वर्कबुक भरी होने के कारण नये बच्चों के लिए उपयोगी नहीं होती है। ऐसे में पढ़ाई में कई प्रकार की समस्याएं आएंगी।

मशूद अहमद, शिक्षक

पूरी किताबे पुराने बच्चों से प्राप्त नहीं हो पा रही है। जिन बच्चों के पास किताबें मिल रही है। उनकी स्थिति बेहद खराब है।

राजेन्द्र कनौजिया, शिक्षक

सभी विषयों की किताबें एक बच्चे के पास मिलना बेहद कठिन है। ऐसे में चाह कर भी बच्चों से किताबें मंगवाना बेहद टफ टास्क है।

शाहीन फातिमा, शिक्षक