जिससे मेरठ भी अछूता नहीं है। मेरठ में भी पब्लिक को इन परेशानियों से डेली दो चार होना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या आम जरूरत की है

Fees also increases

अजंता कॉलोनी निवासी कैप्टन रणवीर सिंह का बेटा यूएस में इंजीनियरिंग कर रहा है। रणवीर सिंह बताते हैं पहले फीस और सारे खर्चे मिलाकर 15 लाख रुपए का बजट था लेकिन अब यह खर्चा बढ गया है । कैप्टन रणवीर का कहना है कि अब उन्हें करीब 17 से 18 लाख तक का इंतजाम करना पड़ रहा है।

What about education?

श्रद्धापुरी के रहने वाले हरवीर सैनी का बेटा यूएस में एमबीए कर रहा है। सैकेंड इयर के स्टूडेंट विजय सैनी के खर्चे के लिए जहां पिछले साल तक 20 लाख का इंतजाम किया था। वहीं अब वो बढकर 24 लाख रुपए हो गया है । कोई कैसे पढ सकता है ।

Education loan is getting costlier

सबसे ज्यादा परेशानी उन पेरेंटस को हो रही है जिनके बच्चे एजूकेशन लोन से पढ रहे हैं। क्योंकि सारे बैंक तो इंडियन रुपए में ही लोन देते हंै। लेकिन जब ये रकम विदेशो में जाती है तो वहां पर उसकी वेल्यू कम हो जाती है। बात दें कि मेरठ से हर साल करीब सौ से डेढ़ सौ स्टूडेंट विदेश में पढऩे जाते हैं।

Sports industry also effected

मेरठ की स्पोट्र्स इंडस्ट्री काफी फेमस है। यहाँ के व्यापारी विदेशों से रॉ मैटिरियल मंगवाते हैं और प्रोडक्ट तैयार कर उसे एक्सपोर्ट करते हैं। लेकिन जब से डॉलर के रेट बढ़े हैं तब से रॉ मैटिरियल इंपोर्ट करने की कॉस्ट भी बढ़ गई है। जानी मानी कंपनी बीडीएम के राकेश महाजन बताते हैं कि रॉ मैटिरियल की कॉस्ट कई गुना तक बढ़ गई है। लेकिन प्रोफिट मार्जिन में कोई अंतर नहीं आया है।

Petrol and diseal

लगातार रुपया के कमजोर पडऩे से डीजल और पेट्रोल पर सीधा फर्क पड़ता है। दो दिन पहले ही इनके दाम में दो से ढ़ाई रुपए की बढोतरी की गयी है। जिससे हर चीज की ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ गई है। अब चाहे सब्जी हो या दूध सभी की कीमत बढ़ी है

Gold is also a factor

रुपए के कमजोर होने के पीछे गोल्ड इनवेस्टमेंट को भी बड़ा कारण माना जा रहा है। प्रो। वीके मल्होत्रा का कहना है कि सरकार चाहती है कि गोल्ड में इनवेस्टमेंट कम से कम हो। जबकि पब्लिक मंदी के दौर में भी सोने में निवेश करके खुद को सिक्योर मानती है। ऐसे में सोने में इनवेस्टमेंट को रोकना भी सरकार के लिए बड़ा चैलेंज है। क्योंकि अधिकतर सुनार गोल्ड को डायरेक्टली इंपोर्ट करते हैं। जिससे ज्यादा इंडियन करेंसी बाहर जाती है।

Depends on trading

सीसीएस यूनिवर्सिटी के इक्नोमिक्स के प्रोफेसर वीके मलहोत्रा का कहना है कि नुकसान और फायदा ट्रेडिंग यूनिट के ऊपर डिपेंट करता है अगर ट्रेडिंग यूनिट रुपए में है तो एक्सपोर्ट करने में फायदा होगा। जबकि इंपोर्ट करने में नुकसान। वहीं ट्रेडिंग यूनिट डॉलर में है तो एक्सपोर्ट करने में नुक्सान होगा। प्रो। मलहोत्रा का यह भी कहना है कि रुपये के कमजोर होने से गोल्ड, डीजल, पेट्रोल सभी चीजों पर इसका फर्क पड़ता है।

"इंटरनेशनल मार्केट में रुपये के कमजोर पडऩे से निश्चित रूप से आम जनता पर फर्क पड़ता है। हाल ही में पेट्रोल में दो रुपए भी इसी कारण बढ़े हैं."

मनोज शर्मा, रुडक़ी रोड

"जब से डॉलर के रेट बढ़े हैं इंटरनेशनल मार्केट में बिजनेस करना कठिन हो गया है। इंपोर्ट करने में माल महंगा हो गया है। टैक्स की रकम भी बढ़ गई है."

-राकेश महाजन, बीडीएम

"मेरा बेटा यूएस में पढ़ रहा है। पहले उसकी फीस करीब 17 लाख थी। लेकिन अब उसको 15 से 20 परसेंट रकम ज्यादा भेजनी पड़ रही है."

-कैप्टन रणवीर सिंह, अजंता कॉलोनी